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गुजरात चुनाव में माहौल पूरा टी-20 मैच जैसा हो चुका है. पल-पल में गेम बदल रहा है. नए खिलाड़ियों की दिलचस्प एंट्री ने खेल को और रोमांचक बना दिया है. बीजेपी और कांग्रेस हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही हैं. कभी विकास और गुजरात मॉडल के नाम पर लड़े जाने वाला गुजरात चुनाव में इस बार रोमांच का लेवल कुछ और ही है. इस बार यहां जाति का बोलबाला है. इसीलिए चुनाव प्रचार के पहले राउंड से लेकर उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल करने तक, दोनों ही मुख्य पार्टियां नए पिच पर बिल्कुल नर्वस दिख रहे हैं.
तीन हरफनमौला खिलाड़ियों हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की वजह से इस बार चुनाव में नया एंगल आ गया है. उस पर सोशल मीडिया का तड़का और वीडियो वार ने चुनाव को काफी रंगीन बना रहा है.
इन सबके बीच गुजरात के दलितों में भी काफी गुस्सा है. दलित नेता जिग्नेश मेवानी उनके अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं. ऊना मामले के बाद दलितों ने राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था.
इस तिकड़ी के अलावा, नोटबंदी और जीएसटी का जंजाल भी है.बेरोजगारी और शिक्षा का स्तर भी बड़ा मुद्दा है.
बीजेपी भले ही गुजरात में 'ऑल इज वेल' का दावा कर रही है, लेकिन लोगों की शिकायतें काफी हैं.
इधर, कांग्रेस की भी दिक्कतें कम नहीं हैं. उसकी मजबूरी है कि वो जिन अलग-अलग धड़ों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती है उसमें सही तालमेल कैसे बनाए. जिसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं.
गुजरात चुनावों के इस टी-20 मैच में पलड़ा किसका भारी होगा ये तो 15 दिसंबर को ही पता चलेगा.
फिलहाल, दोनों ही पार्टियों को मैच जीतने से ज्यादा आउट होने का डर सता रहा है. इसलिए बीजेपी बैकफुट पर दिखती है तो कांग्रेस क्रीज से बाहर निकल कर खेलने की कोशिश कर रही है.
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Published: 18 Nov 2017,04:50 PM IST