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रियाटरमेंट से एक साल पहले ही वीआरएस लेने वाले पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि उन्हें लगा अब सरकार में उतना योगदान नहीं दिया जा सकता, इसलिए इस्तीफा दे दिया. क्विंट हिंदी से खास बातचीत में सुभाष गर्ग ने इकनॉमी की स्थिति और मंदी से निपटने के उपायों पर भी बात की...
बातचीत में सुभाष गर्ग ने इस बात से इंकार किया कि उन्हें सरकार से कोई शिकायत है. उन्होंने कहा कि सच्चाई ये है कि उन्हें अपने ने काम करने के खूब मौके दिए और उन्होंने काफी कुछ सीखा. लेकिन जब लगे कि आप सरकार में रहने के बजाय बाहर जाकर बेहतर योगदान दे सकते हैं तो बाहर चल जाना चाहिए. हाल ही में दो नए अफसरों के नौकरी छोड़कर जाने के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ इन्हीं दो लोगों ने इस्तीफा दिया हो. इसके अलावा भी कई यंग अफसरों ने इस्तीफा दिया है.
सुभाष गर्ग ने बताया कि देश में आर्थिक मंदी है लेकिन ये शार्ट टर्म है. उन्होंने मंदी से निपटने के उपायों पर भी विस्तार से बातचीत की. गर्ग के मुताबिक मंदी से निपटने के लिए इंफ्रा सेक्टर में निवेश बढ़ाने की जरूरत है और इसमें सरकारी से ज्यादा निवेश बढ़ाने की जरूरत है.
गर्ग के मुताबिक भविष्य डिजिटल इकनॉमी में है. पुराने सिस्टम में फंसे रहे तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे. पूर्व वित्त सचिव की सलाह है कि स्टार्टअप पर जोर देने से इकनॉमी में रफ्तार आएगी.
वित्त मंत्रालय में 58 वर्षीय गर्ग सबसे वरिष्ठ नौकरशाह थे. वह आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी रहे और उन्हें वित्त सचिव नामित किया गया था.
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