Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019निर्भया कांड: गुनहगारों को 16 दिसंबर को होगी फांसी? ये है सच

निर्भया कांड: गुनहगारों को 16 दिसंबर को होगी फांसी? ये है सच

क्या दोषियों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति विचार नहीं कर रहे हैं?

वकाशा सचदेव
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

जोरों से चर्चा हो रही है कि निर्भया के गुनहगारों को उसी 16 दिसंबर के दिन फांसी पर लटकाया जाएगा जिस दिन 2012 में ये दहलाने वाला अपराध हुआ था. कहा जा रहा है कि चूंकि तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी से जल्लाद मांगे हैं, बिहार से फंदे मांगे हैं,  इसलिए मुमकिन है कि फांसी जल्द होगी...लेकिन क्या ये सच है?

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क्या दोषियों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति विचार नहीं कर रहे हैं?

दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रोजेक्ट 39A, जो फांसी की सजा के मामलों पर काम करते हैं...वहां की वकील श्रेया रस्तोगी से समझिए कि निर्भया के गुनहगारों की याचिकाओं की अभी क्या स्थिति है और क्यों जल्दबाजी में फांसी नहीं हो सकती.

पटियाला हाउस सेशन कोर्ट में कार्रवाई चल रही है जहां अदालत ये तय करेगी कि इन आरोपियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया जाए या नहीं. डेथ वारंट एक आदेश है जो किसी व्यक्ति के फांसी का समय, स्थान व तारीख निर्धारित करता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डेथ वारंट तक तक जारी नहीं किया जा सकता, जब तक उस शख्स ने सभी न्यायिक और प्रशासनिक उपायों का इस्तेमाल न किया हो. अभी तक इनके पास कई कानूनी विकल्प बाकी हैं.
श्रेया रस्तोगी, वकील

लोग 16 दिसंबर को फांसी की बात कर रहे हैं लेकिन सच ये है कि निर्भया कांड के एक दोषी अक्षय कुमार सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 17 दिसंबर को दोपहर 2 बजे सुनवाई होनी है.

एक दूसरे दोषी विनय शर्मा की याचिका पर राष्ट्रपति को अभी फैसला करना है. हालांकि दिल्ली सरकार और कानून मंत्रालय ने इस याचिका को खारिज करने की सिफारिश कर दी है.

तो हकीकत ये है कि अभी निर्भया मामले में पुनर्विचार याचिका, क्यूरेटिव पीटि‍शन और दया याचिका पर फैसला होना बाकी है. ये होगा, उसके बाद ही दोषियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है.

निर्भया कांड के दोषियों को सजा में देरी पर  गुस्सा समझ में आता है. लेकिन किसी को भी फांसी की सजा देने से पहले बहुत सोच विचार भी जरूरी है क्योंकि संविधान का आर्टिकल 21 किसी की जान लेने से पहले कानून को पूरी तरह से फॉलो करने की जरूरत बताता है. और इस देश में संविधान सबसे ऊपर है.

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