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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
"हिंदू खतरे में है", "2040 तक भारत में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा हो जाएगी..", "हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है..", "लव जिहाद हो रहा है, साजिश हो रही है..", "जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है.."
सच बताइएगा, आपके Whatsapp, फेसबुक, ट्विटर, गली मोहल्ले, चाय की दुकान पर ये वाला मैसेज शेयर हुआ है न? लेकिन क्या सच में 2040 या 2050 तक भारत में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा हो जाएगी.. आपके नेता इसे सही कहते हों लेकिन आंकड़े मतलब डेटा चीख-चीख कर कह रहे हैं कि नेता जी और नफरत की बीमारी वाले कम्यूनल लोग आपको बेवकूफ बना रहे हैं. आपसे झूठ बोल रहे हैं. इसलिए हम पूछ रहे हैं, जनाब ऐसे कैसे?
अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research centre) ने Religious Composition of India नाम से एक रिपोर्ट जारी की है. जो 'हिंदू खतरे में है' और 'मुसलमानों की कथित बढ़ती आबादी' के दावों को नकारती है.
अब आपको ले चलते हैं फ्लैशबैक में. आजाद भारत की पहली जनगणना साल 1951 में हुई थी, तब भारत की आबादी 36.1 करोड़ थी, जो साल 2011 आते-आते 120 करोड़ के करीब पहुंच गई. 1951 में हिंदुओं की आबादी 30.4 करोड़ थी जो साल 2011 में 96.6 करोड़ पहुंच गई जबकि 3.5 करोड़ मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई. ईसाइयों की संख्या 80 लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ पहुंच गई. मतलब लगभग सभी धार्मिक समूहों की आबादी में भी बढ़ोतरी हुई है.
इसके बावजूद मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि की दर हिन्दुओं के मुकाबले ज्यादा है- यह भी सच है. हालांकि कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी का ख्याल रखेंगे, तो ये भी बैलेंस हो जाएगा. अगर 60 साल की बात करें तो 1951 से 2011 के बीच मुसलमानों की आबादी 4.4% बढ़कर 14.2% हो गई, जबकि हिंदुओं की संख्या 4.3% घटकर 79.8% हो गई.
जवाब आंकड़ों में ढूंढ़ते हैं. भारत में लगभग 30,000 वयस्कों के 2020 प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण में, बहुत कम लोगों ने संकेत दिया कि उन्होंने बचपन से ही धर्म बदल लिया था. सर्वे में 99% एडल्ट ने बताया कि अभी भी वह खुद की पहचान हिंदू के रूप में करते हैं, जो बचपन से हिंदू हैं. इसी तरह, मुसलमानों के रूप में पले-बढ़े लोगों में से 97% अभी भी मुसलमान ही हैं और जिन भारतीयों का पालन-पोषण ईसाई के रूप में हुआ, उनमें 94% अभी भी ईसाई हैं.
आसान शब्दों में समझें तो 0.7 फीसदी लोग हिंदू परिवार में जन्मे और अब उनकी पहचान हिंदू नहीं है. वहीं 0.8 फीसदी दूसरे धर्म के लोग थे और अब वो हिंदू हैं. मतलब भारत की बड़ी आबादी के हिसाब से देखें तो धर्मांतरण की कहानी बनाने वालों की बात में दम नहीं है.. हां.. ये भी बता दें कि अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करना अवैध नहीं है.
अब आते हैं जनसंख्या विस्फोट के बहस पर. बतोलेबाजी नहीं, आंकड़े देखिए. विश्व बैंक के जनसंख्या संबंधी आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि भारत में जनसंख्या में वृद्धि की दर बढ़ नहीं रही है, घट रही है.
ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में जनसंख्या विस्फोट जैसे हालात नहीं है. जनसंख्या बढ़ रही है लेकिन इसकी स्पीड लगातार कंट्रोल होती चली गयी है. सच यह है कि जनसंख्या का नियंत्रण हिन्दुस्तान ने कर दिखाया है.
हां, तो जो लोग जनसंख्या विस्फोट, धर्म परिवर्तन, हिंदू खतरे में जैसी बात कहते हैं, वो दरअसल, अपने मन में बसे पूर्वाग्रह (pre cocupied notion) या राजनीति की वजह से कहते हैं. जनसंख्या नियंत्रण, धर्म परिवर्तन कानून के बहाने निशाने पर किसी और को लिया जा रहा है. अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक का गंदा खेल खेला जा रहा है. समाज में जहर भरा जा रहा है. इसलिए हम हर नफरत, झूठ और बेतुकी बातों पर पूछते हैं, जनाब ऐसे कैसे?
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