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सुस्त शेयर बाजार कहीं सरकार के बजट का हिसाब-किताब न गड़बड़ा दे

LTCG टैक्स से क्या सरकार अनुमान के मुताबिक कमाई कर पाएगी?

संजय पुगलिया
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बजट के बाद दलाल स्ट्रीट बनी द ‘लाल’ स्ट्रीट
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बजट के बाद दलाल स्ट्रीट बनी द ‘लाल’ स्ट्रीट
(फोटो: कनिष्क दांगी/क्विंट हिंदी)

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इस साल के बजट में सरकार के कई अनुमान धरे के धरे रह सकते हैं.सरकार की आमदनी के अनुमान में एक बड़ी गड़बड़ हो सकती है. ये गड़बड़ शेयर बाजार कर सकता है. पिछले तीन ट्रेडिंग सेशन में शेयर बाजार बुरी तरह से टूटा है. और अब ये डर बढ़ गया है कि इस पूरे साल दुनिया के बाजारों में गिरावट का रह सकता है. भारत के बाजार भी मंदे रह सकते हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से 20 हजार करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान कैसे पूरा होगा?

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बाजार के जानकार कहते हैं कि ग्लोबल हालात को देखते हुए ये टैक्स गलत वक्त पर लगाया गया है. अभी आम राय ये बन रही है कि बाजार कमजोर रहा तो ट्रेडिंग वॉल्यूम भी गिरेगा और STT से कमाई भी गिर सकती है.

LTCG से कमाई का गणित ही साफ नहीं है

बजट के बाद वित्त मंत्रालय के बड़े अफसरों ने अपने बजट अनुमानों को सही ठहराने के लिए कई तर्क दिए. एक तर्क ये था कि शेयरों से 3.76 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती है जो टैक्स फ्री है. यानी इस पर 30 हजार करोड़ का टैक्स तो कहीं नहीं गया. फिर भी इस साल सिर्फ 20 हजार करोड़ और अगले साल 38 हजार करोड़ रुपए की टैक्स उगाही का अनुमान लगा रही है. इस साल 31 जनवरी के पहले तक की कमाई पर LTCG नहीं लगेगा. उसके बाद एक लाख की कमाई पर भी टैक्स नहीं लगेगा. यानी इन सब से बची कमाई कितनी होगी, उस पर कितना टैक्स आएगा ये सब अंधेरे में है.

LTCG से क्या सरकार अनुमान के मुताबिक कमाई कर पाएगी?(फोटो: Twitter)

इस नए टैक्स से सम्भव है कि निवेशक दूसरे विकल्पों की तरफ चले जाएं. सोना उनमें से एक हो सकता है.विदेशी निवेशक भारत के बाजार छोड़ेंगे तो नहीं, लेकिन अपने नए निवेश में भारत के लिए रकम थोड़ी भी काम कर देंगे तो उसका भी नेगेटिव असर होगा. जो लोग शेयरों से कमाई करना चाहते हैं, उन्हें लम्बे निवेश के लिए बढ़ावा देने के बजाय ये नई तजवीज शॉर्ट टर्म निवेश को बढ़ावा दे सकती है. यानी ट्रेडिंग की मानसिकता बढ़ेगी ना कि लॉन्ग टर्म निवेशक बनने की.

आंकड़े-आंकड़े देखिए होता है क्या!

LTCG से टैक्स वसूली के आक्रामक अनुमान के कारण एक अलग बहस हो सकती है कि सरकार निफ्टी और सेंसेक्स कितना रहेगा - ये भविष्यवाणी कब से करने लग गयी? लेकिन हम इस मुद्दे को यही छोड़ देते हैं.

ये भी पढ़ें- शेयर बाजार में कोहराम जारी, तीन दिन में साढ़े नौ लाख करोड़ स्वाहा

फिलहाल मुद्दा ये है कि सरकार बजट आंकड़ों को लेकर कुछ भी कह देती है, जरूरत पड़ने पर अपना स्टैंड बदल देती है. और सवाल पूछे जाएं तो डांट देती है. फिस्कल डेफिसिट के आंकड़े पर सरकार कायम नहीं रह पायी. असल डर यही है कि सरकार की आमदनी के टारगेट पूरे नहीं हुए और फिस्कल घाटा बढ़ा तो इकनॉमी पर कितने बुरे असर होंगे- महंगाई बढ़ेगी, ब्याज दर भी बढ़ेगी. बात सिर्फ LTCG और STT की कम वसूली की नहीं है. बाजार सुस्त रहा तो डिसइन्वेस्टमेंट के अनुमान का क्या होगा? ये लक्ष्य है- 80 हजार करोड़ रुपए का!
PSU में विनिवेश की गाड़ी पटरी से उतर जाएगी क्या?(फोटो: Twitter)

अगर सरकार पूंजी बाजार में डिसइन्वेस्टमेंट के लिए नहीं आती और एक PSU को दूसरे PSU के शेयर खरीदने को मजबूर करती है तो उसे भी निवेशक, रेटिंग एजेन्सी और अर्थशास्त्री गलत समझते हैं, आंकड़ों की बाजीगरी समझते हैं. इसी तरह दो और आंकड़ों पर नजर रखिएगा- GST और एक्सपोर्ट के लक्ष्य भी काफी बड़े रखे गए हैं.सरकार अगर दूसरे जरियों से मोटा रेवेन्यू उठाने की कोशिश करती तो अच्छा रहता, ये डर हम जिनकी बातें कर रहे हैं, पैदा ना होते. लेकिन चुनावी वर्ष में सरकार के फैसलों के तर्क और कसौटियां एकदम अलग होती हैं.

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Published: 06 Feb 2018,10:23 PM IST

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