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दिल्ली दंगे (Delhi Riots) को दो साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. शमशाद अहमद अपने बेटे शादाब की रिहाई के लिए कभी अदालत तो कभी जंतरमंतर के चक्कर लगा रहे हैं. हमारी मुलाकात शमशाद अहमद से पहली बार जंतर मंतर पर ही हुई. शमशाद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हो रहे एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए हुए थे.
जैसे ही हमारी बात शुरू हुई तो शमशाद अहमद ने कहा,
साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) की साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस ने 6 अप्रैल 2020 को शादाब को गिरफ्तार किया था. शादाब के पि ता कहते हैं,
करीब 70 साल के शमशाद छोटा मोटा काम करके घर चलाते हैं. प्रोटेस्ट के दौरान शादाब का वीडियो अपने मोबाइल पर दिखाते हुए शमशाद अहमद कहते हैं, "आप मेरे बेटे के किसी भी वीडियो को उठाकर देख लीजिए कहीं ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो किसी को भड़काने वाला हो. सिर्फ संविधान के दायरे में बात कही थी. मैं तो यही कहूंगा कि इस देश की न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोसा है, मेरे बेटे ने कहीं कोई गलत काम नहीं किया और इस देश की न्यायपालिका सही और हक बात करेगी."
बता दें कि शादाब को हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े एफआईआर 60/20 के तहत गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, मई में शादाब को कड़े आतंकी कानून - गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत एफआईआर 59/20 में नामित किया गया था. शादाब पर दिल्ली हिंसा के 'साजिशकर्ता' के रूप में आरोप लगाया गया है, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे.
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