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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह/शोहिनी बोस
वीडियो एडिटर: मो. इरशाद आलम/अभिषेक शर्मा
ये जो इंडिया है ना.. यहां कुंभ मेले को कोरोना वायरस से स्पेशल प्रोटेक्शन मिली हुई है क्या? इन तस्वीरों पर एक नजर डालिए.. क्या आपको मास्क पहने दिखाई दे रहा है यहां कोई? नहीं! इस वीडियो में कोई मास्क.. नहीं! जहां कहीं भी देखिए.. कोई मास्क नहीं, कोई मास्क नहीं, कोई मास्क नहीं… और सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में तो बात ही मत कीजिए.
35 लाख लोगों ने 12 अप्रैल को हरिद्वार में शाही स्नान में हिस्सा लिया, 14 अप्रैल को 13 लाख, 27 अप्रैल को एक और शाही स्नान होगा. 1 करोड़ इंडियन कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रहे हैं.. खुद को, अपने परिवार और अपने दोस्तों को खतरे में डाल रहे हैं. बैरागी अखाड़े के स्वामी विपुलानंद ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया -
हम एक ऐसे वायरस के बारे में बात कर रहे हैं, जिसके कारण दुनिया भर में 30 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.. ये एक साल पहले की तुलना में अभी लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है . . देश में रोजोना 1.5 लाख से ज्यादा केस और 500-600 मौतें हो रही हैं.
1 साल पहले.. मैंने इस बड़ी बाल्टी और इस छोटे कंटेनर का इस्तेमाल करते हुए ये समझाया था कि देश कोरोना को कैसे सफलतापूर्वक या असफलतापूर्वक संभाल सकता है..
आपको याद दिलाता हूं.. ये बड़ी बाल्टी..ये इंडिया के लोग हैं..अगर उन्हें कोरोना होता है .. तो वो इस छोटे कंटेनर में जाएंगे.. इंडिया के हॉस्पिटल.. अगर ओवर फ्लो नहीं होता है, इसका मतलब कि लोग ठीक हो रहे हैं और आराम से बाहर निकल रहे हैं. लेकिन.. अगर हेल्थकेयर सिस्टम बड़ी तादात में बीमार पड़ रहे लोगों को नहीं संभाल सकता.. तो पानी का ओवरफ्लो होगा.. और ये ओवरफ्लो करता हुआ पानी..ये हॉस्पिटल्स की नाकामी को दिखाता है..
तो दोनों हेडलाइन्स को एक साथ देखते हुए.. कुंभ के शाही स्नान में लाखों, कोरोना प्रोटोकॉल और इंडिया में रिकॉर्ड कोरोना केसेज, बढ़ते नए केसेज, मौत का आंकड़ा, ये जो इंडिया है ना.. हम पूछने को मजबूर हो रहे हैं.. यहां पर ये दोनों हेडलाइन्स एक साथ.. कैसे ?!!
उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने खुद भरोसा दिया कि
ऐसी तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें रावत को मेले में बिना मास्क के शामिल होते देखा जा सकता है. शाही स्नान के दिन हरिद्वार में पुलिस अधिकारी संजय गुंजयाल ने कहा.. ''कुंभ में अगर सोशल डिस्टैंसिंग लागू करने की कोशिश की तो भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है.'' सीसीटीवी कैमरा को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बिना मास्क वाले चेहरों का पता लगाना था. क्या वो काम आए? क्या श्रद्धालुओं को उसका डर था? नहीं! और जाहिर है कि आलोचना भी दबे स्वर में ही होगी... क्योंकि हम इस ओर इशारा भी कैसे कर सकते हैं कि कुंभ सुपर स्प्रेडर इवेंट बन सकता है? बल्कि, जब मीडिया ने एक सेंट्रल गवर्नमेंट के अधिकारी के बयान को दिखाया कि मेला सुपर स्प्रेडर इवेंट हो सकता है, तो यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने उसे फेक न्यूज बता दिया!
और यहां, उत्तराखंड के सीएम का जवाब है - ''कुंभ की तुलना मरकज से ना करें, क्योंकि अब लोगों को पता है कि उन्हें मास्क पहनना चाहिए.'' लेकिन इन तस्वीरों में इन वीडियोज में.. कहां हैं सबके मास्क??! और जहां पुलिस की चलती है... वहां बिना मास्क वालों को बेदर्दी से पीटो! और फिर, सरकार जो एक दिन में 35 लाख लोगों को कुंभ में हिस्सा लेने की इजाज़त देती है... वही सरकार कोर्ट में कहती है कि एक बार में सिर्फ 20 मुसलमानों को निजामुद्दीन दरगाह में नमाज़ पढ़ने की अनुमति जी जानी चाहिए ! इसमें आश्चर्य की बात नहीं कि, सरकार के इस दोहरे रवैये पर सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं.
इस बीच, नए उछाल के लिए सरकार किसे जिम्मेदार ठहरा रही है? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन यह कहते हुए लोगों को जिम्मेदार ठहराते हैं कि...वे COVID-19 नियमों के पालन को लेकर काफी लापरवाह हो गए हैं. उन्होंने कहा- चुनाव, धार्मिक आयोजन हुए हैं, ऑफिस फिर से खुले हैं, शादियों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और बाजारों में मास्क नहीं लगाए गए हैं. हां, लोग लापरवाह हैं, लेकिन हर्षवर्धन जी...धार्मिक आयोजन, चुनाव....आप उनको अनुमति दे रहे हैं!! 3 शाही स्नानों के लिए श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच सकें, इसके लिए सरकार ने 25 स्पेशल ट्रेन्स की व्यवस्था की है. जबकि पिछले साल लाखों प्रवासी कामगारों को 40 दिन तक कोई ट्रेन नहीं मिली थी, और वे पैदल ही अपने घरों की ओर चल दिए थे...यहां एक संभावित सुपर-स्प्रेडर इवेंट में हिस्सा लेने के लिए 25 ट्रेन्स हैं.
ये जो इंडिया है ना...अगर हमें सही मायने में कोरोना के इस दूसरे उछाल से निपटना है...अगर हम सच में जिंदगियां बचाना चाहते हैं...अगर हम वाकई अपनी इकॉनमी को फिर से गिराना नहीं चाहते...तो हम आस्था के नाम पर कुंभ मेला जैसे आयोजनों को खुली छूट नहीं दे सकते.
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