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गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में डॉ. कफील समेत 8 लोग जेल में हैं और बाहर उनके परिवार वाले उन्हें बेगुनाह साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. क्विंट से बात करते हुए डॉक्टर कफील की पत्नी की आंखों में आंसू आ जाते हैं. कफील की पत्नी डॉक्टर शबिस्ता अपनी डेढ़ साल की बच्ची को गोद में उठा कर रोने लगती हैं. वो कहती हैं:
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 11 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कथित कमी की वजह से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. बच्चों की मौत की खबर मीडिया में फैली. मीडिया ने उस वक्त डॉक्टर कफील अहमद को फरिश्ते के तौर पर पेश किया. लेकिन थोड़े ही वक्त बाद डॉक्टर कफील पर उंगली उठने लगी. इस हादसे की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने डॉक्टर कफील समेत नौ लोगों को जिम्मेदार माना. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. डॉक्टर कफील पिछले 8 महीने से गोरखपुर जेल में बंद हैं.
डॉक्टर शबिस्ता ने सिस्टम पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि उनके पति को फंसाया गया है, वो जेल में बीमार हैं, उनको सही इलाज नहीं मिल रहा.
अभी हाल ही में जेल में तबियत खराब होने के बाद डॉक्टर कफील को जिला अस्पताल लाया गया था. कफील हार्ट पेशेंट हैं. इस दौरान डॉ कफील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कि मुझे सोची समझी रणनीति के तहत फंसाया जा रहा है.. मेरी जान को खतरा है.
डॉक्टर शबिस्ता ने अधिकारियों पर इल्जाम लगाते हुए कहा,
इस बीच कफील खान ने 18 अप्रैल को जेल से एक खत लिखा है. डॉक्टर कफील ने इस खत के जरिए सवाल उठाया है और पूछा है कि “क्या मैं सच में दोषी हूं.” कफील ने इस 10 पन्नों के खत के जरिए प्रशासन पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि बड़े लेवल पर हुई प्रशासनिक नाकामी के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है. उन्होंने एक डॉक्टर के रूप में अपना फर्ज निभाया. लेकिन उन्हें ही फंसा दिया गया.
कफील के भाई बताते अदील बताते हैं, “कोर्ट से तारीख पर तारीख ही मिल रही है. मामला हाई कोर्ट में है, 6 बार सुनवाई हो चुकी लेकिन अब तक बेल तक बात नहीं पहुंची. हर बार किसी न किसी बात का बहाना लगा कर सुनवाई टाल दी जाती है.”
बता दें कि इस मामले में 9 लोगों में से एक आरोपी ऑक्सीजन की सप्लाई के जिम्मेदार कारोबारी मनीष भंडारी को जमानत मिल चुकी है. फिलहाल कफील अहमद की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को है.
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