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राजपथ | EX-CEA अरविंद सुब्रमण्यम ने बताई आर्थिक सुधार की मुश्किलें

“अब हर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ रहा है”

क्विंट हिंदी
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मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने द क्विंट से खास बातचीत की.
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मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने द क्विंट से खास बातचीत की.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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देश के मौजूदा आर्थिक हालात से लेकर कृषि सुधार, सरकार की आर्थिक नीतियों और अपनी आने वाली किताब 'ऑफ काउन्सल : द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकॉनमी' पर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने द क्विंट से खास बातचीत की.

क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के खास कार्यक्रम 'राजपथ' में इकाॅनोमी के ताजा हालात पर चर्चा करते हुए अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि तेल के दाम बढ़ने से मची उथल-पुथल के बाद फिलहाल देश ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करने की स्थिति में आ गया है.

पिछले 2-3 महीने में तेल के दाम काफी बढ़ गए थे. भारत से काफी पैसा निकला. लेकिन अच्छी खबर है कि तेल के दाम फिर से गिर गए और हालत कंट्रोल में है, मुद्रास्फीति भी कम हो गई है और अब हम ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. लेकिन ग्रोथ की स्थिति ये है कि ये पिछले क्वार्टर में ये 8% के करीब थी और अब 7% के करीब है. ऐसा लग रहा है कि दुनियाभर में इकाॅनोमिक स्लो डाउन होगा. ऐसे में हमारे देश को भी इसके लिए तैयार रहना पड़ेगा.
अरविंद सुब्रमण्यम
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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए आर्थिक सुधारों पर भी अपनी खास टिप्पणी की. उनका मानना है कि जीएसटी और आईबीसी (इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड) को लाना सरकार की बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है.

पिछले 3-4 साल में 2-3 बड़े रिफाॅर्म हुए हैं. जीएसटी लागू किया गया. हालांकि इसे लागू करने में थोड़ी दिक्कतें आईं लेकिन इतने कम समय में इतने सारे राज्यों को इसमें शामिल करना एक बड़ी उपलब्धि है. सरकार ने आईबीसी लागू किया. इसे मैं एक बड़ा फंडामेंटल रिफाॅर्म मानता हूं क्योंकि इसके बिना फाइनेंशियल सिस्टम की समस्याओं का निपटारा बहुत मुश्किल हो सकता था.
अरविंद सुब्रमण्यम

आईबीसी कितनी सफलता दे सकती है?

इस सवाल पर उन्होंने कहा- “आईबीसी के बिना कुछ नहीं हो रहा था. ये एक बड़ी कामयाबी है. इसमें भले ही थोड़ा समय लग रहा है, डेडलाइन छूट रहे हैं. ‘स्टिगमटाइज्ड कैपिटलिज्म’ की वजह से हमारा समाज ऐसा हो गया है कि अब हर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ रहा है. उसके बिना कुछ चलता नहीं है. और इसलिए इसमें समय लग रहा है.”

सरकार और आरबीआई के बीच चल रही तनातनी पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आखिर में नेता जनता के लिए जवाबदेह होते हैं. लेकिन स्वतंत्र संस्थाएं भी लोकतंत्र के लिए जरूरी है. आरबीआई की स्वायत्तता को सम्मान देना चाहिए.

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Published: 09 Dec 2018,08:39 AM IST

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