Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंग 'वर्ल्ड वन' क्यों हुई फेल?

भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंग 'वर्ल्ड वन' क्यों हुई फेल?

भारत में ऊंची इमारतों का अब तक का सबसे भव्य प्रोजेक्ट उम्मीद मुताबिक सफल नहीं रहा है

वैभव पलनीटकर
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>मुंबई के लोअर परेल स्थित 'वर्ल्ड वन'</p></div>
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मुंबई के लोअर परेल स्थित 'वर्ल्ड वन'

(फोटो- लोढा डेवलपर्स वेबसाइट)

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वीडियो एडिटर- संदीप सुमन

हर कोई जानता है कि दुनिया की सबसे ऊंची और भव्य बिल्डिंग है बुर्ज खलीफा. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत की सबसे बड़ी बिल्डिंग कौन सी है? जवाब है- मुंबई के लोअर परेल स्थित 'वर्ल्ड वन' (World One). आधुनिक शहरों की पहचान ही आसमान छूती इमारतों से होती है. लेकिन भारत में ऊंची इमारतों का अब तक का सबसे भव्य प्रोजेक्ट उम्मीद मुताबिक सफल नहीं रहा है. इसकी कई वजहें हैं.

बुर्ज खलीफा Vs वर्ल्ड वन

वर्ल्ड वन

  • ऊंचाई- 280.2 मीटर

  • फ्लोर- 76

  • 2011 में बनना शुरू हुई

  • 2020 में बनकर तैयार

  • ऊंची इमारतों की लिस्ट में दुनिया में 258वें स्थान पर

  • एशिया में 154वें नंबर पर

  • भारत में सबसे ऊंची

  • कॉस्ट- US$321 million

बुर्ज खलीफा

  • ऊंचाई- 828 मीटर

  • फ्लोर- 163

  • 2004 में बनना शुरू हुई

  • 2010 में बनकर तैयार

  • दुनिया की सबसे ऊंची इमारत

  • कॉस्ट- US$1.5 billion

दुबई की बिल्डिंग बुर्ज खलीफा तो एकदम सफल प्रोजेक्ट रहा था, लेकिन मुंबई में लोढा के वर्ल्ड टावर प्रोजेक्ट को एक्सपर्ट्स ने फ्लॉप प्रोजेक्ट माना है. इसकी वजह ये है कि अपार्टमेंट के प्राइस 30-40% गिरे और फिर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

लोढा डेवलपर्स लिमिटेड के MD अभिषेक लोढा खुद मानते हैं कि लोढा प्रोजेक्ट में निवेश उनकी एक गलती थी.

मैं वर्ल्ड टावर प्रोजेक्ट को पीछे मुड़कर देखता हूं. हमने एक साइट पर 5,000 करोड़ रुपये लगा दिए. हम मुंबई में फिर ऐसी इमारत नहीं बना पाएंगे. कम से कम अगले दो दशकों तक तो कोई निवेश नहीं करेगा. ये एक तरह से मूर्खता थी.
अभिषेक लोढालोढा, MD, डेवलपर्स लिमिटेड
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वर्ल्ड वन के असफल होने के तीन अहम कारण

भारत के सबसे बड़े बिल्डर लोढा के इस विशालकाय प्रोजेक्ट के फेल होने के पीछे रियल स्टेट एक्सपर्ट विशाल भार्गव तीन अहम कारण मानते हैं.

  1. लोढा के वर्ल्ड टावर प्रोजेक्ट की लागत बहुत ज्यादा रही. आम तौर पर इस तरह के विशालकाय प्रोजेक्ट में कॉस्ट टू कंप्लीशन बढ़ जाता है, जिसका बोझ डेवलपर पर आता है.

  2. जिस वक्त लोढा ने माइक्रो मार्केट में प्रोजेक्ट लॉन्च किया ठीक उसी वक्त लोअर परेल में दूसरे अपार्टमेंट की सप्लाई बढ़ गई थी. इसकी वजह से मार्केट में प्राइस घट गए और लोढा को फ्लैट्स की सही कीमत नहीं मिली.

  3. प्रोजेक्ट तैयार होने पर बीच में खराब मटिरियल की रिपोर्ट आई, इसकी वजह से खरीदारों के मन में फ्लैट्स की क्वॉलिटी को लेकर शंका बनी रही.

वर्ल्ड टावर के असफल होने के कुछ और भी कारण बताए जाते हैं. जानकारों का कहना है कि लोढा के फ्लैट्स का ले आउट गोलाकार है, फ्लैट में चौकोन कमरे बहुत ही कम निकले हैं. इसकी वजह से फर्नीचर और दूसरा इंटीरियर सामान तैयार करने में दिक्कत पेश आई है.

ये सिर्फ एक प्रोजेक्ट के असफल होने की कहानी नहीं

लोढा के वर्ल्ड वन की असफलता की कहानी सिर्फ एक प्रोजेक्ट के डूबने की कहानी नहीं है बल्कि ये लोअर परेल के उस सपने के धुंधला पड़ने की कहानी है, जिसमें आसमान छूती इमारतों से भरे शहर की कल्पना की गई. लोढा वर्ल्ड प्रोजेक्ट के अलावा पैलिस रोयाल, कोहिनूर स्क्वेयर जैसे ऐसे कई प्रोजेक्ट्स पर कंस्ट्रक्शन का काम अटका पड़ा है.

सरकार की नाकामी भी बड़ा कारण

इस असफलता के कारणों में प्रमुख तौर पर टाउन प्लानिंग से लेकर कमजोर बेसिक इंफ्रा जैसी चीजें हैं, जो सरकार की नाकामी से जाकर जुड़ते हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लोढा जैसे डेवलपर्स ने जो सपना देखा वो अवास्तविक था? लोढा ने ऐसा क्यों कहा कि वो ऐसे प्रोजेक्ट के बारे में 2 दशक तक सोचेंगे भी नहीं? ये सवाल ही मुंबई में ऊंची इमारतों के सपनों के मरने की कहानी है

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Published: 07 Jul 2021,09:19 PM IST

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