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किसानों की घर वापसी: दिल्ली बॉर्डर पर बनी कुछ रिश्तेदारियां

किसान करीब 1 साल से चले आ रहे धरने को खत्म कर अपने घरों को लौट गए हैं.

साधिका तिवारी
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<div class="paragraphs"><p>Karnal में किसानों का धरना हुआ खत्म</p></div>
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Karnal में किसानों का धरना हुआ खत्म

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

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कृषि कानूनों और अपनी तमाम मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं. इस दौरान हर प्रदर्शनकारी किसान का अपना खास अनुभव रहा है. हमने ऐसे ही कुछ किसानों से बातचीत की.

हरियाणा के एक किसान अर्जुन सिंह कहते हैं, ''हमने सिर्फ दिल्ली ही नहीं जीती है, हमने लोगों का दिल जीत लिया है.''

अर्जुन और उनके साथी किसान, जो 15 महीने से अधिक समय से दिल्ली के आसपास तीन मुख्य स्थलों- टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, अब घर जा रहे हैं.

ढोल, कड़ाही, तंबू और अन्य सभी चीजों से भरा एक ट्रैक्टर- जिसके साथ किसान टिकरी बॉर्डर पर 15 महीने से अधिक वक्त से रह रहे थे.

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

(टिकरी बॉर्डर पर किसानों का खाली किया गया एक टेंट)

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

किसान 15 महीने से ज्यादा वक्त से कृषि कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित अन्य मुद्दों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

कानूनों को निरस्त करने और केंद्र से एक लिखित मसौदा प्रस्ताव के बाद, किसानों ने घोषणा की थी की वो अपना धरना खत्म कर देंगे और शनिवार, 11 दिसंबर को अपने घरों को लौट जाएंगे.

टिकरी बॉर्डर पर ट्रैक्टर के साथ एक किसान. घर वापसी के लिए उन्होंने अपने ट्रैक्टर को विजय मार्च के लिए सजाया है.

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

किसान संगठनों ने शनिवार को फतेह अरदास (विजय प्रार्थना) की और फिर घर की और वापस होकर अपना फतेह मार्च (विजय मार्च) शुरू किया.

सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेता सुबह कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे (केएमपी) के पास इकठ्ठा हुए और पंजाब की ओर मार्च शुरू किया. टिकरी बॉर्डर पर किसान नेता बहादुरगढ़ के किसान चौक पर जमा हुए थे.

टिकरी बॉर्डर पर लदे मिनी ट्रक, चारपाइयों और बिस्तरों के साथ, सभी सामान को वापस पंजाब ले जाने के लिए तैयार किया गया.

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

टिकरी बॉर्डर से अपने घरों को ओर निकलने का इंतजार करते किसान

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "लोगों ने बॉर्डर पहले ही खाली करना शुरू कर दिया है, इसमें 4-5 दिन लगेंगे. मैं 15 दिसंबर को निकलूंगा."

चीजों को लपेटे जाने से पहले एक धरना स्थल पर लंगर में आखरी बार रोटियां बनाती महिलाएं

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

सनी - 'पप्पी' का जन्म टिकरी में किसानों के विरोध के दौरान हुआ था और अब एक साल से अधिक समय तक टिकरी बॉर्डर पर विरोध करने के बाद घर जा रहे किसानो के साथ यह पंजाब जा रहा है

(फोटो: साधिका तिवारी/द क्विंट)

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