Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019EC को आम चुनाव की VVPAT पर्चियां नष्ट करने की इतनी जल्दी क्यों थी?

EC को आम चुनाव की VVPAT पर्चियां नष्ट करने की इतनी जल्दी क्यों थी?

नियमों का उल्लंघन करते हुए चार महीनों के भीतर ही इन VVPAT पर्चियों को नष्ट कर दिया गया

पूनम अग्रवाल
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हमारी चुनाव प्रक्रिया सुरक्षित है या नहीं और लोकतंत्र को किसी तरह का खतरा तो नहीं?
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हमारी चुनाव प्रक्रिया सुरक्षित है या नहीं और लोकतंत्र को किसी तरह का खतरा तो नहीं?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

चुनाव कानून 1961 के नियम 94 (b) में कहा गया है कि किसी भी चुनाव की VVPAT पर्चियों को एक साल तक संभाल कर रखा जाना चाहिए लेकिन क्विंट ने पाया कि चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल हुए VVPAT की सभी पर्चियों को नष्ट कर दिया है और वो भी मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव नतीजे आने के चार महीने के अंदर.

चुनाव के चार महीने के अंदर पर्चियां नष्ट कर दी गईं. ये क्विंट को चुनाव आयोग के सूचना अधिकारी ने एक RTI के जवाब में बताया. RTI के जवाब के साथ ही चुनाव आयोग की 24 सितंबर 2019 की एक चिट्ठी थी, जिसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को VVPAT की छपी हुई पर्चियों को नष्ट करने का आदेश था.

सवाल ये है कि केवल चार महीने में ही VVPAT की पर्चियों को नष्ट करने की हड़बड़ी और जल्दी क्या थी?

चुनाव आयोग VVPAT की पर्चियों को एक साल तक संभाल कर रख नहीं सका जबकि ये आपने और मैंने कैसे वोट दिया है, इसके महत्वपूर्ण सबूत हैं. याद रखें, जब हम वोट देते हैं तो VVPAT की पर्ची ही ये साबित करती है कि हमारा वोट हमारी पसंद के उम्मीदवार को गया है. अगर VVPAT की पर्ची में हमारी पसंद के उम्मीदवार का नाम नहीं दिखता है तो हम तुरंत बूथ पर VVPAT मशीन की खराबी के बारे में चुनाव अधिकारी को बता सकते हैं.

क्विंट ने पहले बताया था कि VVPAT की पर्चियां पूरी वोटिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी या छेड़छाड़ का पता लगाने के सबूत के तौर पर कितनी महत्वपूर्ण हैं. क्विंट ने दिखाया था कि हर बूथ में VVPAT मशीन बैलेट यूनिट से इस तरह से जुड़ी होती है कि जब हम अपना वोट डालते हैं तो यह पहले VVPAT मशीन में रिकॉर्ड हो जाती है और उसके बाद ही यह EVM की कंट्रोल यूनिट में जाती है.

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क्विंट ने यह भी दिखाया था कि कैसे हर क्षेत्र के लिए VVPAT मशीनों की पहचान की गई थी. उनकी दो हफ्ते तक जांच मरम्मत और प्रोग्राम सरकार द्वारा लगाए गए निजी इंजीनियर करते हैं. उस समय VVPAT मशीनों से छेड़छाड़ की आशंका साफतौर पर ज्यादा होती है. इसलिए अगर कोई  2019 लोकसभा चुनाव में EVM-VVPAT मशीनों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाता है तो VVPAT की पर्ची महत्वपूर्ण सबूत हो सकती हैं. लेकिन अब, जैसा कि इस RTI के जवाब से पता चला है, सभी VVPAT पर्चियों को नष्ट कर दिया गया है.

अब VVPAT की पर्चियों के साथ संभावित सबूत भी नष्ट हो गए हैं. एक ऐसे देश में जहां ‘बाबूशाही’ ऐसे कागजातों और फाइलों को भी दशकों तक दबाये रखती है जो किसी काम के भी नहीं होते हैं, मुझे आश्चर्य है कि VVPAT की इन पर्चियों को इतनी तेजी और तत्परता से क्यों नष्ट किया गया?

लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये चिंताजनक है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए चार महीनों के भीतर ही इन VVPAT पर्चियों को नष्ट कर दिया गया. चुनाव आयोग को इस जल्दबाजी का कारण बताना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव आयोग केवल असाधारण हालात में ही VVPAT की पर्चियों को नष्ट कर सकता है, जब उसके पास ऐसा करने का एक वैध कारण हो.

EVM-VVPAT मिसमैच की जांच पर EC का RTI जवाब(स्क्रीनग्रैब: क्विंट हिंदी)

हमने चुनाव आयोग के RTI जवाब की पूरी जांच की लेकिन VVPAT की पर्चियों को एक साल से कम समय में ही क्यों नष्ट किया गया. इसका साफ जवाब उसमें नहीं मिल पाया. क्विंट ने यह भी पाया कि राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और आंध्र प्रदेश में EVM और VVPAT की वोटों की गिनती के बीच अंतर होने के कम से कम 8 मामले सामने आए थे. चुनाव आयोग ने जुलाई 2019 में इन मामलों की जांच के आदेश दिए थे.

क्विंट ने RTI दायर करके इस जांच के बारे में जानकारी मांगी थी. चुनाव आयोग ने नवंबर 2019 में जवाब दिया कि इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि मामला अभी भी चुनाव आयोग की टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी के पास है. अब चुनाव आयोग ने इन 8 मामलों से संबंधित VVPAT पर्चियों नष्ट किया है या नहीं, इसके बारे में हमें नहीं पता लेकिन हमारे पास चुनाव आयोग का सितंबर 2019 का पत्र है जिसमें सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को अपनी VVPAT पर्चियों को नष्ट करने का आदेश दिया गया है. इसलिए अगर इन 8 मामलों से जुड़ीं VVPAT पर्चियां भी नष्ट हो गईं हैं तो EVM और VVPAT वोटों के बीच अंतर की जांच कैसे की जा सकती है?

और इसलिए, हम फिर से पूछते हैं चुनाव आयोग ने नियमों का पालन क्यों नहीं किया और चार महीने के भीतर VVPAT की पर्चियों को क्यों नष्ट कर दिया? क्या हम इसे वोट में छेड़छाड़ के सबूतों को नष्ट करना कहने की हिम्मत कर सकते हैं? चुनाव आयोग भारत के सबसे महत्वपूर्ण चुनावों की VVPAT पर्चियों को सुरक्षित क्यों नहीं रख सका? वह चुनाव जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री का फैसला करता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 Feb 2020,08:44 PM IST

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