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VIDEO | सुमित्रा महाजन के गोद लिए गांव में सड़क-शिक्षा का बुरा हाल

1974 से ही ये गांव बीजेपी का गढ़ रहा है

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Video Editor: पूर्णेन्दु प्रीतम और अभिषेक शर्मा

(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके अच्छे दिन आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)

लोकसभा स्पीकर और सांसद सुमित्रा महाजन ने 2016 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत एक गांव गोद लिया. ये गांव है- मध्य प्रदेश के इंदौर का पोटलोद. इस गांव की आबादी 5 हजार है.

हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि सुमित्रा महाजन अपने गोद लिए हुए गांव को आदर्श गांव बनाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं.

सांसद आदर्श ग्राम योजना के मुख्य उद्देश्य?

सांसद आदर्श ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि सांसद अपने गोद लिए हुए गांव के विकास को देखें और गांव के लोगों की जरूरतों का ध्यान रखें. सांसदों को इस योजना के तहत ये लक्ष्य हासिल करने होते हैं:

  • शिक्षा सुविधाएं
  • स्वच्छता
  • स्वास्थ्य सुविधा
  • आजीविका
  • कौशल विकास
  • बुनियादी सुविधाएं (बिजली, पक्का घर, सड़क, वाईफाई)
  • सुशासन

क्विंट ने पोटलोद गांव के प्रधान और वहां रहने वालों से बात की और पूछा कि इस गांव को 2016 में गोद लेने के बाद उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आए.

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1. शिक्षा

सुमित्रा महाजन ने लड़कियों के लिए हायर सेकेंड्री स्कूल बनवाने का वादा किया था जो अब सिर्फ कागजों पर मौजूद है. 8वीं से आगे पढ़ाई की चाहत रखने वाली लड़कियों को हर दिन 4 किलोमीटर की यात्रा कर चंद्रवती गांव जाना पड़ता है.

8वीं पास करने के बाद बच्चियां चंद्रवती गांव में एडमिशन लेती हैं जो गांव से 3-4 किमी दूर है. वैसे परिवार जो अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा दे सकते हैं वो उनका वहां एडमिशन कराते हैं लेकिन कुछ लड़कियों को 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ने और घर पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
ममता चौहान, स्कूल टीचर, पोटलोद गांव
मैं ताई जी (सुमित्रा महाजन)से गुजारिश करना चाहती हूं कि स्कूलों को 10वीं तक अपग्रेड कर दें क्योंकि मैं आगे पढ़ना चाहती हूं.   
सुकन्या, छात्रा, 7वीं

2. स्वच्छता

गांव में कई जगह शौचालय का पानी खुले में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण मच्छर और बीमारियां पैदा होती हैं.

हम ताई जी (सुमित्रा महाजन) को इस गांव में लेकर गए और हर जगह फैली गंदगी दिखाई. उन्होंने वादा किया कि 3 महीने में इसे ठीक करवा दिया जाएगा लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.
निवासी, पोटलोद गांव, इंदौर
गंदगी और गंदगी के पीछे का कारण मवेशी हैं. नाले की उचित व्यवस्था नहीं है लेकिन ये हमारे प्रस्ताव में है जैसे ही हमें फंड मिलेगा हम प्रोजेक्ट शुरू करेंगे. 
ओम प्रकाश मंडलोई, सरपंच, पोटलोद गांव
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3. सड़कें

पोटलोद गांव को दूसरे गांवों से जोड़ने वाली सड़कों की 5 साल पहले मरम्मत करवाई गई थी लेकिन अब वो सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं.

करीब 5-6 सालों से सड़कों की हालत खराब है. बहुत सारे गड्ढे हैं जो खासतौर से बरसात के मौसम में दुर्घटना का कारण बनते हैं. हमने सोचा था कि चूंकि ताई (सुमित्रा महाजन) ने इस गांव को अपनाया है इसलिए हम इस क्षेत्र में कुछ विकास देखेंगे लेकिन वो दिल्ली में बैठी हैं कोई भी इस बारे में परवाह नहीं करता कि यहां क्या हो रहा है.  
मुकेश सिंह, निवासी, पोटलोद गांव, इंदौर

4. स्ट्रीटलाइट

हम अपने घरों के बाहर लाइट लगाते हैं क्योंकि वहां कोई स्ट्रीटलाइट नहीं है और अगर हमें रात में यात्रा करना हो तो हम अपने मोबाइल फोन की टाॅर्च का इस्तेमाल करते हैं  
निवासी, पोटलोद गांव, इंदौर

2016 से 8 करोड़ रुपए ’विकास’ पर खर्च किए गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत कहती है कि पोटलोद गांव की हालत नहीं सुधरी है.

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