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नौकरी या राममंदिर: सरकार से कैब ड्राइवर्स को क्या चाहिए?

कैब में चर्चा: कैब ड्राइवर्स वो मंदिर चाहिए या रोजगार?

क्विंट हिंदी
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रोजगार या मंदिर: कैब वाले भाइयों को क्या चाहिए?
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रोजगार या मंदिर: कैब वाले भाइयों को क्या चाहिए?
फोटो: क्विंट हिन्दी

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कैमरा: शिव कुमार मौैर्या, ज़िजाह शेरवानी

वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

नौकरी चाहिए या मंदिर चाहिए? 2019 लोकसभा चुनावों का ऐलान के साथ नौकरी और राम मंदिर दोनों फोकस में आ गए हैं. अयोध्या में राममंदिर हमेशा से बीजेपी के लिए चुनावी मुद्दा रहा है और 2014 के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने मंदिर निर्माण का वादा किया था. लेकिन नरेंद्र मोदी ने 2014 में एक और वादा किया था सालाना 2 करोड़ नौकरियों का. अब मौका आ गया है कि किस मोर्चे पर वो खरे उतरे और जमीन पर लोग क्या चाहते हैं नौकरी या मंदिर.

एनएसएसओ की रिपोर्ट तो कहती है 2017-2018 में बेरोजगारी दर 45 साल में सर्वोच्च स्तर पर रही है. इसलिए इस बैकग्राउंड में अब जानना जरूरी है कि लोगों की पहली पसंद नौकरी है या राम मंदिर. कैब में चर्चा के इस नये एपिसोड में हमने कैब वाले भाइयों से बात की

कुछ लोग पूछ रहे हैं कि राम मंदिर कब बनाया जाएगा वहीं कई जानना चाहते हैं कि उन्हें नौकरी कब मिलेगी? तो कह सकते हैं कि एक बार फिर मुद्दा रोजगार या राम मंदिर ही है. . उनसे एक सवाल पूछा- राम मंदिर और नौकरी में क्या अधिक महत्वपूर्ण है? एक आसान सवाल का एक आसान जवाब जानना चाहा.

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वैसे सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी 2018 में बेरोजगारी दर 5.9 प्रतिशत थी, जो फरवरी 2019 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत  हो गई.

जब कैब ड्राइवरों ने मंदिर और रोजगार में किसी एक को चुनने को कहा गया तो ज्यादातर ने नौकरी को चुना. उनके अनुसार, रोजगार जरूरी है और जिंदगी के लिए महत्वपूर्ण है. अंत में पैसा ही है जो जीने के लिए मायने रखता है. हालांकि अधिकतर कैब ड्राइवर्स का ये भी कहना है कि अयोध्या में निश्चित रूप से राम मंदिर बनना चाहिए,

लेकिन दोनों मुद्दों को तराजू पर रखने पर सभी कैब ड्राइवर्स का फैसला है: मंदिर का मुद्दा महत्वपूर्ण है, लेकिन मुख्य मुद्दा बेरोजगारी ही होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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