ये जमाना है फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और सोशल मीडिया का. ऐसे में आपके पास जो भी पिक्चर, वीडियो और डॉक्यूमेंट आ रहा है, हो सकता है कि वो फेक हो. इस इंटरनेट के जमाने में हम आपको बेवकूफ तो नहीं कहेंगे लेकिन 'वेबकूफ' जरूर बनाया जा रहा है. ये वेबकूफ बनने से कैसे बचें, इसके बारे में हमें जरूरी बातें बता रहे हैं Altnews.in के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा.
प्रतीक सिन्हा से जब हमने पूछा कि क्या आज के जमाने में फेक न्यूज रीयल न्यूज पर बहुत ज्यादा हावी है? क्या लोगों को कोई भी झूठी खबर, किसी सच्ची खबर से ज्यादा आकर्षित करती है? इस सवाल के जवाब में प्रतीक ने कहा-
फेक न्यूज को पहचानने की कोई टेक्नोलॉजी नहीं है. लेकिन गूगल पर न्यूज सर्च करने के दौरान कुछ Filter मौजूद हैं. लोगों को मालूम है कि इन Filter के इस्तेमाल से जानकारी जल्दी मिल जाती है. इसलिए इंडिया में फेक न्यूज पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
प्रतीक सिन्हा ने बताया, हाल ही में ओबामा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनका स्पीच और विजुअल को एडिट करके एक फेक स्पीच बना दी गई थी. हालांकि फिर उन्होंने ये भी कहा कि भारत में अभी फेक न्यूज का स्तर इतना ज्यादा बढ़ा नहीं है.
ग्रामीण इलाकों के लोग फेक न्यूज कैसे पहचानें?
शहर में रहने वाले लोगों के पास इंटरनेट है, वो शायद सच्ची और गलत न्यूज को समझते हैं. लेकिन ग्रामीण लोग, जो इंटरनेट की दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे लोग फेक न्यूज की कैसे पहचान करें? इस सवाल के जवाब में प्रतीक सिन्हा ने कहा, चूंकि फेक न्यूज को पहचानने की कोई टेक्नोलॉजी नहीं है, इसलिए उन लोगों को इसके बारे में एजुकेशन देने की जरूरत है.
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हमारे पास WhatsApp और ट्विटर तो है. लेकिन ऐसा कोई टूल नहीं है, जिससे पहचान सकें कि ये तस्वीर या वीडियो फेक है या असली.प्रतीक सिन्हा, को-फाउंडर, Altnews.in
प्रतीक सिन्हा ने बताया कि जिस तरह सोशल मीडिया का दायरा बढ़ रहा है. इसी वजह से धीरे-धीरे फेक न्यूज का दायरा बढ़ रहा है. भारत में WhatsApp से फेक न्यूज सबसे ज्यादा तेजी से फैलती है.
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