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वीडियो एडिटर: मो. इरशाद आलम
कैमरा: त्रिदीप के. मंडल
असम एनआरसी में शामिल न होने के बारे में पूछे जाने पर शम्सुल हक ने ये जवाब दिया. 35 साल तक भारतीय वायुसेना की सेवा करने के बाद शम्सुल अब एक रिटायर्ड सार्जेंट हैं. वे असम के बारपेटा जिले के बालुकुरी गांव में रहते हैं. शम्सुल, उनकी पत्नी नूरजहां और उनके दो बच्चों के नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी के हाल ही में जारी किए गए मसौदे में नहीं हैं.
2014 में जब शम्सुल भारतीय वायुसेना से रिटायर होने के बाद अपने गांव लौटे, तो उन्हें पता चला कि 1997 से चुनाव आयोग ने उनका नाम 'D वोटर' (डाउटफुल वोटर), यानी संदिग्ध मतदाता के रूप में लिस्टेड किया है. इतने साल तक उनका नाम आधिकारिक रिकॉर्ड में 'संदिग्ध' नागरिक के तौर पर रहा. फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने शम्सुल और उनकी पत्नी नूरजहां को नोटिस भेजा. उन्हें मार्च 2016 तक अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया.
लेकिन अब एनआरसी के मसौदे की घोषणा के बाद शम्सुल और उनके परिवार को एक बार फिर अपनी भारतीय नागरिकता की पहचान नए सिरे से साबित करनी है. एनआरसी में नामांकन के लिए उनके पास सभी जरूरी दस्तावेज मौजूद हैं.
शम्सुल और नूरजहां को भरोसा है कि उनका नाम एनआरसी में शामिल हो जाएगा.
सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद अजमल हक ने देश के लिए 30 साल तक सेवा की है. सितंबर 2016 में वे जूनियर कमीशंड ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए थे. उन्होंने पाकिस्तान बॉर्डर, चीन बॉर्डर समेत अजमल ने देशभर के कई हिस्सों में अपनी सेवाएं दीं. लेकिन अब एनआरसी में उनका नाम भी शामिल नहीं है.
असम के कामरूप जिले के चायगांव निवासी अजमल हक के मुताबिक वे, उनके पिता और उनके दादा भारत में ही पैदा हुए, फिर भी उनका और उनके परिवार का नाम एनआरसी में नहीं है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब पूर्व आर्मी ऑफिसर अजमल हक से उनकी नागरिकता पर सवाल उठे हैं. पिछले साल अजमल हक को नोटिस भेजकर उनको अपनी नागिरकता साबित करने के लिए कहा गया था.
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