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रुचि गिरधर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में नर्स हैं. वह सुबह 5:30 बजे उठती हैं. 8 बजे उन्हें अस्पताल पहुंचना होता है. अस्पताल पहुंचकर उन्हें पिछली शिफ्ट की नर्स से हैंडओवर लेना होता है.
रुचि गिरधर बताती हैं कि कभी-कभी उन्हें अपनी शिफ्ट में तय समय से ज्यादा भी काम करना होता है. शिफ्ट खत्म होने के बाद अस्पताल से सही समय पर तो कभी नहीं निकल पाते. अक्सर अपनी शिफ्ट से ज्यादा समय काम करना होता है.
रुचि गिरधर बताती हैं कि उनके घर में पति और दो बच्चे हैं. पति उनका काफी ध्यान रखते हैं. इसी वजह से वह नौकरी कर पा रही हैं. हालांकि बच्चे होने के बाद परिवार की तरफ से उन पर नौकरी छोड़ने का दबाव था. लेकिन उनके पति ने पूरा साथ दिया था.
महिला होने की वजह से रुचि ने कई बार खुद पर दबाव महसूस किया है. वह बताती हैं कि इस दुनिया में पुरुषों को ज्यादा अहमियत दी जाती है. उन्हें कभी-कभी लगता है कि पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले घर को कम देखना पड़ता है.
रुचि गिरधर को मरीजों की देखभाल करना बहुत अच्छा लगता है. लेकिन उन्हें बुरा लगता है जब मरीज की काफी देखभाल करने और कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सकता.
बता दें, भारत में 90% से ज्यादा नर्स महिलाएं हैं. भारत में मई 2017 तक करीब 1.4 मिलियन नर्सों की कमी थी. दुनिया की हेल्थ सिस्टम रैंकिंग में भारत का 112वां स्थान है. साल 2030 तक भारत में 60 लाख नर्सों की जरूरत होगी.
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