Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019वित्त मंत्री जी, इलेक्टोरल बॉन्ड सीक्रेट होने का आपका दावा गलत है

वित्त मंत्री जी, इलेक्टोरल बॉन्ड सीक्रेट होने का आपका दावा गलत है

इलेक्टोरल बॉन्ड में कुछ भी सीक्रेट नहीं, सब खुल्लम खुल्ला है

पूनम अग्रवाल
वीडियो
Updated:
i
null
null

advertisement

मेरे हाथ में ये दो इलेक्टोरल बॉन्ड्स यानी चुनावी चंदे वाले बॉन्ड्स हैं. इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया है. मैंने 1-1 हजार के ये दो इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे...किसी भी दूसरे पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देने वाले की तरह मैंने भी सोचा कि मैं अपनी पसंदीदा पार्टी को इसके जरिए चंदा दूंगी...मुझे भरोसा था कि इस डोनेशन के बारे में मेरे अलावा किसी को पता नहीं होगा.

लेकिन मैं गलत सोच रही थी...

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
इलेक्टोरल बॉन्ड पर सरकार क्यों बन रही है जेम्स बॉन्ड?(फोटो: क्विंट)

कारण ,यहां....इस इलेक्टोरल बॉन्ड के टॉप राइट कॉर्नर में है.

ऐसे देखने पर यहां आपको कुछ नहीं दिखेगा लेकिन यहां एक छिपा हुआ यूनिक अल्फा न्यूमेरिक सीरियल नंबर है...सिर्फ इसी बॉन्ड पर नहीं..जारी किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड पर ये नंबर है. इस नंबर के जरिए बॉन्ड ट्रैक किया जा सकता है... ऐसे में SBI, वित्त मंत्रालय और कोई दूसरा भी...जो इस नंबर के बारे में जानता हो...वो ये पता कर सकता है कि मैंने किस पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट किया है.

प्वाइंट ये है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खुद... इस बात का भरोसा दिलाया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किसी पार्टी को दिए गए चंदे की जानकारी सिर्फ डोनर के पास होगी.

सॉरी मिस्टर फाइनेंस मिनिस्टर...आपका ये वादा कि मैं किसे डोनेट कर रही हूं, इसके बारे में कोई नहीं जान सकेगा...गलत है. पॉलिटिकल पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दिया जाने वाला चंदा सीक्रेट सर्विलांस में है...

अब यहां हम बताते हैं कि ये इंवेस्टिगेशन कैसे पूरा हुआ?

हमने 5 और 9 अप्रैल को 1-1 हजार के इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदे. इसके बाद ये जानने के लिए कि क्या कोई छिपा हुआ नंबर या लेटर इन बॉन्ड्स पर है या नहीं,  हमने इसे फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा.

बता दें कि ये दोनों इलेक्टोरल बॉन्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के उन ब्रांच से खरीदे गए हैं जो बॉन्ड्स जारी करने के लिए अधिकृत है.

SBI ने कहा- सीक्रेट नंबर एक सिक्योरिटी फीचर है(फोटो: क्विंट)

टेस्ट को देश की रेपुटेड फॉरेंसिक लैब में कराया गया था. रिपोर्ट में हमें दोनों बॉन्ड पर यूनिक अल्फा न्यूमेरिक नंबर की बात पता चली. 5 अप्रैल को जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपा हुआ यूनिक नंबर है- OT 015101, जबकि 9 अप्रैल को जारी किए गए बॉन्ड का यूनिक नंबर है- OT 015102.

लैब रिपोर्ट के मुताबिक, ये सीरियल नंबर ‘अल्ट्रा वायलेट लाइट में परीक्षण करने पर ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के दाहिनी ओर ऊपरी किनारे पर’ दिखता है.

इन सब चीजों का मतलब क्या है? क्या ये सरकार बिग ब्रदर की तरह व्यवहार कर रही है? ऐसे में सरकार के लिए हमारे मन में कुछ सवाल उठते हैं...

  1. क्या राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए अल्फा - न्युमेरिक नंबरों के बारे में पता है?
  2. क्या चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड पर दिख रहे इन नंबरों के बारे में जानकारी है?
  3. आम लोगों और बॉन्ड के संभावित खरीदारों के लिए ये खुलासा क्यों नहीं किया गया?
  4. चौथा और सबसे अहम....क्या ये चुनावी चंदा देने वाले लोगों पर निगरानी नहीं है...पूरी तरह से अवैध नहीं है?

और कुछ सवाल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लिए भी हैं

  • 1. क्या SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर छिपे हुए अल्फान्युमेरिक सीरियल नंबरों के बारे में पता है?
  • 2. क्या वो इन नंबरों को किसी भी सरकारी एजेंसी या डिपार्टमेंट के सामने जाहिर करने के लिए बाध्य है?
  • 3. क्या SBI इन नंबरों को रिकॉर्ड करता है.


इन सवालों का पहला जवाब है हमारे पास....SBI के प्रवक्ता ने बताया कि स्टेट बैंक के अनुरोध पर बॉन्ड में सिक्योरिटी फीचर डाले गए हैं. बॉन्ड जारी करने और भुनाने की प्रक्रिया इस तरह की है कि स्टेट बैंक के पास ना तो डोनर और ना ही राजनीतिक पार्टी का रिकॉर्ड होगा.

हालांकि पहले बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने क्विंट को सफाई दी थी कि,,,हां...इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए नंबर हैं!! लेकिन उनका मानना है कि ये सुरक्षा कारणों की वजह से हैं न कि पॉलिटिकल डोनेशन को ट्रैक करने के लिए.

लेकिन इस केस में भी .....यूनिक हिडेन नंबर्स की जरूरत क्यों पड़ी? एक कॉमन छिपा हुआ वाटरमार्क भी इसके लिए काफी था.

सॉरी...यहां कुछ तो गलत है...कई ऐसी भी चीजें जो फिलहाल नहीं दिख रही हैं... क्विंट ये उम्मीद करता है कि सरकार जल्द ही इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए नंबरों का माजरा समझाएगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 13 Apr 2018,02:39 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT