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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
आज म्यूजिक इंडस्टी के कुछ नाम याद आ रहे हैं. आप परेशान ना हों बातें क्रिकेट की होंगी लेकिन पहले बात करते हैं म्यूजिक इंडस्ट्री के वनटाइम वंडर्स की.
आप गूगल पर सर्च करेंगे तो पता चलेगा कि एक वक्त इन कलाकारों का क्या जबरदस्त क्रेज हुआ करता था. धूम पिचक... धूम पिचक धूम (पलाश सेन), हवा हवा ऐ हवा (हसन जहांगीर) और याद पिया की आने लगी (फाल्गुनी पाठक) जैसे गाने 90 के दशक में राज करते थे. बाद में इन कलाकारों की कुछ और एल्बम जरूर आईं लेकिन ये कलाकार वन टाइम वंडर्स ही साबित हुए. अब दूसरी तरफ नजर डालते हैं क्रिकेट के वन टाइम वंडर्स पर
अब आपको पता है इन खिलाड़ियों की बदकिस्मती क्या है? दरअसल ये भी IPL के वन टाइम वंडर्स हैं. बड़ी बात ये है कि IPL में ऐसे और भी कई वन टाइम वंडर्स हैं. इसमें श्रेयस अय्यर, संजू सैमसन, राहुल त्रिपाठी जैसे कई नाम याद आते हैं. लेकिन इन खिलाड़ियों के अलावा कुछ और खिलाड़ी सीजन के फाइनल में धमाका करने के बाद भी कभी वो जलवा नहीं दिखा पाए.
फिर IPL के चौथे फाइनल में मुरली विजय चमके. उन्होंने सिर्फ 52 गेंद खेलकर विस्फोटक 95 रन बनाए. उनकी इसी पारी की बदौलत बैंगलोर के सामने 206 रनों का लक्ष्य था. जो उनके लिए भारी साबित हुए. मुरली विजय ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ बने.
2012 में तो और बड़ा धमाल हुआ. चेन्नई की टीम एक बार फिर फाइनल में थी. फाइनल में कोलकाता को जीत के लिए 191 रनों का लक्ष्य दिया. 48 गेंद पर 89 रन बनाकर मनविंदर बिसला ने टीम को जीत दिला दी. कोलकाता ने पहली बार खिताब जीता. उस वक्त तक बिसला को कम ही लोग जानते थे. बिसला को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया.
2014 सीजन के फाइनल में तो दो–दो खिलाड़ियों ने ताबड़तोड़ रन बनाए. ऋद्धिमान साहा ने किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से बल्लेबाजी करते हुए 55 गेंदों पर 115 रनों की विस्फोटक पारी खेली. इस पारी में 10 चौके और 8 छक्के शामिल थे. उनकी इस पारी पर पानी फेरने वाले थे मनीष पांडे. मनीष पांडे ने 50 गेंद पर 94 रनों की पारी खेली. इसमें 7 चौके और 6 छक्के शामिल थे. उनकी इस पारी की बदौलत उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया. मनीष पांडे की इस पारी की बदौलत उनकी टीम को जीत मिली.
आम तौर पर भारतीय क्रिकेट में धारणा ये है कि जिस खिलाड़ी ने IPL के बड़े मैच में रन बना दिए उसके लिए टीम इंडिया के दरवाजे खुल जाते हैं. सच ये नहीं है. सच ये है कि टीम इंडिया में जाने के बाद जलवा वहां भी दिखाना पड़ता है. वरना सिर्फ IPL से बात नहीं बनती.
तो सबक एक ही है. वंडर्स करिए. लेकिन वनडे टाइम नहीं. ऑल टाइम, एवरी टाइम ना सहीं लेकिन फ्यू टाइम. वनटाइम तो भूलकर नहीं.
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