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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
एक RTI सवाल, लेकिन कई जवाब- हैरान हो गए ना!? हां, हम भी. क्विंट ने जनवरी 2020 में दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से एक आसान सा सवाल पूछा था- "कृपया दिल्ली की सभी सात सीटों में 2019 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाले VVPAT पर्चियों को जांचने की अनुमति दें."
लेकिन हमें दिल्ली के पांच जिला निर्वाचन अधिकारियों या कहें DEO से, तीन अलग-अलग RTI जवाब मिले.
पहला जवाब- VVPAT पर्चियों को निपटा दिया गया है, मतलब- नष्ट कर दिया गया इसलिए उन्हें देखने का कोई सवाल ही नहीं.
दूसरा जवाब- 2019 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल की गईं VVPAT पर्चियां जिला वेयरहाउस में सील पड़ी हैं लेकिन इस पर कोई सफाई नहीं कि हम उनकी जांच कर सकते हैं या नहीं.
अब एक सवाल का हमें तीन जवाब क्यों मिला और सच्चाई क्या है?
ये जानने से पहले, पहले जवाब पर गौर करते हैं , जो हमें 28 जनवरी 2020 को दिल्ली के पूर्वी जिला चुनाव अधिकारी से मिला. जिसमें लिखा है कि - "23 सितंबर 2019 के चुनाव आयोग की एक चिट्ठी के आदेश के मुताबिक, VVPAT पर्चियां खत्म कर दी गई हैं"
जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से "कागज काटने वाली मशीन" के जरिए VVPAT पर्चियां खत्म करने के लिए कहा गया था.
इसके आधार पर, 8 फरवरी को, क्विंट ने ये पूछते हुए एक आर्टिकल पब्लिश किया कि "EC को आम चुनाव की VVPAT पर्चियां नष्ट करने की इतनी जल्दी क्यों थी?"
हमने चुनाव कानून 1961 के नियम 94 (b) को उठाया, जिसमें कहा गया है कि "किसी भी चुनाव की VVPAT पर्चियों को एक साल तक संभाल कर रखा जाना चाहिए" लेकिन RTI जवाब में पता चलता है कि 2019 लोकसभा चुनावों की VVPAT पर्चियों को चार महीने के अंदर ही नष्ट कर दिया गया.
यहां ये भी गौर कीजिए कि प्रिंट की हुई और इस्तेमाल की हुईं VVPAT पर्चियां वोटिंग प्रक्रिया के दौरान संभावित छेड़छाड़ या हेरफेर का पता लगाने में अहम सबूत होती हैं.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने क्विंट के आर्टिकल के आधार पर फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दो निवेदन किए.
ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है लेकिन जैसा कि मैंने शुरुआत में ही कहा- हमें हमारे VVPAT पर्चियों के इंस्पेकशन की RTI पर कई जवाब मिले. दिल्ली के 7 संसदीय क्षेत्रों में से 5 में से जवाब आए 5 जवाब में से, 2 ने कहा कि इस्तेमाल हुई VVPAT पर्चियां नष्ट हो गई थीं. 2 ने कहा कि वो गोदामों में पड़ी हैं और एक ने कहा कि वो ये जानकारी शेयर नहीं कर सकते.
लेकिन हमारे पास EC और दिल्ली CEO द्वारा लिखी चिट्ठी भी हैं जिसमें साफ कहा गया है कि VVPAT पर्चियां नष्ट की जानी चाहिए जिसका मतलब है कि दिल्ली के दो DEO ने चुनाव आयोग के आदेश का पालन नहीं किया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के फाउंडर जगदीप चोकर ने कहा कि सभी DEO की अलग-अलग कार्रवाई "चुनाव प्रक्रिया के कुछ हिस्सों में निरंतरता की कमी का संकेत है ये चीजें मतदाताओं के मन में चुनावी प्रक्रिया को लेकर संदेह पैदा कर सकती हैं."
तो ये कुछ सवाल हैं जो हम चुनाव आयोग से पूछना चाहेंगे
इस्तेमाल हो चुकीं VVPAT पर्चियां हमारे चुनावों के लिए अहम हैं, उनका निपटारा कैसे किया गया, इसे लेकर एक बात क्यों नहीं है?
कुछ चुनाव अधिकारी उन्हें स्टोर कर रहे हैं, तो कुछ नष्ट? क्यों? क्या ये चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय नहीं है.?
क्या चुनाव आयोग और दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी जानते हैं कि कुछ DEO ने VVPAT पर्चियों को नष्ट करने के आदेशों का पालन नहीं किया.?
कम से कम मार्च 2020 तक नहीं है, जब हमें आखिरी RTI जवाब मिले. दिल्ली के कुछ DEO ने चुनाव आयोग के आदेश का पालन क्यों नहीं किया? क्या ये हमारी चुनाव प्रक्रिया की कार्य प्रणाली और अखंडता पर खराब असर नहीं डालता? हमारी RTI केवल दिल्ली के संसदीय क्षेत्रों पर केंद्रित थे लेकिन क्या दूसरे राज्यों और केंद्र शासित राज्यों ने चुनाव आयोग के नियमों का पालन किया?
क्या चुनाव आयोग को ये मालूम है?
और हां...
2019 लोकसभा चुनावों के 4 महीने के अंदर ही चुनाव आयोग ने VVPAT पर्चियों को नष्ट करने का आदेश क्यों दिया? जबकि ये सीधा-सीधा कानून का उल्लंघन है.
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