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राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) में शनिवार को कथित गैंगवार (Gangwar) की घटना में गैंगस्टर (Gangster) राजू ठेहट (Raju Theth) की हत्या हो गई. ठेहट 3 दिसंबर की सुबह सीकर के उद्योग नगर इलाके में उसके आवास के पास ही मारा गया. उसकी उम्र 40 के आसपास थी.
कहा जा रहा है कि, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह (Lawrence Bishnoi) के एक प्रमुख सदस्य रोहित गोदारा (Rohit Godara) ने फेसबुक पोस्ट में ठेहट की हत्या की जिम्मेदारी ली है.
फेसबुक पोस्ट में रोहित गोदारा ने लिखा कि, "राजू ठेहट की हत्या की जिम्मेदारी रोहित गोदारा (लॉरेंस बिश्नोई समूह) ने ली है. यह हमारे बड़े भाई आनंद पाल जी और बलबीर जी की हत्या का बदला है."
फिलहाल इस पोस्ट की पुष्टी नहीं हो पाई है.
अगर फेसबुक पोस्ट वास्तव में गोदारा ने लिखा है तो इसका मतलब यह होगा कि ठेहट इसलिए मारा गया क्योंकि ये दो गैंग के बीच की दुश्मनी का मामला है जो लगभग 17 साल पहले शुरू हुई थी.
तो राजू ठेहट कौन था? यह गैंगवार कैसे शुरू हुई जिसकी वजह से राजू की हत्या कर दी गई.
हम इस खबर में ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं.
राजस्थान के सीकर का रहने वाला राजू ठेहट अपराध की दुनिया में तब आया जब वह कॉलेज में था. उत्तर भारत के कई गैंगस्टरों की कहानी भी उनके कॉलेज से ही शुरू होती है.
1990 के दशक के मध्य और 2000 के दशक की शुरुआत में, सीकर की क्रइाम की दुनिया में गोपाल सिंह फोगावत का वर्चस्व था, जो पहले दक्षिणपंथी विचारधारा का था और स्थानीय नेता था. उस समय ठेहट, बनूड़ा और उसके बहनोई विजयपाल, फोगावत के संरक्षण में काम करते थे.
अब क्योंकि विजयपाल बनूड़ा का साला था, इसलिए उसके और ठेहट के बीच भी विवाद हो गया. फिर बनूड़ा ने आनंदपाल सिंह के साथ हाथ मिला लिया जबकि ठेहट गोपाल फोगावत के साथ रहा. उस समय आनंदपाल सिंह और फोगावत के बीच दुश्मनी थी.
2006 में आनंदपाल सिंह और बलबीर बनूड़ा ने गोपाल फोगावत की हत्या कर दी. कहा जाता है कि बनूड़ा ने खुद फोगावत को गोली मारी थी. इसके बाद अकेला पड़ा ठेहट भी तेजी से कमजोर होता गया.
2012-13 के आसपास, बनूड़ा, आनंदपाल और ठेहट तीनों गिरफ्तार हो गए थे. लेकिन उनके बीच दुश्मनी बनी रही.
जनवरी 2014 में, ठेहट को सीकर जेल में कथित रूप से आनंदपाल और बनूड़ा के इशारे पर सुभाष मूंड नामक एक कैदी ने गोली मार दी थी. हमले में ठेहट गंभीर रूप से घायल हो गया लेकिन वह बच गया था और उसने आनंदपाल और बनूड़ा से बदला लेने की कसम खा ली थी.
रावण राजपूत आनंदपाल सिंह ने गोपाल फोगावत की हत्या के बाद अपने समुदाय में कई युवाओं के बीच प्रसिद्धि हासिल कर ली थी. उधर ठेहट जाट था तो जाट युवाओं के बीच उसकी चर्चा थी.
बनूड़ा को मारने वाले ठेहट के सहयोगी को आनंदपाल और उसके आदमियों ने बुरी तरह से मार दिया था.
आनंदपाल सिंह लॉरेंस बिश्नोई का करीबी बन गया था. बिश्नोई का प्रभाव उस समय पंजाब के गैंग वर्ल्ड में बढ़ रहा था. पंजाब-राजस्थान सीमा पर फाजिल्का जिले से आने वाले और मूल रूप से राजस्थान से होने के नाते, बिश्नोई उस राज्य में भी अपनी गैंग का विस्तार करना चाहता था.
बिश्नोई आनंदपाल को अपने एक बड़े भाई के रूप में देखने लग गया. लेकिन आनंदपाल सिंह 2017 में एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. इस बीच ठेहट जेल से अपनी गैंग चलाता था लेकिन आनंदपाल सिंह के समर्थकों और बिश्नोई जैसे सहयोगियों का मानना था कि इस हत्या में ठेहट भी शामिल था.
रोहित गोदारा, जिसे कथित तौर पर ठेहट का हत्यारा बताया गया है वह लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह का सदस्य है, हालांकि उसका अपना एक छोटा गिरोह भी है.
बीकानेर के रहने वाले रोहित गोदारा की उम्र 20 से ज्यादा है उसके खिलाफ पहला हत्या का मामला 2010 में दर्ज हुआ था.
गोदारा पर दिसंबर 2019 में पंजाब के हिस्ट्रीशीटर मनप्रीत सिंह मन्ना की हत्या में शामिल होने का आरोप है. बिश्नोई के गिरोह ने मन्ना पर अपने गिरोह के सदस्य अंकित भादू के एनकाउंटर के लिए पुलिस को जानकारी देने का आरोप लगाया था. उस पर सरदारशहर में एक स्थानीय बीजेपी नेता की हत्या का भी आरोप है.
गोदारा का नाम सिद्धू मूसे वाला हत्याकांड में सामने आया था. इसके आलावा कहा जाता है कि गोदारा ने जयपुर के एक बिजनेसमैन को व्हाट्सएप पर धमकी दी थी और 17 करोड़ रुपये की प्रोटेक्शन मनी की मांग की थी.
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