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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
बप्पा आते हैं तो भक्त सोचते हैं कैसे उनका जोरदार स्वागत किया जाए. जिससे जो बन पड़ता है, गणपति की शोभा बढ़ाने की कोशिश करता है. इस बार भी भक्ति की भावना में कोई कमी नहीं है, लेकिन इस बार भक्तों की शक्ति नहीं रही. आलम ये है कि लोग बप्पा के लिए सोने-चांदी के हार और कुंडल तक नहीं खरीद पा रहे हैं. पंडालों की सजावट में भी कमी आई है. ये सब इसलिए क्योंकि एक तो मंदी की मार है ऊपर से सोने-चांदी की कीमत आसमान पर है.
मुंबई में गणेश उत्सव बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. गणेश उत्सव के 11 दिनों में पूरे शहर में भक्तिमय वातावरण देखने मिलता है. लालबाग के गणपति हों या मुंबई का सिद्धिविनायक, इस दौरान वहां लोग बड़ी संख्या में सोने-चांदी का चढ़ावा चढ़ाते हैं. लेकिन इस सोने के बढ़ते दामों ने सभी का गणित बिगाड़ दिया है.
सोना-चांदी की खरीदारी के लिए मशहूर जावेरी मार्केट के व्यापारियों की दुकानों से इस बार ग्राहक नदारद हैं. व्यापारियों का कहना है अब तक सिर्फ 30% तक ही धंधा हो सका है.
कई गणेश मंडलो को इस बार साज-सज्जा का खर्चा आधा करना पड़ा है. मुम्बादेवी का नवजीवन गणेश पंडाल पिछले 12 सालों से गणेश मूर्ति की स्थापना करता आया है. इस मंडल के पंडाल का हर साल डेकोरेशन का खर्च 5 लाख रुपये के करीब होता है लेकिन इस बार इसे भी आधा कर दिया गया है.
जाहिर है मंदी से बप्पा के भक्तों की शक्ति कम हुई है. रौनक सिर्फ जावेरी बाजार में कम नहीं हुई है, गणेश जी के पंडालों में यही हाल है.
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