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Exclusive । कोरोना संकट पर चिदंबरम - सरकारी नीति भेदभाव वाली

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम से संजय पुगलिया की खास बातचीत

संजय पुगलिया
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम से संजय पुगलिया की खास बातचीत
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम से संजय पुगलिया की खास बातचीत
(फ़ोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो प्रोड्यूसर: शोहिनी बोस/मौसमी सिंह

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम/आशुतोष भारद्वाज

देश COVID-19 के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है. अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन की आपूर्ति और दवाओं की कमी, हॉस्पिटल के बाहर और श्मशान के पास लंबी कतारें, सरकारी आंकड़ों से अलग ही कहानी बता रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत में, सरकार के COVID-19 संकट से निपटने के तरीकों को लेकर कुछ बड़े सवाल उठाए.

कोरोना वायरस संकट से निपटने में सरकार इतनी गलत कैसे हो सकती है? अस्पतालों के बाहर के दृश्य दिल दहला देने वाले हैं.

समस्या ये है कि सरकार ने सोचा कि बिना जमीन पर काम किए, धोखे, खुद की तारीफ, शब्दों की जादूगरी के जरिए जंग जीत सकती है. कोई भी सामूहिक निर्णय नहीं लिया जाता है. मई 2014 के बाद, ये एक-व्यक्ति की सरकार बन गई है. सभी निर्णय एक व्यक्ति ही लेता है और अगर वो एक शख्स पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार में व्यस्त है, तो पीएमओ में कोई जवाब देने वाला नहीं है. क्या ये महामारी से लड़ने का तरीका है?

सरकार ने COVID संकट से निपटने के लिए आपके सुझावों को मान लिया है. क्या आप इसके लिए सरकार की तारीफ करते हैं?

अभी भी कई महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर नीति भेदभावपूर्ण और असमान है. मुझे सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की है कि सरकार में साधारण अंकगणित समझने के लिए कोई नहीं है. 31 अगस्त तक (16 जनवरी से) 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य है - इसका मतलब है कि 13 लाख टीकाकरण रोजाना, बिना किसी ब्रेक के. जिसका मतलब है कि आपूर्ति 13 लाख खुराक रोजाना होनी चाहिए. आपके पास लगभग साढ़े सात महीने हैं, जिनमें रविवार और छुट्टियां शामिल हैं. सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की क्षमता सीमित है. उन्होंने इसके लिए कैसे योजना बनाई है?

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वैक्सीन की आपूर्ति की समस्या कब तक जारी रहेगी?

सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक दोनों की क्षमता सीमित है. क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें पूंजी निवेश की जरूरत है. अभी भी वे पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर रहे हैं. वित्त मंत्रालय के घोषित 4,500 करोड़ रुपये आपूर्ति क्रेडिट हैं. आप आपूर्ति क्रेडिट के जरिए विनिर्माण सुविधा नहीं बढ़ा सकते. आपको पूंजी निवेश की आवश्यकता है.

लेकिन पीएम मोदी नियमित रूप से महत्वपूर्ण COVID बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं?

जमीन पर परिणाम कहां है? अधिकांश अस्पताल बेड, ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की बात क्यों कर रहे हैं? अस्पतालों के बाहर बेड पाने के लिए इंतजार कर रहे मरीजों के लिए एम्बुलेंस की लंबी कतारें क्यों हैं? श्मशान के बाहर लंबी कतारें क्यों हैं? सितंबर या अक्टूबर 2020 के बाद कोई अतिरिक्त क्षमता नहीं बढ़ाई गई. जब कर्व फ्लैट होने लगा तो सरकार ने हार मान ली. सरकार ने कहा कि उन्होंने जंग जीत ली है. अगर आपने 2020 में जंग जीत ली थी, तो 2021 में नई जंग क्यों?

क्या आयात से टीकों की आपूर्ति की समस्या खत्म हो जाएगी?

सरकार ने ये खुलासा नहीं किया है कि वो किसके संपर्क में हैं. आयात केवल दुनिया के 5-6 निर्माताओं से ही किया जा सकता है, जिनके वैक्सीन को अप्रूवल मिल चुका है. उन्होंने किससे बातचीत की है? जो आपूर्ति करने के लिए सहमत हो गए हैं? वे किस मात्रा में आपूर्ति करने के लिए सहमत हुए हैं? मुझें नहीं पता. केवल ये कहने के लिए कि हम आयात के लिए तैयार रहे हैं, इसका कोई मतलब नहीं है. मान लीजिए उस देश में वैक्सीन निर्माता पर निर्यात प्रतिबंध है, तो वे निर्यात कैसे करेंगे?

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