Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Feature Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली:झुग्गी में रहने वाली ये लड़कियां टाॅपर नहीं, मिसाल जरूर हैं

दिल्ली:झुग्गी में रहने वाली ये लड़कियां टाॅपर नहीं, मिसाल जरूर हैं

मिलिए दिल्ली के स्लम एरिया में रहने वालीं इन लड़कियों से जिनके लिए शिक्षा ही सब कुछ है

शुभांगी मिश्रा
फीचर
Updated:
दिल्ली:  झुग्गी में रहने वाली इन लड़कियों के लिए शिक्षा ही है असली एंपावरमेंट
i
दिल्ली: झुग्गी में रहने वाली इन लड़कियों के लिए शिक्षा ही है असली एंपावरमेंट
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

दिल्ली के सरिता विहार में रह रही प्रीति ने 92% से 12वीं क्लास पास की. बेबी ने 75.5%, गुड़िया ने 84% और अंकिता ने 88.4% के साथ 12वीं क्लास पास की है.

दिल्ली के सरिता विहार में रह रही प्रीति, बेबी, गुड़िया और अंकिता से जिन्होंने इसी साल 12वीं पास की है.

भले ही इन लड़कियों का नाम CBSE की टॉपर लिस्ट में नहीं है लेकिन फिर भी ये मिसाल हैं. क्योंकि झुग्गी में रहने वाली इन लड़कियों के लिए सबसे जरूरी है शिक्षा. परिस्थितियों का साथ न मिलने के बावजूद इन्होंने मेहनत जारी रखी और सपनों को पूरा करने की तरफ एक कदम और बढ़ा लिया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अंकिता कहती हैं- उन्हें शुरु से पढ़ने का शौक था, लेकिन वो काफी बीमार रहती थीं.

“मैं फिजिकली फिट नहीं थी इसकी वजह से मुझे कुछ दिक्कतें झेलनी पड़ी. मुझे अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी भी पड़ी.”

बावदूद इसके अंकिता ने 88.4% के साथ 12वीं पास की.

प्रीति का भी सफर आसान नहीं रहा.

हमारे पास ज्यादा बड़ा घर नहीं है.  2 रूम में 9 लोग रहते हैं, तो उस वक्त दिक्कतें काफी ज्यादा थीं. ज्यादा पढ़ने के लिए जगह नहीं होती थी. मेरी मम्मी की तबीयत ज्यादा खराब रहती थी तो उस वक्त घर संभालना पड़ता था. घर की जिम्मेदारियां देखना और पढ़ाई देखना थोड़ा मुश्किल हो गया था.
प्रीति

प्रीति 92% मार्क्स लेकर आई हैं.

NGO ने की राह आसान

इन लड़कियों की सबसे बड़ी जीत ये थी कि वो 12वीं क्लास पास कर पाएं. और इनकी मदद के लिए आगे आया कोशिश NGO स्कूल. इस स्कूल में करीब 150 छात्रों ने क्लास 1 से 12वीं तक दाखिला लिया है.

इस स्कूल में टीचर हर एक बच्चे को क्वालिटी टाइम देने की पूरी कोशिश करते हैं ताकि उन्हें सारे कॉन्सेप्ट शुरुआत से पता हो.

हमारा काम है कि कॉन्सेप्ट को ठीक से समझाया जाए, जो टेक्स्ट बुक में नहीं मिल पाती है. और अगर बच्चों ने एक बार कॉन्सेप्ट समझ लिया तो उसे पूरी जिंदगी याद रख सकेंगे. वो जहां जाएंगे, वहां उसे अप्लाई कर सकते हैं.
अजंता चक्रवर्ती, फाउंडर-डायरेक्टर, कोशिश स्कूल 

सभी उम्मीदों पर खरा उतर कर अब इन लड़कियों का सपना है अपने पैरों पर खड़ा होना और आगे बढ़ते रहना. अंकिता, बेबी और गुड़िया ने टीचर बनने का सोचा है प्रीति का सपना है कि वो IAS अफसर बनें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 20 May 2019,06:54 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT