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नोटबंदी की वजह से हुई मौतें परिवारों की बुरी यादों का हिस्सा हैं

अपने तो कतारों में खड़े-खड़े चले गए, पीछे परिवार रह गए

मानवी
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नोटबंदी के एक साल बाद मृतकों के परिवारवालों की राय
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नोटबंदी के एक साल बाद मृतकों के परिवारवालों की राय
(फोटो: द क्विंट)

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8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में नोटबंदी का ऐलान किया था. 500 और 1000 रुपये के नोट भारतीय अर्थव्यवस्था से हमेशा के लिए हटाकर नए 500 और 2000 रुपये के नोट इस्तेमाल करने की घोषणा की गई थी. उसके बाद पूरा देश बैंकों से अपने पुराने नोट बदलने के लिए लाइनों में खड़ा हो गया. इस दौरान 45 दिनों में करीब 100 लोगों की, कतारों में खड़े रहने से मौत की खबरें आईं.

क्विंट ने ऐसे ही लोगों के परिवारवालों से बात की. हमने जानना चाहा कि नोटबंदी के एक साल बाद उन परिवारों की नोटबंदी पर क्या राय है?

देखिए क्या कहा उन परिवार वालों ने...

हमारे पिता जी नोटबंदी में भगदड़ से एक्सपायर हुए थे. इसके लिए बैंक या हुकूमत जिम्मेदार है. बाढ़ से डूबकर मरने वालों को सरकार 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद देती है. लेकिन क्या सरकार नोटबंदी से मरने वाले लोगों के लिए जिम्मेदार नहीं है? पिता जी को पहले पेंशन मिलती थी. अब उनके न रहने से पेंशन भी नहीं है.
शब्बीर अली के बेटे, गोरखपुर

भोपाल के 45 साल के पुरुषोत्तम व्यास एसबीआई में सीनियर कैशियर थे. उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. व्यास, परिवार के लिए अकेले कमाने वाले शख्स थे.

नोटबंदी के बाद मेरे पापा सुबह 8:30 या 9 बजे बैंक चले जाते थे और रात 1 बजे आते थे. ओवर ड्यूटी काम कर रहे थे. संडे को भी बैंक जाते थे. हद से ज्यादा वर्क लोड और प्रेशर की वजह से उनको हार्ट अटैक आ गया.
अदिति व्यास, पुरुषोत्तम व्यास की बेटी

जालौन में, एक परिवार के लिए भी नोटबंदी अभिशाप साबित हुई. वहां के एक किसान गंगाचरण की दो दिन तक बैंक की लाइन में लगे रहने के बाद मौत हो गई.

नोटबंदी के समय पैसे निकालने बैंक गए थे. पहले पैसे नहीं निकले. फिर दोबारा जाकर लाइन में लगे. अचानक वहीं मौत हो गई. एक साल बीत गया, लेकिन आज भी पैसों के लिए तरस रहे हैं.
सुरेंद्र, गंगाचरण के बेटे

कोलकाता में 52 साल के कल्लोल रॉय चौधरी की कमी अब भी परिवार को महसूस होती है. नवंबर 2016 में ATM की लाइन में लगे रहने के दौरान उनकी मौत हो गई थी.

कोलकाता के रास्ते में उन्होंने एक एटीएम काउंटर देखा था, जहां ज्यादा भीड़ नहीं थी. वो वहां रुक गए. लाइन में जाकर लग गए और थोड़ी देर बाद बेहोश हो गए. उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
सालिन रॉय चौधरी, कल्लोल रॉय चौधरी के भाई

कल्लोल रॉय की पत्नी को मुआवजे के तौर पर नौकरी मिली थी. लेकिन उनका 10 साल का बेटा आज भी सदमे में है.

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