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वीडियो एडिटर और एनिमेटर: कुणाल मेहरा
इलस्ट्रेटर: अरूप मिश्रा
कैमरा: स्मिता टीके, विक्रम वेंकटेश्वरन, रोमानी अग्रवाल
प्रोड्यूसर: स्मिता टीके, विक्रम वेंकटेश्वरन, त्रिदीप मंडल
एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: रितु कपूर, रोहित खन्ना
दोपहर के 2:30 बजे थे. फर्श पर शराब बह रही थी और जोर से खर्राटे की आवाज आ रही थी.तभी अचानक बच्चा नींद में ही उछल गया. नमक और मिर्च की एक चुटकी के साथ एक डोसा, उसकी भूख को शांत नहीं कर पा रहा था. उसी वक्त राजी की बहन घर आई और उसने कहा कि उसके लिए एक नौकरी है. राजी अपने इलाके में एक लोकप्रिय मेकअप आर्टिस्ट थी. तुरंत उसने अपनी किट पकड़ ली और जल्दी से बाहर आ गई.
अगले दिन, उसकी बेटी एक खाली थाली लेकर उसके पास आई, मकान मालिक ने उसे किराए के पेमेंट को लेकर धमकी दी और उसके पति ने शराब के लिए घर के सारे पैसे ले लिए. इसके बाद वो फिर इस काम पर लौट आई. इस बार अपनी मर्जी से आई.
चेन्नई की गलियों में इस तरह की कई कहानियां मिल जाएंगी. दरअसल, आधी रात के बाद आप शहर के किसी इलाके में चले जाएं, अलवरपेट, टी नगर, माइलापोर, पोरुर यहां तक कि आईटी कॉरिडोर में भी लोग सेक्स वर्कर्स के सच को अनदेखा करते हैं. जबकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डेटा के मुताबिक.चेन्नई इस मामले में दूसरे मेट्रो शहरों जैसा है. इसलिए बेहतर ये होगा कि इन सेक्स वर्कर के वजूद को मान लिया जाए उनकी जिंदगी को समझने की कोशिश की जाए.
जब इन महिलाओं से सेक्स वर्कर बनने की वजह पूछी जाती है तो उनके जवाब लगभग एक जैसे होते हैं. अपमान, दुर्व्यवहार, बचपन में शादी, गरीबी जैसी मजबूरियों ने सेक्स वर्कर्स बनने पर मजबूर कर दिया. यहां चुनिंदा सेक्स वर्कर्स की उस कहानी को बताने की कोशिश की गई है, जो वो रोजमर्रा की जिंदगी में झेलती हैं.
दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में रेड लाइट एरिया मौजूद हैं,यहां चेन्नई में फिल्मी स्टारों के बड़े-बड़े कटआउट के लिए तो खूब जगह हैं.लेकिन इन महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है. इसलिए ना तो ये एक साथ एक जगह मिलकर रह पाती हैं. और ना ही एक दूसरे का ख्याल रख पाती हैं. इन्हें हमेशा पुलिस, बचौलियों और ग्राहकों के हाथों जलील होना पड़ता है. इन अपमानों को ये महिलाएं स्वीकार कर चुकी हैं.क्योंकि वो अगर ये काम नहीं करेंगी तो इनको पैसे नहीं मिलेंगे.
एक झलक देखिए कि इस डॉक्यूमेंट्री को किस तरह से बनाया गया.
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