Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019''जेल में बंद मेरा बेटा बेगुनाह है, उसने संविधान बचाने के लिए प्रदर्शन किया''

''जेल में बंद मेरा बेटा बेगुनाह है, उसने संविधान बचाने के लिए प्रदर्शन किया''

Delhi Riots के आरोप में जेल में बंद 'अनजान चेहरों' की कहानी 22 जून को क्विंट पर

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>दिल्ली दंगे (Delhi Riots) के आरोप में दो साल से जेल में बंद शादाब</p></div>
i

दिल्ली दंगे (Delhi Riots) के आरोप में दो साल से जेल में बंद शादाब

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

दिल्ली दंगे (Delhi Riots) को दो साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. शमशाद अहमद अपने बेटे शादाब की रिहाई के लिए कभी अदालत तो कभी जंतरमंतर के चक्कर लगा रहे हैं. हमारी मुलाकात शमशाद अहमद से पहली बार जंतर मंतर पर ही हुई. शमशाद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हो रहे एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए हुए थे.

जैसे ही हमारी बात शुरू हुई तो शमशाद अहमद ने कहा,

मेरे बेटा शादाब CAA-NRC के काले कानून के खिलाफ प्रोटेस्ट में जाता था, लेकिन मेरे बेटे ने ऐसा कोई काम नहीं किया जो संविधान के खिलाफ हो. उसने संविधान के दायरे में रहकर विरोध किया, इस देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए काम किया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
CAA के विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे हुए. आरोप लगा कि कई बेगुनाहों को पुलिस ने जेल में डाल रखा है. इनमें से कई तो सुर्खियों में आए लेकिन कई अनजान चेहरे हैं जो कालकोठरियों में गुम हो गए हैं. क्विंट इन्हीं ऐसे ही चार अनजान चेहरों पर एक डॉक्यूमेंट्री ला रहा है 22 जून को. यहां आप इनमें से एक शादाब अहमद की कहानी पढ़ रहे हैं. अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी और आप चाहते हैं कि ऐसी और कहानियां हम आपतक पहुंचाएं तो Q-इनसाइड बनिए. यहां क्लिक कीजिए.

साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों (Delhi Riots) की साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस ने 6 अप्रैल 2020 को शादाब को गिरफ्तार किया था. शादाब के पि ता कहते हैं,

शादाब दिल्ली में जॉब करता था, इसी बीच सीएए-एनआरसी का कानून आ गया और प्रोटेस्ट शुरू हो गए. शादाब प्रोटेस्ट में भी जाता था और जॉब भी करता. लेकिन इसी बीच में दंगा हुआ . दंगा होने के एक महीने बाद पुलिस ने शादाब को बुलाया. पुलिस ने पूछताछ की और छोड़ दिया, लेकिन पांचवीं बार पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलाया और शादाब पर मुकदमे कर दिए और अब वो दो साल से जेल में है.

करीब 70 साल के शमशाद छोटा मोटा काम करके घर चलाते हैं. प्रोटेस्ट के दौरान शादाब का वीडियो अपने मोबाइल पर दिखाते हुए शमशाद अहमद कहते हैं, "आप मेरे बेटे के किसी भी वीडियो को उठाकर देख लीजिए कहीं ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो किसी को भड़काने वाला हो. सिर्फ संविधान के दायरे में बात कही थी. मैं तो यही कहूंगा कि इस देश की न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोसा है, मेरे बेटे ने कहीं कोई गलत काम नहीं किया और इस देश की न्यायपालिका सही और हक बात करेगी."

बता दें कि शादाब को हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े एफआईआर 60/20 के तहत गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, मई में शादाब को कड़े आतंकी कानून - गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत एफआईआर 59/20 में नामित किया गया था. शादाब पर दिल्ली हिंसा के 'साजिशकर्ता' के रूप में आरोप लगाया गया है, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT