advertisement
वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
कैमरा: अभिषेक रंजन, सुमित बडोला और शिव कुमार मौर्य
भारत में एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए 6 सितंबर 2018 एक अहम दिन था. भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया. होमोसेक्सुअल कपल को प्यार करने की आजादी मिली.
लेकिन इसके बाद ऐसे जोड़ों की रोजमर्रा में कैसे बदलाव आए. ये जानने के लिए हमने 3 जोड़ों से बात की और हमें मिली प्यार की अनूठी परिभाषा.
रूथ क्रिमिनल साइकाॅलजी की पढ़ाई कर रही हैं. वो साथ ही नजरिया नाम का ऑर्गनाइजेशन भी चलाती हैं. ये भारत में एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों के लिए लड़ता है. इसी के जरिये वो अपनी मौजूदा पार्टनर भव्या शर्मा से जुड़ीं. भव्या आर्टिस्ट हैं.
भव्या रुथ के साथ रिश्ते में आने की वजह बताती हैं. वो कहती हैं-
आदित्य और विकास एक दूसरे को 2 साल से डेट कर रहे हैं.
आदित्य कहते हैं, भारत में पुरुष हमेशा से एक दूसरे का हाथ पकड़ते आए हैं. अभी भी ऐसा होता है. लेकिन इसके साथ एक अपराधबोध भी आता है कि आपको स्वीकार नहीं किया जाता. मेरे लिए ये पहली बार हुआ कि मैं किसी के साथ रहने लगा.
आदित्य के साथ रहने पर उनके पार्टनर विकास से उनके कई करीबी दोस्तों ने दूरी बना ली.
ये जोड़ी डेटिंग ऐप से मिली.
नैना की पार्टनर लामिया अपने रिश्ते के बारे में घर में बताना चाहती हैं लेकिन उन्हें लगता है कि उन्हें घरवाले स्वीकार नहीं करेंगे.
नैना हर पैरेंट को कहना चाहती हैं, अगर आपका बच्चा या कोई भी आपके पास आता है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वो आप पर भरोसा करते हैं. वो उस चीज का सामना करने का भरोसा करते हैं जो उन्हें सालों से परेशान कर रहा है. चाहे उन्हें कितना भी समय लगे. इसलिए अपने मन में पूरे ‘समाज’ की चीज रखने की बजाय, उन्हें सुनें और उनका साथ दें.
वहीं रूथ का कहना है-
‘समाज’ क्या कर सकता है? मैं मानती हूं कि मांं-बाप को अपने बच्चों को खुद के ‘विस्तार’ के रूप में नहीं समझना चाहिए. उनकी अपनी जिंदगी है. मुझे ऐसा लगता है कि आपको पहले खुद के बारे में सोचना चाहिए. समाज के बारे में इतना न सोचें और सोचें कि आप असल में क्या चाहते हैं और आप किसके साथ रहना चाहते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)