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कोरोनावायरस: ‘यूरोप की तरह हम बुनियादी सवालों को नहीं उठा रहे’

कोरोनावायरस के संकट के बीच यूरोपिय देशों और भारत के बीच इस अलग नजरिए को समझा रहे हैं हिलाल अहमद.

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कोरोनावायरस के संकट के बीच यूरोपीय देशों और भारत के बीच इस अलग नजरिए को समझा रहे हैं हिलाल अहमद.
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कोरोनावायरस के संकट के बीच यूरोपीय देशों और भारत के बीच इस अलग नजरिए को समझा रहे हैं हिलाल अहमद.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

कोरोनावायरस का कहर दुनियाभर में जारी है. कोरोनावायरस को लेकर जो बहस चल रही है, उसकी तुलना दिलचस्प रूप से यूरोप से की जा सकती है. उन देशों से जहां कोरोनावायरस का कहर भारत से ज्यादा है. लेखक और सीएसडीएस के एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद पिछले कुछ दिनों से फ्रांस में है. कोरोनावायरस के संकट के बीच यूरोपीय देशों और भारत के बीच इस अलग नजरिए को वो समझा रहे हैं.

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हिलाल अहमद कोरोनावायरस के संकट के बीच दोनों जगहों के बीच अंतर को तीन आधार पर बांटते हैं.

यूरोप और भारत में अलग नजरिया

यूरोप में इस बीमारी को मानवता के संकट के तौर पर देखा गया. इसलिए जो भी देश अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकता को आगे लेकर आ रहे हैं, उनकी आलोचना हो रही है.

वहीं अगर भारत में इसकी तुलना करें तो हम इसे मानवता पर संकट की बजाए राष्ट्र पर संकट के तौर पर देख रहे हैं. राष्ट्र के संकट के बजाए राष्ट्रवाद के संकट के तौर पर देख रहे हैं. कहीं न कहीं ऐसा है तो हम इसकी पेचीदगी को नजरअंदाज कर रहे हैं.

कोरोनावायरस के महामारी बनने की जिम्मेदारी किसकी?

यूरोप की आम बहस में वैश्वीकरण और व्यवस्था की कमियों को इसका जिम्मेदार बताया जा रहा है. ये कहा जा रहा है कि जिस आधुनिकता को हम ये मानने लगे थे कि इसमें हर चीज का उपाय है, वो व्यवस्था कहीं न कहीं कारगर नहीं है.

वहीं भारत की बात करें तो हम उस समुदाय को ढ़ूंढने की कोशिश में लगे हुए हैं, जिसे हम इस बीमारी का जिम्मेदार ठहरा सकें. दोबारा से जिस तरह की बांटने की राजनीति हम करते चले आ रहे हैं वैसा कर रहे हैं. इसकी वजह से बुनियादी सवाल पीछे छूटते चले जा रहे हैं. राज्य की जिम्मेदारी पर कोई सशक्त बहस करने की स्थिति में नहीं आए हैं.

भविष्य को लेकर क्या सवाल उठ रहे हैं?

यूरोप में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सवाल उठ रहे हैं. वहीं यहां पर अमीरी और गरीबी के सवाल उठ रहे हैं. ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि राजनीतिक वर्ग का औचित्य क्या है. हमारे यहां भविष्य को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है. हम ये मानकर चल रहे हैं कि कोई भी संकट राजनीतिक वर्ग के लिए खेलने की चीज होती है. हमारा विश्लेषण सिर्फ- ‘कांग्रेस, बीजेपी क्या करेगी?’ ‘मोदी भक्ति क्या करेगी?’- इसके चारों तरफ घूम रहे हैं. अभी भी हम बुनियादी सवालों को नहीं उठा रहे हैं.

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Published: 31 Mar 2020,09:38 PM IST

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