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देश के मौजूदा आर्थिक हालात से लेकर कृषि सुधार, सरकार की आर्थिक नीतियों और अपनी आने वाली किताब 'ऑफ काउन्सल : द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकॉनमी' पर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने द क्विंट से खास बातचीत की.
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के खास कार्यक्रम 'राजपथ' में इकाॅनोमी के ताजा हालात पर चर्चा करते हुए अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि तेल के दाम बढ़ने से मची उथल-पुथल के बाद फिलहाल देश ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करने की स्थिति में आ गया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए आर्थिक सुधारों पर भी अपनी खास टिप्पणी की. उनका मानना है कि जीएसटी और आईबीसी (इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड) को लाना सरकार की बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है.
आईबीसी कितनी सफलता दे सकती है?
इस सवाल पर उन्होंने कहा- “आईबीसी के बिना कुछ नहीं हो रहा था. ये एक बड़ी कामयाबी है. इसमें भले ही थोड़ा समय लग रहा है, डेडलाइन छूट रहे हैं. ‘स्टिगमटाइज्ड कैपिटलिज्म’ की वजह से हमारा समाज ऐसा हो गया है कि अब हर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ रहा है. उसके बिना कुछ चलता नहीं है. और इसलिए इसमें समय लग रहा है.”
सरकार और आरबीआई के बीच चल रही तनातनी पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आखिर में नेता जनता के लिए जवाबदेह होते हैं. लेकिन स्वतंत्र संस्थाएं भी लोकतंत्र के लिए जरूरी है. आरबीआई की स्वायत्तता को सम्मान देना चाहिए.
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