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वीडियो एडिटर- पूर्णेन्दु प्रीतम
"चतुर्भुज स्थान के बच्चों को जल्दी स्कूल में एडमिशन नहीं मिलता है. कहते हैं लोग उस गंदे माहौल से आई है. इसलिए एडमिशन नहीं होगा. कहते हैं कि चतुर्भुज स्थान के बच्चों की वजह से स्कूल के बाकी बच्चे खराब हो जाएंगे." ये बातें बिहार के मुजफ्फरपुर के बीच शहर में बसे एक रेड लाइट एरिया में रहने वाली बेबी कहती हैं.
बेबी (बदला हुआ नाम) को टोकते हुए आयशा (बदला हुआ नाम) गुस्से में कहती हैं कि जो भी लोग कहते हैं वो उनकी सोच है.
नेता चुनावों के दौरान कई तरह के मुद्दों पर चर्चा करते हैं, लोग बहस करते हैं. लेकिन इन इलाकों में रहने वाली महिलाओं के बारे में बात कम ही होती है. न ही इनकी जिंदगी कभी चुनावी मुद्दा बन पाती है. क्या इन लोगों के लिए चुनाव नई उम्मीदें लेकर आता है? यही जानने के लिए क्विंट पहुंचा मुगलकालीन इतिहास वाले रेड लाइट एरिया 'चतुर्भुज स्थान'. चतुर्भुज स्थान देश के सबसे पुराने रेड लाइट एरिया में से एक है.
इस सवाल के दो जवाब मिले. पहला जवाब- नेता वोट मांगने के लिए इस इलाके में आते हैं. दूसरा- यहां नेता नहीं आते हैं बल्कि अपने लोगों को भेजते हैं. वोट मांगते हैं.
शबाना (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि जब उन लोगों को वोट लेना होता है तब ये इलाका अच्छा लगता है लेकिन जब काम कराना होता है तो कहते हैं, बदनाम इलाका है.
बेबी कहती हैं कि नेताओं ने कई वादे किए कि यहां के बच्चों के लिए अलग स्कूल होगा, नौकरी देंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ.
शमां (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "हम लोग चाहते हैं जो हम हैं वो हम लोगों के बच्चे न बनें. बच्चों को अच्छी सोसाइटी मिले. पढ़ लिखकर कुछ बने. मुझे कोई अगर गलत नजर से देखता है तो देखे, उसकी नजर है. लेकिन हम ये चाहते हैं कि जो हमारा बच्चा है उसको इज्जत मिले.”
5 साल से इस इलाके में रह रही 26 साल की खुशबू (बदला हुआ नाम) बताती हैं, मैं 5 सालों से यहां हूं. बहुत सारी परेशानी होती है. सरकार आम लोगों को बिना घूस के नौकरी देती नहीं है. ग्रेजुएट होना चाहिए या घूस दीजिए. बहुत सी तकलीफ हैं. फैमिली है तो फैमिली को चलाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट दिया था तो खुशबू गुस्से में बात को खत्म करते हुए कहती हैं कि पिछली बार नरेंद्र मोदी को वोट दिया था. कमल के निशान पर. इस बार मैं शायद सोचूंगी. सोचूंगी क्या, मैं नहीं दूंगी इस बार वोट. क्योंकि उनके आने से हमारी लाइफ तो कुछ बदली है नहीं. जैसा कल था आज भी वैसा ही है.
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