Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कौन कर रहा करोड़ों बच्चों का भविष्य Shift+Delete?

कौन कर रहा करोड़ों बच्चों का भविष्य Shift+Delete?

देश के गांवों में सिर्फ 8 फीसदी बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं.

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>देश में ऑनलाइन शिक्षा का हाल</p></div>
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देश में ऑनलाइन शिक्षा का हाल

फोटो- क्विंट हिंदी

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4G-5G, ऑप्टिकल फाइबर, डिजिटल इंडिया, इंटरनेट, वाई-फाई, सब हवा हवाई.. क्यों... क्योंकि अगर इंटरनेट और सोशल मीडिया की भाषा में कहें तो करोड़ों बच्चों के भविष्य को 'ब्लॉक' कर दिया गया है. उनके करियर के नेटवर्क पर जैमर लगा दिया गया. नहीं समझे?

दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कमजोर लाइफलाइन वाले भारत के एजुकेशन सिस्टम में ऑनलाइन क्लास की एंट्री तो हो गई लेकिन उसका पासवर्ड सेट नहीं हुआ. फिर क्या था बच्चों की पढ़ाई लॉक. हालत ये है कि देश के गांवों में सिर्फ 8 फीसदी बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं. इन्हीं गांवों में 1-5 तक के करीब आधे बच्चे चंद शब्द से आगे कुछ पढ़ नहीं पा रहे.

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लेकिन मीडिया, नेता, सरकारें और आम लोग सांप्रदायिक बहस के लिए उतावले हो रहे हैं, तालिबान पर कवरेज पर कवरेज है, पाकिस्तान सबसे फेवरेट टॉपिक है, लव जिहाद, नारकोटिक जिहाद, फलाना ढिमकाना जिहाद की कहानी गढ़ी जा रही है. लेकिन करोड़ों बच्चों की परवाह नहीं. एक नजर कभी अपने टीवी स्क्रीन और मीडिया चैनलों पर भी दीजिए क्या उन्हें देश की इन बच्चों की सच में फिक्र है? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

भारत में जब लॉकडाउन लगाया या तो सरकार ने ऐलान किया था कि स्कूल -कॉलेज बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा का इंतजाम करें. चुनाव प्रचार पर करोड़ों लुटा देने वाले देश में ऑनलाइन पढ़ाई के तमाम वादे किए, लेकिन सच्चाई डरावनी है. एक नहीं कई रिपोर्ट सामने आई है. देश का भविष्य किस अंधेरे में है ये हम एक-एक कर कई रिपोर्ट के जरिए बताएंगे.

अगस्त 2021 में स्कूल चिल्ड्रन ऑनलाइन और ऑफलाइन लर्निंग (SCHOOL) ने क्लास 1 से 8 तक सरकारी स्कूलों में जाने वाले बच्चों पर इमरजेंसी रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में सिर्फ 8 फीसदी बच्चे ऑनलाइन शिक्षा पा रहे हैं. मतलब एक गांव में 100 में से सिर्फ 8 बच्चे ही ऑनलाइन एजुकेशन ले रहे हैं, बाकी 92 बच्चों का क्या? शहर का हाल भी जान लीजिए.. शहरों में सिर्फ 24 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं. इनमें से सिर्फ 9 प्रतिशत बच्चों के पास ही अपना स्मार्टफोन था.

SC/ST समाज के बच्चों का हाल?

अब सोचिए जो बच्चे फाइनेंशियली ठीक-ठाक परिवार से आते हैं, उनकी पढ़ाई किसी तरह हो रही है, लेकिन जरा ग्रामीण अनुसूचित / जाति अनुसूचित जनजाति (SC/ST) बच्चों की सोचिए. इकनॉमिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट ज्यां द्रेज और रितिका खेड़ा जैसे लोगों द्वारा तैयार इस रिपोर्ट से पता चलता है कि SC/ST समाज के सिर्फ 4 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.

सर्वेक्षण से पता चलता है कि 55 प्रतिशत SC/ST के बच्चे बिना स्मार्टफोन के रह रहे हैं, जबकि दूसरों के लिए ये आंकड़ा 38 प्रतिशत है.

एक और रिपोर्ट देखिए. यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 14-18 साल के आयु वर्ग के कम से कम 80 फीसदी छात्रों में कोविड-19 महामारी (Corona) के दौरान सीखने के स्तर में कमी देखने को मिली है. जहां एक तरफ डिजिटल इंडिया का डंका पीटा गया, वहीं दूसरी ओर यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 6-13 साल के बीच के 42 फीसदी बच्चों ने स्कूल बंद होने के दौरान किसी भी तरह की रिमोट लर्निंग का इस्तेमाल नहीं किया है. बच्चे पढ़ना भूल चुके हैं. ये मैं नहीं खुद सरकारी स्कूल के टीचर कह रहे हैं.

ऑनलाइन पढ़ाई के सरकारी आंकड़े

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने लोकसभा में अगस्त 2021 में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारत में 2.69 करोड़ छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है. अकेले बिहार में 1.43 करोड़ छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है.

बिहार से याद आया, बिहार विधानसभा (Bihar Election) चुनाव से पहले पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार के सभी 45,945 गांव को ऑप्टिकल फाइबर सक्षम इंटरनेट सेवा से जोड़ने के लिए परियोजना का उद्धघाटन किया था. तो आपको बिहार का हाल भी बता देते हैं.

27 अगस्त 2021 को जारी Telecom Regulatory Authority of India यानी TRAI की रिपोर्ट 'द इंडियन टेलिकॉम सर्विसेज परफार्मेंस इंडिकेटर्स जनवरी-मार्च 2021' के मुताबिक भारत में 825.30 मिलियन इंटरनेट सब्सक्राइबर हैं, यानी देश की करीब 59% आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है. वहीं 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में 43% आबादी के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी है. जिसमें से गांव की बात करें तो सिर्फ 20.79 मिलियन लोगों की पहुंच इंटरनेट तक है.

अब आप सोचिए कि जो बिहार गांव में बसता हो वहां के बच्चे कैसे पढ़ेंगे, उनका मुकाबला दिल्ली और मेट्रो शहरों में रहने वालों से कैसे होगा. जिस बच्चे ने 8वीं क्लास तक कंप्यूटर नहीं देखा उसे आप डिजिटल इंडिया में कैसा इनाम देना चाहते हैं.. हां जानता हूं कंप्यूटर ही सब कुछ नहीं है लेकिन आप खुद सोचिए ये कैसी बराबरी है? बात सिर्फ इंटरनेट या कंप्यूटर की नहीं बल्कि उस डेढ़ साल से पढ़ाई के नाम पर चल रही खानापूर्ती की है.

कंप्यूटर की भाषा में कहें तो अगर इस देश में शिक्षा की बराबरी चाहिए तो 'कंट्रोल ए' यानी कंट्रोल ऑल का फंडा अपनाना होगा. और 'कंट्रोल एस' यानी सब बच्चों के भविष्य को 'सेव' करना होगा.. सरकार और मीडिया के फोकस को 'शिफ्ट' करना होगा. या कहें शिफ्ट + Alt + Delete का बटन दबाकर कम्युनल एजेंडे को मिटाना होगा. और ये भी जान लीजिए हम हवाहवाई वादों को भुलाने के लिए Skip बटन दबने नहीं देंगे और पूछते रहेंगे जनाब ऐसे कैसे?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 15 Sep 2021,10:38 PM IST

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