advertisement
कैमरापर्सन: अभिषेक रंजन,सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
‘मी, द चेंज’ पहली बार वोट करने जा रही ऐसी महिलाओं के लिए द क्विंट का कैंपेन है, जिन्होंने कोई भी, छोटी या बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस कैंपेन में द क्विंट नाॅमिनेशन के जरिए इन असाधारण महिलाओं की कहानियों को आपके सामने पेश कर रहा है. अगर आप भी ऐसी किसी बेबाक और बिंदास महिला को जानते हैं, तो हमें methechange@thequint.com पर ईमेल करके बताएं.
क्या हम पर सच में 'गोरे' होने का भूत सवार है? क्या आपकी त्वचा का रंग आपके करियर में या सपनों को पूरा करने में बाधा बन सकता है? अफसोस कि कई केस में इसका जवाब हां है.
मगर 23 साल की सुपर मॉडल संगीता घारू, इस भेदभाव को मानने के लिए तैयार नहीं थी. वो कहतीं हैं कि वो अपने रंग को लेकर बिल्कुल सहज हैं और दूसरों को भी इससे सहज कर देंगी, खासकर कि वो जो भारत के फैशन इंडस्ट्री में काम करते हैं. वो खुद को ''डार्क और डेडली'' कहना पसंद करती हैं.
संगीता जोधपुर के एक मारवाड़ी परिवार में पैदा हुई थीं. उनके पिता, इंडियन एयरफोर्स में एक कुक हैं. वो चाहते थे कि उनकी बेटी आर्मी अफसर बने. लेकिन करियर को लेकर संगीता के तो अलग ही प्लान थे. जब वो क्लास 8 में पहुंचीं, तब तक उन्होंने तय कर लिया था कि वो मॉडल ही बनेंगीं.
कॉलेज में उन्हें पढ़ाई और फैशन शो के बीच किसी एक को तवज्जो देने के लिए काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता था. बाद में उन्होंने अपने परिवार के खिलाफ जाकर जयपुर में प्रोफेशनल मॉडलिंग करने का फैसला लिया.
आज घारू एक कामयाब मॉडल हैं. वो 30 से ज्यादा लेबल के लिए रैंपवॉक कर चुकी है पर उनका राजस्थान से रैंप तक का सफर आसान नहीं था.
वो कहती हैं, उनके रंग की वजह से कई चीजें मुश्किल हो गई थी.
संगीता को मेकअप करना पसंद है पर फेयरनेस क्रीम में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. वो आसानी से अपने आप को किसी भी ग्लैमरस लुक में ढाल सकती हैं.
संगीता 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट डालेंगी.
क्या आप संगीता घारू जैसी किसी और बेबाक, बिंदास महिला को जानते हैं? तो उनको द क्विंट के ‘मी, द चेंज’ कैंपेन के लिए नॉमिनेट करें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)