Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मॉनसून को महाराष्ट्र से और दूर उड़ा ले गया ‘वायु’

मॉनसून को महाराष्ट्र से और दूर उड़ा ले गया ‘वायु’

सूखे ने जनता को ज्यादा सताया तो जान तो आने वाले चुनाव में नेताओं की भी सूखेगी!

रौनक कुकड़े
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महाराष्ट्र में सूखे ने जनता को ज्यादा सताया तो जान तो आने वाले चुनाव में नेताओं की भी सूखेगी!
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महाराष्ट्र में सूखे ने जनता को ज्यादा सताया तो जान तो आने वाले चुनाव में नेताओं की भी सूखेगी!
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

महाराष्ट्र के लोगों के लिए बुरी खबर है. मॉनसून में और देरी हो सकती है. इसे आप ‘वायु’ तूफान का साइड इफेक्ट कह सकते हैं. देरी कितनी होगी इसे समझाने के लिए हम पहले आपको मॉनसून का टाइम टेबल समझाते हैं.

देश में मॉनसून सबसे पहले केरल में आता है. 1 जून को. इस बार 8 जून को आया है.

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महाराष्ट्र में मॉनसून 12 जून तक आता है, लेकिन इस बार अब तक कोई अता पता नहीं है. ‘वायु’ तूफान के कारण मॉनसून में आने में 2 हफ्ते की और देरी हो सकती है. यानी पहले जो मॉनसून 15-16 जून को आना था उसमें 25-26 तारीख तक की देरी हो सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक तूफान समुद्र के ऊपर बने बादलों को भी सोख सकता है.

मतलब मॉनसून की देरी से पहले से ही परेशान किसानों की परेशानी ‘वायु’ ने और बढ़ा दी है.

ये महाराष्ट्र के लिए कितनी बुरी खबर अब इसे समझिए.

मराठवाड़ा के 8 जिलों में करीब 3000 गांव सूखे की चपेट में हैं. 

हालात इतने बुरे हैं कि पानी के प्राकृतिक स्त्रोत सूख चुके हैं.  पानी के टैंकरों के आगे लंबी कतारें हैं. महिलाएं कई किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. गांवों में लोग कम और घरों पर ताले ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. पानी की कमी से लोग शहरों की तरफ भाग गए हैं.

इंसानों की हालत खराब है तो आप जानवरों की स्थिति समझ सकते हैं. हालांकि इनके लिए सरकार ने चारा कैंप लगाए हैं. इसके लिए 100 करोड़ का फंड भी दिया गया है.

लेकिन इसे आप प्यास लगने पर कुआं खोदने जैसे उपाय कह सकते हैं.

हर बार सूखे की चपेट में आने वाला ये इलाका प्रदेश को कई सीएम दे चुका है. इनमें विलासराव देशमुख, अशोक चव्हाण शामिल हैं. लेकिन सरकार ने कभी सूखे की समस्या के दि एंड के लिए ठोस काम नहीं किया.

अब स्थिति है कि सूखे ने जनता को ज्यादा सताया तो जान तो आने वाले चुनाव में नेताओं की भी सूखेगी, खासकर सत्ता में बैठे लोगों की.

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Published: 13 Jun 2019,01:44 PM IST

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