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आपका चेहरा आपकी पहचान होता है. लेकिन जरा सोचिए आगर आप उसी चेहरे को आईने में न पहचान पाएं तो इससे ज्यादा भयानक क्या होगा. एसिड अटैक सर्वाइवर्स की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है. घर की दहलीज से जब ये कदम बाहर रखतीं है, तो इन्हें हर बार ये सोचना पड़ता है कि कहीं इन्हें देख कर कोई डर तो नहीं जाएगा..!
हैवानियत का शिकार हुई ये लड़कियां अपनों की ही नफरतों की सूली चढ़ जातीं हैं, जिंदगीभर साथ निभाने और मोहब्बत का भरोसा देने वाला प्यार ही इनकी सारी उम्मीदें छीन कर अंधेरों में धकेल देता है. तेजाब ने इनके चहरे को ही नहीं, बल्कि इनके ख्वाबों और हिम्मत को भी जला कर रख दिया है. लड़खड़ते हुए कदमों से ही सही, लेकिन ये लड़कियां अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं.
स्टेट लेवल पर बॉलीवॉल खेल चुकी रितु सैनी के सारे सपने एसिड अटैक के साथ जलकर खाक हो गए. रिजेक्शन की शिकार रितु एसिड की खुलेआम बिक्री पर सवाल उठाती है. समाज के लिए मिसाल बनी रितु अपनी कोशिश से समाज की सोच को बदलना चाहती हैं.
नीतू के साथ उसकी मां गीता भी एसिड अटैक का शिकार हुई थी, जो कि उनके पति ने ही उन दोनों पर किया था. वो अपने पति की उस नफरत को याद करते हुए कहती हैं कि ‘मैरा पति मुझे हमेशा ये कहकर धमकाया करता था कि ‘’मैं तेरा ऐसा चेहरा कर दूंगा कि जब भी तू आईना देखेगी, मुझे याद करेगी’’.
रूपा अपनी सौतेली मां के हाथों इस बर्बरता की शिकार हुईं. मां को खोने के बाद अपना चेहरा और अपनी पहचान को खो दिया, लेकिन हार नहीं मानी को एक बार फिर अपने हौसलों से दुनियां जीतने निकली हैं.
अब दीपिका पादुकोण एसिड अटैक सर्वाइवर्स पर फिल्म ‘छपाक’ लेकर आ रही हैं. ये एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर बनी है, जिनपर 2005 में एक लड़के ने एसिड फेंक दिया था. एसिड अटैक सर्वाइवर्स की तकलीफों और उनके मजबूत जज्बे को दिखाती क्विंट की ये डॉक्यूमेंट्री देखिए.
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