advertisement
सरकार के लिखित आश्वासन के बाद किसान आंदोलन (Farmers Protest) स्थगित हो गया है. 1 साल से ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब वापस घर लौटने लगे हैं. इन किसानों को घर लौटने की खुशी तो है, लेकिन लौटते वक्त ये भावुक भी हो जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि वापस गांव लौटते वक्त क्यों रोने लगे कुछ किसान.
टिकरी बॉर्डर पर घर वापसी की तैयारी कर रहे एक किसान द क्विंट से बातचीत के दौरान भावुक हो गए. जब उनसे पूछा गया कि आपकी आंखों में आंसूं क्यों है, तो उन्होंने कहा, ''ये खुशी के आंसूं हैं, हम जीतकर जा रहे हैं. कोई पीछे से हमें ये नहीं कहेगा कि बहुत बेकार लोग थे.''
उन्होंने आगे कहा, ''हम टिकरी बॉर्डर पर एक-एक दुकान पर जाकर पूछेंगे कि हमारे से कोई गलती तो नहीं हो गई? कोई उधार या कुछ और है तो हम आज उनसे माफी मांगकर जाएंगे. उनको गले लगकर जाएंगे.''
टिकरी बॉर्डर पर ही कुछ अन्य किसान भी क्विंट से बात करते वक्त भावुक हो गए. एक किसान दूसरे किसान के साथ लिपटकर रोने लगे.उन्होंने कहा, ''इतना बड़ा आंदोलन, अपनी मां को बचाने के लिए हम लड़े, हम भाई हैं.''
बॉर्डर पर लाइब्रेरी चलाने वाले एक अन्य किसान ने कहा, ''आज जब हम ट्रॉली पर सामान रख रहे थे तो आंख में आंसू आ गए, इस मिट्टी के साथ हमारा मोह जुड़ गया था.''
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)