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कैमरा: शिवकुमार मौर्य
वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
सरकारी नौकरियों और एडमिशन में 10% आरक्षण वाला बिल कानून बन चुका है और अब यह राज्यों में भी लागू होने लगा है. लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए बने इस कानून पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
आर्थिक रूप से कमजोर तबके को 10% रिजर्वेशन के फैसले का कितना फायदा होगा? क्या है आरक्षण की मूल भावना? कौन है आरक्षण का असल हकदार? ऐसे सवालों को लेकर UPSC और बाकी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र क्या सोचते हैं? ये जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के मुखर्जी नगर के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से.
UPSC अभ्यर्थी हेमंत वर्मा ने बताया कि ये एक राजनीतिक कदम है. संविधान के हिसाब से आरक्षण एक सामाजिक मुद्दा है. आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर 'सवर्ण' वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की गई है. तीन राज्यों में चुनाव हारने के बाद BJP सवर्ण वोट बैंक को साधना चाहती है. सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए कुछ और भी कर सकती थी.
इस सवाल पर एक UPSC अभ्यर्थी ने कहा आरक्षण देने की बजाय सरकार को प्राथमिक शिक्षा में सुधार करना चाहिए. जिन्होंने संविधान बनाया था उन्होंने आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया था. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा और आखिरी फैसला वहीं होगा.
एक UPSC अभ्यर्थी ने कहा इस पैमाने के तहत तो 90-95% लोग आ जाते हैं. तो इसका मतलब है कि जो 8 लाख सालाना या 61,000 प्रति माह से कम कमाता है, वो आर्थिक तौर पर कमजोर है. लेकिन अगर हम टैक्स बेस को देखें तो जो 2.5 लाख सालाना कमाता है, उसे टैक्स देना पड़ता है. ये बहुत अटपटा है.
UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र ने कहा आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण से जातिगत आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मेरे हिसाब से 'भारतीय लोकतंत्र' का नाम बदलकर 'आरक्षणतंत्र' कर देना चाहिए.
UPSC अभ्यर्थी ने कहा आज आरक्षण एक खिलौना बन गया है. जो भी सरकार में होता है वो इस लॉलीपॉप की तरह इस्तेमाल करता है. संविधान की मूल भावना को नहीं भुलाया जाना चाहिए, नहीं तो इससे समाज में भेद बढ़ेगा. सभी तरह का भेदभाव सामाजिक आधार पर होता है. हमने नहीं सुना कि किसी घोड़े पर बैठने पर दलित की पिटाई इसलिए हुई कि उसके पास पैसे नहीं थे.
UPSC अभ्यर्थी के मुताबिक इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग को ठुकरा चुका है. परंतु इस सरकार ने संविधान संशोधन लाया है. इसलिए मुझे लगता है, कोर्ट इसे वैलिड करार देगा. मुझे ऐसा नहीं लगता कि आरक्षण का फायदा उन लोगों को मिला है, जिनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. ये फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लिया गया है, इसे राजनीतिक फायदा मिलेगा.
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Published: 18 Jan 2019,01:02 PM IST