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Video | धर्मेंद्र प्रधान के गोद लिए गांव को ‘अच्छे दिन’ का इंतजार

धर्मेंद्र प्रधान ने 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत बिहार का एक गांव गोद लिया.

पूनम अग्रवाल
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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साल 2014 में बिहार के दानापुर का लखनी बिगहा गांव गोद लिया. 
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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साल 2014 में बिहार के दानापुर का लखनी बिगहा गांव गोद लिया. 
(फोटो: द क्विंट)

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(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके ‘अच्छे दिन’ आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साल 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत एक गांव गोद लिया. ये गांव है- बिहार के दानापुर का लखनी बिगहा गांव. इस गांव की आबादी 5 हजार है.

सांसद आदर्श ग्राम योजना के मुख्य उद्देश्य?

सांसद आदर्श ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि सांसद अपने गोद लिए हुए गांव के विकास को देखें और गांव के लोगों की जरूरतों का ध्यान रखें. सांसदों को इस योजना के तहत ये लक्ष्य हासिल करने होते हैं:

  • शिक्षा सुविधाएं
  • स्वच्छता
  • स्वास्थ्य सुविधा
  • आजीविका
  • कौशल विकास
  • बुनियादी सुविधाएं (बिजली, पक्का घर, सड़क, वाईफाई)
  • सुशासन

क्विंट ने लखनी बिगहा गांव के लोगों से बात की और पूछा कि इस गांव को 2014 में गोद लेने के बाद उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आए. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि जितना काम यहां हो रहा है उससे बेहतर काम तो बिना गोद लिए गांवों में हो रहा है.

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बुनियादी सुविधाओं की कमी

गांव में बुनियादी सुविधाएं, मेडिकल, पानी और स्कूलों की कमी है. यहां स्वच्छ भारत अभियान का भी असर नहीं दिखता.

पहले तो नालियां साफ होनी चाहिए. पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. बिजली सप्लाई में सुधार होना चाहिए. इनमें से कोई चीज नहीं है. स्वास्थ्य के बारे में भी कुछ नहीं किया गया. ढंग के सरकारी स्कूल भी नहीं हैं.
<b>अरुण सिंह, स्थानीय निवासी</b>
बोला तो गया था कि स्वच्छ भारत के तहत घर-घर में शौचालय बनेगा. उसके बाद पैसा दिया जाएगा. कुछ लोगों ने पैसा लेकर भी बनवाया था.लगा कि हमें भी मिलेगा पर मिला नहीं.एक शख्स (ठेकेदार) आया, फोटो खिंचवाया, पैसा भी लिया, पर कुछ मिला नहीं. &nbsp;
<b>इंद्रजीत कुमार, स्थानीय निवासी</b>
सब घरों में शौचालय नहीं है. हमारे खुद के घर में नहीं हैं. महिलाएं खेतों में शौच के लिए जाती हैं. &nbsp;
<b>स्थानीय निवासी</b>

प्रस्तावित प्रोजेक्ट और फंड की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई

फंड कहां जा रहा हैं, हमें नहीं मालूम. पदाधिकारियों से संपर्क करने पर जवाब मिलता है कि आपके गांव के लिए तो फंड है ही नहीं.कहां योजनाएं चल रही हैं, इसको लेकर कोई बोर्ड या जानकारी नहीं है.
<b>देवेंद्र सिंह दांगी, स्थानीय निवासी</b>

बीते 4 साल में धर्मेंद्र प्रधान ने गांव का सिर्फ एक बार किया दौरा किया है. दौरे के समय उन्होंने कहा था- कि हमने गांव को गोद नहीं लिया, लोगों ने उन्हें गोद लिया है.

उन्होंने वादा किया था कि वो फिर से गांव में आएंगे. कमेटी का गठन करेंगे और सभी योजनाएं कमेटी के जरिए लागू होंगी लेकिन इस गांव में कोई काम दिखाई नहीं पड़ रहा.

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