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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
"इक बार तो खुद मौत भी घबरा गई होगी...
यूं मौत को सीने से लगाता नहीं कोई..."
कैफी आजमी के इन अलफाजों के जरिए नसीरूद्दीन शाह ने अभी इरफान खान को अलविदा कहा ही था... चंद घंटे बाद ये लफ्ज ऋषि कपूर के लिए भी सही साबित हो गए.
ऋषि कपूर, भारत के पहले फिल्मी घराने से, कपूर खानदान से आते थे. पृथ्वी राजकपूर के पोते, राज कपूर के बेटे, शम्मी और शशि कपूर का भतीजा, रणबीर के पापा, नीतू सिंह के पति, करिश्मा और करीना के चाचा. बचपन से जैसे बॉलीवुड उनके रगों में बहता था! पहली लीड रोल वाली फिल्म 'बॉबी' ब्लॉकबस्ट रही और ऋषि रातों रात स्टार बन गए. वो मफलर, वो स्वेटर, नीतू सिंह के साथ परि कथाओं सी उनकी प्रेम कहानी... ये सब दर्शकों के दिल में बस गया था. दर्शकों ने उन्हें सिर माथे पर बिठा लिया था.
ऋषि कपूर से उलट इरफान खान- कामयाबी के लिए वो तड़प, कभी हार न मानने वाले, राजस्थान के टोंक से आए टैलेंट की टैंक, जो एक्टिंग करने के लिए घर से झूठ बोलकर भागे, ड्रामा स्कूल में दाखिले कि लिए झूठ बोला, कोई रहनुमा नहीं, और जिन्होंने मुंबई में पहले ब्रेक के लिए 15 साल इंतजार किया. उनकी पत्नी, राइटर सुतपा सिकदर, जो कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में उनकी क्लासमेट भी थीं, इरफान को कुछ यूं बयां करती हैं:
जो ऋषि कपूर को विरासत में मिली, इरफान ने लड़-लड़कर हासिल की... और दोनों कामयाब हुए. यही है बॉलीवुड. ये जो इंडिया है ना... ये देश ही कुछ ऐसा है!
दो अलग धाराएं, जिंदगी में भी और बॉलीवुड में भी. लेकिन ऋषि कपूर और इरफान, दोनों ने अपनी पेशे को अपना सबकुछ दे दिया... हमें अपनी एक्टिंग में डुबा दिया लेकिन प्यास फिर भी रह गई.
आखिर में साकिब लखनवी के ये अलफाज- “जमाना बड़े शौक से सुन रहा था... हमीं सो गए दास्तां कहते-कहते…”
ये जो इंडिया है ना… ये इरफान और और ऋषि कपूर, दोनों को बहुत मिस करेगा.... आप जहां भी हैं... भगवान आपकी आत्मा को शांति दे.
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