Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गणपति के लिए न कुंडल,न हार, जावेरी बाजार से पंडालों तक मंदी की मार

गणपति के लिए न कुंडल,न हार, जावेरी बाजार से पंडालों तक मंदी की मार

मंदी ने कम की भक्तों की शक्ति!

रौनक कुकड़े
वीडियो
Updated:
कहां
i
कहां
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

बप्पा आते हैं तो भक्त सोचते हैं कैसे उनका जोरदार स्वागत किया जाए. जिससे जो बन पड़ता है, गणपति की शोभा बढ़ाने की कोशिश करता है. इस बार भी भक्ति की भावना में कोई कमी नहीं है, लेकिन इस बार भक्तों की शक्ति नहीं रही. आलम ये है कि लोग बप्पा के लिए सोने-चांदी के हार और कुंडल तक नहीं खरीद पा रहे हैं. पंडालों की सजावट में भी कमी आई है. ये सब इसलिए क्योंकि एक तो मंदी की मार है ऊपर से सोने-चांदी की कीमत आसमान पर है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मुंबई में गणेश उत्सव बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. गणेश उत्सव के 11 दिनों में पूरे शहर में भक्तिमय वातावरण देखने मिलता है. लालबाग के गणपति हों या मुंबई का सिद्धिविनायक, इस दौरान वहां लोग बड़ी संख्या में सोने-चांदी का चढ़ावा चढ़ाते हैं. लेकिन इस सोने के बढ़ते दामों ने सभी का गणित बिगाड़ दिया है.

सोना-चांदी की खरीदारी के लिए मशहूर जावेरी मार्केट के व्यापारियों की दुकानों से इस बार ग्राहक नदारद हैं. व्यापारियों का कहना है अब तक सिर्फ 30% तक ही धंधा हो सका है.

सोने का भाव इंटरनेशनल लेवल पर आसमान छू रहा है. जो सोना 3 महीने पहले 1100 से 1150 डॉलर पर था आज वो 1540 से 1550 डॉलर के बीच हो गया है. आने वाले समय में भी इसमें तेजी रहेगी. हिंदुस्तान में लोग त्यौहारों पर सोना खरीदते हैं. हर बड़े मौके पर सोना खरीदते हैं जैसे रक्षा-बंधन पर हमारी अच्छी तैयारी थी लेकिन हम फेल हुए. इस समय यानी गणेश चतुर्थी पर लोग गणपति के लिए कुंडल लेते हैं, उनके लिए सोना लेते हैं, सिक्के खरीदते हैं, गणपति के हाथों के लिए, कान के लिए कुंडल बनते हैं, हार बनते हैं, लेकिन इस बार कुछ नहीं है और जब कारण पूछा तो पता चला कि उस मंडल को जो पैसा, जो चंदा आना चाहिए, वो नहीं आया है.
<b>कुमार जैन, </b><b>UTZ शोरूम के मालिक</b>

कई गणेश मंडलो को इस बार साज-सज्जा का खर्चा आधा करना पड़ा है. मुम्बादेवी का नवजीवन गणेश पंडाल पिछले 12 सालों से गणेश मूर्ति की स्थापना करता आया है. इस मंडल के पंडाल का हर साल डेकोरेशन का खर्च 5 लाख रुपये के करीब होता है लेकिन इस बार इसे भी आधा कर दिया गया है.

इस साल थोड़ी मंदी है. जो मदद आती थी, वो भी बंद हो गई है. कहीं से चंदा नहीं आ रहा है. मंदी का असर सभी गणपति मंडलों पर पड़ा है. <b>जैसे किसी को 1000 रुपये मिलते थे </b><b>तो उसे अब 500 रुपये ही मिल रहे हैं. </b>प्रचार का सारा काम बंद पड़ा है. अब तक सभी बैनर लग जाते थे लेकिन इस साल कुछ नहीं लगा. इस बार हमने लाइटिंग बंद कर दी. लाइटिंग लगाई ही नहीं है और भी जो प्रोग्राम थे, वो रद्द करने पड़े. हम जितना कर सकते थे उतना किया है. &nbsp;
<b>यादव दत्तू काडोलकर, </b><b>अध्यक्ष, गणेश मंडल</b>

जाहिर है मंदी से बप्पा के भक्तों की शक्ति कम हुई है. रौनक सिर्फ जावेरी बाजार में कम नहीं हुई है, गणेश जी के पंडालों में यही हाल है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 01 Sep 2019,06:39 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT