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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
‘STF को धन्यवाद दूंगा, जिन्होंने मुझे मुंबई से मथुरा लाते वक्त एनकाउंटर में मारा नहीं’’
डॉ. कफील खान
फिजिशियन, प्रदर्शनकारी, तीन बार जेल गए, NSA के तहत आरोप लगा, आधी रात को रिहा हुए कफील खान के जेल से निकलने के बाद ये शब्द थे.
कफील खान ने कहा कि मैं न्यायपालिका का बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने इतना अच्छा ऑर्डर दिया. इसमें उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झूठा, निराधार और काल्पनिक केस बनाया और मुझे 8 महीने तक इस जेल में रखा. 5 दिन तक बिना खाना-पानी के मुझे प्रताड़ित किया गया.
7 महीने तक NSA एक्ट के तहत जेल में रहने के बाद अब डॉ. कफील खान आजाद हैं. लेकिन ये पहली बार नहीं है कि उन्हें 'फंसाया' गया है.
10 अगस्त 2017 को गोरखपुर में नवजात शिशुओं की मौत हो गई. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बकाए का भुगतान न करने पर ऑक्सीजन आपूर्ति रोकी गई, जिससे 63 बच्चों की मौत हो गई
हालांकी यूपी सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से मौत के आरोप को नकार दिया. 13 अगस्त 2017 को उन्हें अच्छे से ड्यूटी न निभाने के आरोप में इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अधिकारी के पद से हटा दिया गया. 2 सितंबर 2017 को डॉ. कफील खान की गिरफ्तारी हो गई.
अप्रैल 2018 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने खान के बचाव में एक बयान जारी किया.
आरोप लगाया कि खान को फंसाया गया है. एसोसिएशन ने राज्य सरकार के अधिकारियों को दोषी ठहराया और उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
200 से अधिक स्वास्थ्य अधिकारियों की आदित्यनाथ को पत्र लिखकर खान के लिए इंसाफ, उनकी तुरंत रिहाई, उसके खिलाफ 'झूठे केस' हटाए जाने की मांग की.
19 अप्रैल 2018 को एक RTI के जवाब में BRD प्रशासन ने माना कि ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी थी. दूसरे अस्पतालों से कम से कम 6 सिलेंडर लाए गए और नोडल ऑफिसर खान ने 4 सिलेंडरों का इंतजाम किया.
25 अप्रैल 2018 को सबूतों के अभाव में खान 9 महीने बाद जेल से रिहा कर दिए गए और 27 सितंबर 2019 को कफील खान को सारे आरोपों से बरी कर दिया गया.लेकिन खान की आजादी
बहुत कम समय के लिए थी.
12 दिसंबर 2019 को देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कफील खान ने छात्रों को संबोधित किया. 13 दिसंबर 2019 यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने AMU में कथित भड़काऊ भाषण के आरोप में खान को फिर से गिरफ्तार कर लिया.
10 फरवरी 2020 को अलीगढ़ कोर्ट ने खान को जमानत दे दी लेकिन वो वक्त पर रिहा नहीं हुए. 13 फरवरी 2020 को तीन दिन बाद, उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपराध का आरोप लगाया गया.राष्ट्रीय सुरक्षा कानून तीन महीने की अवधि तक बिना किसी ट्रायल के डिटेंशन की अनुमति देता है. 12 मई 2020 को तीन महीने के बाद उनकी नजरबंदी को तीन और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था.
1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ लगाए गए NSA को हटा दिया और तुरंत रिहाई के आदेश दिए
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा- “कफील खान का भाषण सरकार की नीतियों का विरोध था. उनका बयान नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश देने वाला था. 13 फरवरी, 2020 को अलीगढ़ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया आदेश, जो कि यूपी सरकार ने भी कंफर्म किया था, रद्द किया जाता है. डॉक्टर कफील को जेल में रखना गैर-कानूनी करार दिया जाता है. उन्हें तुरंत रिहा किया जाए.’’
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