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8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में नोटबंदी का ऐलान किया था. 500 और 1000 रुपये के नोट भारतीय अर्थव्यवस्था से हमेशा के लिए हटाकर नए 500 और 2000 रुपये के नोट इस्तेमाल करने की घोषणा की गई थी. उसके बाद पूरा देश बैंकों से अपने पुराने नोट बदलने के लिए लाइनों में खड़ा हो गया. इस दौरान 45 दिनों में करीब 100 लोगों की, कतारों में खड़े रहने से मौत की खबरें आईं.
क्विंट ने ऐसे ही लोगों के परिवारवालों से बात की. हमने जानना चाहा कि नोटबंदी के एक साल बाद उन परिवारों की नोटबंदी पर क्या राय है?
देखिए क्या कहा उन परिवार वालों ने...
भोपाल के 45 साल के पुरुषोत्तम व्यास एसबीआई में सीनियर कैशियर थे. उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. व्यास, परिवार के लिए अकेले कमाने वाले शख्स थे.
जालौन में, एक परिवार के लिए भी नोटबंदी अभिशाप साबित हुई. वहां के एक किसान गंगाचरण की दो दिन तक बैंक की लाइन में लगे रहने के बाद मौत हो गई.
कोलकाता में 52 साल के कल्लोल रॉय चौधरी की कमी अब भी परिवार को महसूस होती है. नवंबर 2016 में ATM की लाइन में लगे रहने के दौरान उनकी मौत हो गई थी.
कल्लोल रॉय की पत्नी को मुआवजे के तौर पर नौकरी मिली थी. लेकिन उनका 10 साल का बेटा आज भी सदमे में है.
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