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"रात 11 बजे, मेरे चाचा ने मुझे बताया कि उनका बेटा नहीं मिल रहा. हमने फिर उसकी बॉडी की तलाश शुरू की.. मैंने काम करना बंद नहीं किया. मैंने अपने बेटे से कहा कि वह भी बॉडी को खोजने में मदद करें. और मैंने काम करना जारी रखा". राम रहीम चैरिटेबल ट्रस्ट के एक वर्कर और मोरबी के सिविल अस्पताल के एम्बुलेंस चालक हुसैनभाई ने गुजरात मोरबी पुल हादसे (Gujarat Morbi Bridge Collapse) के अगले दिन सोमवार, 31 अक्टूबर को क्विंट से यह बात कही.
मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल का सस्पेंशन ब्रिज रविवार, 30 अक्टूबर को टूट गया, जिसमें 56 बच्चों सहित कम से कम 134 लोगों की जान चली गई.
हुसैन, जो 15 साल से अस्पताल में काम कर रहे हैं और तीन साल से एम्बुलेंस चला रहे हैं, दुर्घटनास्थल से हॉस्पिटल तक बॉडी को ले जाने के लिए पूरी रात काम किया. इसी दौरान उन्हें पता चला कि उनके चचेरे भाई साजिद की भी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी.
सेनाओं के अलावा स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता भी बचाव कार्य में जुटे हैं. वो यह सुनिश्चित करने में अपना समय, पैसा और पसीना लगा रहे हैं कि अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सके. दरअसल, घटना की रात के एक वीडियो में एक व्यक्ति को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है कि जब कार्यकर्ता हर संभव कोशिश कर रहे हैं, तो तत्काल और सहायता की आवश्यकता है.
हुसनैन भाई ने बताया कि 'जब मैं अपनी ड्यूटी के लिए शाम 6 बजे अस्पताल पहुंचा, तो मैं सोच रहा था कि क्या हो रहा है? तब लोगों ने मुझे पुल के टूटने के बारे में बताया. मैं तुरंत मौके पर पहुंचा. हमने जितने लोगों को ढूंढा, चाहें वो जिंदा थे या मौत हो गई थी, उन सभी को अस्पताल पहुंचाया. हमने सुबह 3 बजे तक काम किया. इस दौरान करीब 30 शव मिले. हुसैन के दोनों बेटे भी अस्पताल में ही कार्यरत हैं.
मोरबी के सिविल अस्पताल में एक सामाजिक कार्यकर्ता हसीना ने द क्विंट को बताया कि कैसे उन्होंने अस्पताल में घायलों के आने के बाद प्राथमिक चिकित्सा किट इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. हसीना, अपनी एम्बुलेंस सेवा भी चलाती हैं और 12 साल तक अस्पताल में काम कर चुकी हैं.
"ये वास्तव में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. मैं बहुत ही भयावह महसूस कर रहा हूं. मुझे पैसा या कुछ भी नहीं चाहिए. मैं इस देश और इसके लोगों के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं. इस बचाव अभियान में पत्रकारों से लेकर पुलिस और स्थानीय निवासियों से लेकर समाजिक कार्यकर्ता तक सभी लोग लगे रहे."
एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता रवि ने कहा कि वह और उनकी टीम हादसे के बाद से काम कर रही है, और उन सभी लोगों को भोजन, पानी और जूस बांट रही है, जिन्हें बचा लिया गया है.
टाइल्स का व्यवसाय चलाने वाले 29 वर्षीय मिलन प्रकाश ने कहा कि स्थानीय टीमें और आपदा प्रबंधन दल सामूहिक रूप से लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं.
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की छठी बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट ने द क्विंट को बताया कि गंदा पानी और जलकुंभी बचाव अभियान के लिए दृश्यता की समस्या पैदा कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कहा अब दिन के उजाले में मदद मिल रही है और बहुत सारा मलबा हटा दिया गया है. और पानी के भीतर तलाशी अभी भी जारी है."
एक चैरिटी चलाने वाले मोरबी के 32 वर्षीय डॉक्टर कुलदीप राजा ने द क्विंट को बताया कि वह हादसे के तुरंत बाद से साइट पर हैं और रविवार शाम से काम कर रहे हैं.
उन्होंने भी ये दोहराते हुए कहा कि जब तक NDRF और बचाव दल नहीं आया था, उससे पहले स्थानीय लोग ही बचाय कार्य में जुटे थे, जिसमें जलकुंभी और मैला पानी ने समस्याएं पैदा कीं.
उन्होंने कहा, "अधिक से अधिक लोगों की डूबने से ही मौत हुई है"
जो पुल टूटा है, उसकी पिछले सात महीनों से मरम्मत चल रही थी और 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर जनता के लिए खोल दिया गया था.
हादसे के आलोक में हैंगिंग ब्रिज की मरम्मत करने वाली एजेंसी, उसके प्रबंधन और जांच में किसी भी व्यक्ति के नाम का खुलासा होने पर उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
हादसे को लेकर मोरबी ब्रिज की मरम्मत करने वाली एजेंसी, उसके प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और भी जांच में किसी व्यक्ति के नाम का खुलासा होता है तो उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा.
धारा 304
धारा 308
धारा 114
हालांकि, इस मामले में पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
गुजरात पुलिस के अनुसार, पुल के टूटने की प्राथमिकी में मरम्मत कार्य, रखरखाव और कुप्रबंधन और अन्य तकनीकी मुद्दों में चूक जैसे कारणों को दर्शाया गया है.
समाचार एजेंसी ANI ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मोरबी जाएंगे. बता दें, गुजरात राज्य के लिए विधानसभा चुनाव में केवल कुछ सप्ताह ही बचे हैं.
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