Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019‘नरक‘ में रह रहे माहुल निवासियों की कब सुधरेगी जिंदगी?

‘नरक‘ में रह रहे माहुल निवासियों की कब सुधरेगी जिंदगी?

बुखार, पेट दर्द और बदन दर्द...ये माहुल निवासियों के लिए रोज की परेशानी है  

अंकिता सिन्हा
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 (फोटो: अंकिता सिन्हा/क्विंट हिंदी)
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(फोटो: अंकिता सिन्हा/क्विंट हिंदी)
‘नरक‘ में रह रहे माहुल निवासियों की कब सुधरेगी जिंदगी?

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वीडियो एडिटर: आशीष मैक्यून

कैमरा: संजॉय देब, गौतम शर्मा

'मुंबई टॉक्सिक HELL, माहुल नरक, गैस चेंबर'

ये कुछ नाम हैं जो माहुल निवासियों ने अपने नए घर को दिए हैं क्योंकि माहुल इनके साथ-साथ 10 केमिकल प्लांट और 3 ऑयल रिफाइनरियों का भी घर है. कुछ लोग इसके विरोध में माहुल से वापस निकल कर, अपने तोड़े गए घरों से फुटपाथ पर आ गए हैं.

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माहुल के निवासी अनीता धोले का कहना है कि माहुल की परिस्थितियां रहने लायक नहीं है. माहुल में करीब 16 केमिकल फैक्ट्री और 3 आयल रिफायनरी हैं जिसके कारण उस क्षेत्र में रहने वाले लोग बिमारियों का शिकार होते हैं.

इंसान को जीने के लिए शुद्ध हवा और पानी चाहिए, जो हमें यहां विद्या विहार तानसा पाइपलाइन धरना स्थल पर मिल रहा है, ये माहुल में नहीं है. सरकार तो हमें मारना चाहती है, इसलिए तो हमें वहां भेज दिया.
अनीता धोले, निवासी 

2017 में घाटकोपर में तानसा पाइपलाइन के पास जब इन लोगों के घरों को तोड़ दिया गया. करीब 5,500 परिवारों को इन 72 बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया, माहुल के ये बिल्डिंग उनके लिए एक ट्रांजिट कैंप की तरह थीं जो इनके लिए अस्थायी प्लान था. लेकिन जल्द ही ये स्थायी घरों में बदल गया और इसे ही लेकर अब शहरवासी लड़ रहे हैं.

एक RTI से पता चला है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और IIT बॉम्बे की रिपोर्ट के मुताबिक माहुल, लोगों के रहने लायक जगह नहीं है. भारी हवा और प्रदूषिण पानी की वजह से पिछले 5 सालों में करीब 88 लोगों की जानें गई हैं. IIT रिपोर्ट बताती है कि 34 से ज्यादा निवासी फेफड़े की बीमारियों से जूझ रहे हैं.

पहले ये बीमार नहीं थें, यहीं आकर बीमार हुए, कूपर अस्पताल में गए, वहां खून का टेस्ट हुआ. डॉक्टर ने कहा- दवा लो, कोर्स करो. थोड़ा सही हुआ, उसके बाद और ज्यादा हो गया. ये सब पानी और गंदगी की वजह से हुआ. डॉक्टर बार-बार बुलाते हैं, पैसे की वजह से हम जा नहीं पाते हैं.
आरती थापा, निवासी, माहुल  

2018 में महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (MPCB)और NEERI की स्टडी के मुताबिक- इलाके में 21 हानिकारक केमिकल पाए गए- बेंजीन, स्टाइरीन टॉल्यूइन, जाइलीन्स, डायइथाइलबेन्जीन, ट्राईमिथाइलबेन्जीन, डाईक्लोरोबेन्जीन्स और ये ये मुख्य वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड हैं.

कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट की एग्जीक्यूटिव ट्रस्टी डेबी गोयनका का कहना है कि इन VOC में कई कंपाउंड ऐसे हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं. लम्बे समय तक इन VOC में रहने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

SO2, NOx, पार्टिकुलेट मैटर और भी बाकी चीजें जो धुआं निकल रहा है, उसके साथ ये VOC भी हैं और जो लोग इन इमिशन सोर्स के पास रहते हैं. वो सबसे ज्यादा इसका सामना करते हैं. इस इलाके को कभी भी रेशिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. ये इलाका रिफाइनरी के बहुत पास है. सिर्फ प्रदूषण ही मुद्दा नहीं है, सुरक्षा का भी सवाल है. अगर कभी कोई हादसा होता है, जो दुनियाभर के कई रिफाइनरी में होता ही है. ऐसे में लोगों की जिंदगी जोखिम में है.
डेबी गोयनका, एग्जीक्यूटिव ट्रस्टी, कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट

इन सब परेशानियों के बीच माहुल के लोगों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि माहुल निवासियों को 15,000 रुपये किराया और 45,000 हजार का रिफन्डेबल डिपॉजिट दिया जाए. लेकिन माहुल निवासी आज भी उन पैसों का इंतजार कर रहे हैं.

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Published: 21 Oct 2019,11:00 AM IST

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