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दीपिका पादुकोण, ट्रोल आर्मी से मत डरिए, वो खुद आपसे डरी हुई है...

क्या वाकई दीपिका ने जेएनयू जाकर कोई गलती की है? उनका जेएनयू जाना लोगों को इतना चुभ क्यों रहा है?

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

देश की टॉप एक्ट्रेस दीपिका पर जेएनयू जाने के बाद हर तरफ से हमले हुए. #BoycottChhapaak, #BoycottDeepika, #ShameOnBollywood जैसे हैशटैग उनके खिलाफ ट्रेंड हुए. उनकी आने वाली फिल्म ‘छपाक’ को बॉयकॉट करने की धमकी दी गई.

बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर बग्गा, फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री, अशोक पंडित जैसे बड़े नामों के साथ-साथ पूरी राइट विंग ट्रोल आर्मी दीपिका के पीछे पड़ गई. उन्हें पाकिस्तान जाने की नसीहत दी गई, 'टुकड़े टुकड़े गैंग' का सपोर्टर बताया गया. क्यों?

क्योंकि दीपिका जेएनयू गईं. वो जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष के पीछे खड़ी नजर आईं, उनसे मुलाकात की. जब कन्हैया कुमार जेएनयू में ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘आजादी’ के नारे लगा रहे थे, तब दीपिका पादुकोण वहां खड़ी थीं.

तो क्या वाकई दीपिका ने जेएनयू जाकर कोई गलती की है? उनका जेएनयू जाना लोगों को इतना चुभ क्यों रहा है?

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था- जहां कोई डर न हो, जहां सिर ऊंचा कर जी सकें, वहां जन्नत है... तो क्यों दीपिका अपने मन की बात नहीं कह सकती हैं? वो क्यों घायल छात्रों के साथ खड़ी नहीं हो सकतीं? छात्रों के हक के लिए खड़ा होना कब से गलत हो गया?

जो लोग दीपिका पर आरोप लगा रहे हैं कि वो अपनी फिल्म छपाक के प्रमोशन के लिए जेएनयू गई थीं, उनसे मैं तो ये कहना चाहती हूं कि बाकी कई सेलेब्स की तरह चीप पीआर स्टंट्स की बजाय, अगर दीपिका छात्रों पर हमले के खिलाफ खड़ी होकर अपनी फिल्म प्रमोशन कर रही हैं, तो ये बेहतर है.

दीपिका और उनके लिए काम करने वाले तमाम लोगों को क्या ये अंदाजा नहीं था कि अगर वो जेएनयू गईं, तो सपोर्ट से ज्यादा विरोध  होगा. फिर भी उन्होंने ये रिस्क लिया. अनुराग कश्यप ने कहा भी है कि दीपिका इस फिल्म की प्रोड्यूसर होते हुए भी गईं, इसलिए उनके लिए इज्जत बढ़ गई है. तो बात यही सही लगती है कि दीपिका नुकसान की परवाह किए बिना जेएनयू गईं.

दूसरी बात ये भी है कि जो लोग फिल्म ‘छपाक’ का बहिष्कार करने की कसमें खा रहे हैं, वो ये भी सोच लें कि कहीं वो एसिड अटैक सर्वाइवर्स के खिलाफ भी तो नहीं खड़े हो गए हैं, क्योंकि ये फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर बनी है.

तो कुल मिलाकर दीपिका के विरोध की कोई वाजिब वजह नहीं... इस सर्द मौसम में अपने घरों में बैठकर दीपिका के खिलाफ ट्वीट करना, उन्हें एंटी-नेशनल कहना काफी आसान है. जेएनयू में छात्रों के पीछे खड़ा रहने के लिए हिम्मत चाहिए. वो हिम्मत जो दीपिका पादुकोण ने दिखाई है.

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