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कश्मीर: सबके चेहरों पर मुस्कान बिखेरती है ‘शर्मीली’ सी RJ राफिया

एनकाउंटर और मौत की खबरों के बीच, राफिया की आवाज घाटी में खुशहाली की आवाज बन रही है  

ऐजाज खान
फीचर
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काफी कम समय में राफिया घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बन गई हैं.
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काफी कम समय में राफिया घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बन गई हैं.
(फोटो: द क्विंट)

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

कैमरा: ऐजाज खान

अपने पहले डिबेट काॅम्प्टिशन से एक रात पहले, राफिया रहीम काफी डरी हुई थीं. वो याद करती हैं कि कैसे उनके अब्बा ने उन्हें स्टूल पर खड़ा कर एक नकली माइकनुमा चीज पकड़ाकर स्पीच की प्रैक्टिस कराई.

आज, वो बडगाम से पहली महिला रेडियो जॉकी बन गई हैं.

सेंट्रल कश्मीर के बडगाम जिले के शहर चरारे शरीफ की निवासी राफिया, रेडियो मिर्ची 98.3 एफएम पर दोपहर का शो होस्ट करती हैं. इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय वो किस्मत और लोगों से मेलजोल में उनकी दिलचस्पी को देती हैं.

मेरे प्रोग्राम को ढेर सारे काॅलर्स का फीडबैक मिलता है. सुनने वाले या तो बोर होते हैं, या थके हुए या तनाव में. मैं अपने प्रोग्राम से उन्हें एंटरटेन करने और उन परेशानियों को दूर करने की कोशिश करती हूं.
राफिया रहीम
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राफिया ने कश्मीर यूनिवर्सिटी के मीडिया एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली है. इससे पहले, वो दूरदर्शन के लिए गुड मॉर्निंग J&K जैसे कार्यक्रमों को होस्ट कर चुकी हैं.

मेरे परिवार में अम्मी, अब्बू और दादी मां हैं. मेरे 2 भाई हैं जो मुझसे छोटे हैं. मेरे पिता बढ़ई का काम करते हैं. कम कमाई होने के बावजूद उन्होंने हमें बड़े सपने देखने से नहीं रोका. मैं आज जो भी हूं उसके लिए मेरे पिता ने मुझे हौसला दिया.
राफिया रहीम

काफी कम समय में राफिया घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बन गईं हैं.

वो कहती हैं, “हाल ही मेें एक शादी में बच्चे से लेकर बड़े तक मेरे बारे में बात कर रहे थे. वो बात कर रहे थे कि कैसे मैं यहां से पहली आरजे बनी. अच्छा लगता है कि लोग मुझे अब पहचानते हैं, हालांकि मैं थोड़ी शर्मीली हूं.”

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Published: 16 Aug 2018,01:33 PM IST

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