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वैधानिक चेतावनी:
फेक न्यूज आपके दिमाग के लिए खतरनाक है और लोगों की जिंदगियों के लिए भी.
क्या कभी इस मेडिकल फ्रेज के बारे में सुना है?- WhatsApp से मौत? WhatsApp पर फैली अफवाहों ने बेंगलुरु में एक शख्स की जान लेली. उसे बांधा गया, सड़कों पर घसीटा गया और पीट-पीटकर मार डाला गया. भीड़ ने सोचा कि वो बच्चा चोर है.
भीड़ ने उन WhatsApp मैसेजेस के बाद ये कदम उठाया जिनमें कहा गया कि इलाके में बच्चों को चुराने वाला एक गैंग घूम रहा है. इसलिए जब ये शख्स बच्चों को मिठाइयां और चॉकलेट बांट रहा था तो लोगों ने उसे बच्चा चोर समझकर मार डाला. सिर्फ मई के महीने में ऐसी तीन घटनाएं और हुईं.
24 घंटे के अंदर तमिलनाडु में दो लोगों को मार डाला गया. वजह ? - एक WhatsApp मैसेज. WhatsApp अफवाहों ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कम से कम 5 लोगों की जान लेली.
क्या ये घटनाएं नई हैं?
नहीं!
बिना किसी खबर का सच जाने उसे शेयर करने की हमारी आदत ने WhatsApp को एक कातिल एप में बदल दिया है.
2017 में पश्चिम बंगाल में दंगों के दौरान WhatsApp पर एक महिला के छेड़छाड़ की तस्वीर वायरल हो गई. लेकिन जानते हैं सच क्या था? ये एक भोजपुरी फिल्म का सीन था.
लेकिन WhatsApp पर सच कैसे पता करें? सच ये है कि लोग पता करना चाहते ही नहीं हैं. अगर कोई मैसेज उनकी विचारधारा को सूट करता है तो वो उस पर यकीन कर लेते हैं. ये 'खास झुकाव' है.
ये फेक न्यूज के पॉपुलर होने की सबसे बड़ी वजह है.
अब मान भी लीजिए. करीबियों के फॉर्वर्ड WhatsApp मैसेज पर हम कम ही शक करते हैं. जैसे वो भरोसेमंद अंकल जिनके मैसेज पर शक होने पर आप सोचते हैं कि नहीं...शायद ठीक ही होगा. वो फेक न्यूज क्यों भेजेंगे? भेजा है तो सही ही होगा ! इतना लंबा है, जरूर कुछ सच है.
रुकिए!
फेक न्यूज के जाल में कोई भी फंस सकता है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि वैसे वो कितने भरोसे के काबिल हैं.
WhatsApp मैसेज end-to-end encrypted होते हैं. इसका मतलब ये है कि सिर्फ भेजने वाला और उसे रिसीव करने वाला ही मैसेज पढ़ सकता है. अथॉरिटीज के पास कोई कंट्रोल नहीं जिससे वो गलत सूचनाओं पर लगाम लगा सकें.
ये पता लगाना लगभग नामुमकिन है कोई फेक न्यूज शुरू कहां से हुई. तो एक तरह से एनक्रिप्शन प्राइवेसी को तो बनाए रखता है लेकिन फेक न्यूज में भी मददगार बनता है.
फेसबुक और ट्विटर के पैरोडी अकाउंट्स के जरिए भी आपको वेबकूफ बनाया जाता है. अब इन दो ट्वटिर अकाउंट को देखिए. राइट पर है रिपब्लिक टीवी का अकाउंट और लेफ्ट पर है उसी का पैरोडी अकाउंट. अब ये अकाउंट ट्विटर पर नहीं है लेकिन जब ये था तब इसने काफी फेक न्यूज फैलाई.
जैसे रिपब्लिक टीवी के फेक अकाउंट ने शेहला रशीद के नाम से फर्जी कोट डाल दिया. जिसके बाद WhatsApp पर ट्वीट के स्क्रीनशॉट घूमने लगे.
जब आप WhatsApp पर स्क्रीनशॉट रिसीव करते हैं और देखते हैं कि @republicTv ने इसे शेयर किया है तो शायद आप सोचते भी नहीं कि हो सकता है शेहला रशीद ने ऐसा कुछ न कहा हो. आप शायद ये भी नोटिस न करें कि ये एक फर्जी अकाउंट है, असली रिपब्लिक टीवी नहीं.
यही वजह है कि पैरोडी अकाउंट के स्क्रीनशॉट काफी खतरनाक हो सकते हैं. तो आगे से जब भी किसी ट्वीट का स्क्रीनशॉट मिले तो ये चेक जरूर करें कि वो ट्वीट किया भी गया है या नहीं.
20 करोड़ लोग WhatsApp यूज करते हैं. हर रोज हजारों नए लोग जुड़ रहे हैं. ये एप, बिना चेक की हुई फर्जी खबरों का अड्डा बनती जा रही है.
कैसे बचें?
तो सवाल ये है कि आप इससे कैसे बच सकते हैं?
सिर्फ इसलिए किसी मैसेज पर यकीन न करें क्योंकि वो आपकी राजनीतिक सोच से मिलता है.
ये भी देखें: Fake News का मायाजाल, ‘वेबकूफ’ बनने से ऐसे बचें
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