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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके अच्छे दिन आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)
ऐसे ही एक गांव में हम गए, जिसे एक्टर से पॉलिटिशियन बनीं हेमा मालिनी ने गोद लिया है. ये गांव है - उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का रावल गांव. इस गांव की आबादी 3 हजार है.
हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया है कि हेमा मालिनी अपने गोद लिए हुए गांव को आदर्श गांव बनाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं.
सांसद आदर्श ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि सांसद अपने गोद लिए हुए गांव के विकास को देखें और गांव के लोगों की जरूरतों का ध्यान रखें. सांसदों को इस योजना के तहत ये लक्ष्य हासिल करने होते हैं:
क्विंट ने रावल गांव के प्रधान और वहां रहने वालों से बात की और पूछा कि इस गांव को गोद लेने से उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आए.
अधिकारियों का दावा है कि हेमा मालिनी ने गांव में विकास के लिए 1,100 प्रोजेक्ट शुरू किए. हमने सिर्फ 6 जरूरी प्रोजेक्ट पर पड़ताल की.
गांव को गोद लेने के बाद यहां 40 सोलर लाइट्स लगी. लेकिन अब इनमें से एक भी नहीं चल रही हैं.
बहुत पहले ही सड़कें बनाने का काम शुरू हो गया था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ. इससे परेशानी और बढ़ गई.
गांव में कुछ टॉयलेट बनाए गए लेकिन ज्यादातर काम के नहीं है. अभी भी लोग खुले में शौच जाते हैं.
हेमा मालिनी Kent RO का विज्ञापन करती हैं और उन्होंने एक RO वाटर प्लांट लगवाया भी. लेकिन गांव वालों का कहना है कि उन्हें साफ पानी के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है.
गांव में एक जूनियर स्कूल है लेकिन इसमें बिजली नहीं आती. बच्चे बिना बिजली के पढ़ रहे हैं.
गांव में अस्पताल भी बनाया गया है लेकिन डॉक्टर्स की कमी के कारण ये बंद है.
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