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लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
बशीर बद्र ने जब ये लिखा होगा तब उन्हें कहां पता होगा कि लोकतंत्र वाले भारत में 'बुलडोजरतंत्र' चलेगा. मध्य प्रदेश से लेकर यूपी, गुजरात और दिल्ली में बुलडोजर पर सवार सिस्टम किसी का घर ढाह रहा है तो किसी के दुकानों की दीवार तोड़ रही है. मानो संविधान और कानून पर बुलडोजर चल रहा हो. न सुनवाई, न अदालत, बस बुलडोजर ही जज है, बुलडोजर ही फैसला.
लेकिन अब बुलडोजर (Bulldozer) की स्टेयरिंग वाले सवालों के घेरे में हैं. क्योंकि कहीं बुलडोजर की चपेट में PM आवास योजना के तहत बना मकान आ गया, तो कहीं ऐसे लोगों के घरों के हिस्से गिरा दिए गए जो हिंसा में शामिल ही नहीं थे. बुलडोजर पर सवार सत्ता कभी कह रही है कि अवैध निर्माण गिरा रहे हैं तो कभी कहा जाता कि हिंसा में शामिल लोगों के घर गिरा रहे हैं.
दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन (Khargone) और बड़वानी में रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा के बाद प्रशासन और पुलिस द्वारा कथित पत्थरबाजों और दंगाइयों के मकानों को तोड़ने की कार्रवाई की गई, जिसके तहत खरगोन में 50 मकान व दुकान पर बुलडोजर चला तो वही बड़वानी में भी 4 मकानों पर बुलडोजर चला गया.
ठीक ऐसा ही मंजर दिल्ली के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) में देखने को मिला. जहां हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा के दो दिन बाद अवैध निर्माण के नाम पर सालों से रह रहे लोगों के मकान और दुकान पर प्रशासन बुलडोजर चलाने पहुंच गया.
चलिए सबसे पहले आपको बुलडोजर की नीयत और एक्शन पर उठे सवालों से मिलवाते हैं, फिर आपको 'बुलडोजर-गिरी' पर कानून क्या कहता है वो भी बतलाते हैं.
क्या अवैध निर्माण करने वालों को कानूनी तौर पर नोटिस दिया गया था? पीड़ित कहते हैं नहीं. हड़बड़ी में गड़बड़ी का नतीजा कि अब सरकार पीएम आवास लाभार्थी का टूटा मकान बनाने को मजबूर है.
एक और मामला देखिए. बड़वानी में प्रशासन ने तीन लोगों पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया, उनके घर तोड़े फिर पता चला कि दंगे वाले दिन तो वो तीनों जेल में थे. अब पुलिस कह रही है नाम कन्फ्यूजन चेक कर रहे हैं.
एक विरोधाभास देखिए कि स्थानीय प्रशासन तोड़फोड़ के पीछे अवैध निर्माण को वजह बता रहा है वहीं एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने खुलेआम कहा था कि जिन्होंने पत्थर चलाए उनके घरों को पत्थर में बदल देंगे.
अब आते हैं दिल्ली के जहांगीरपुरी. जहां हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान हिंसा भड़की. जिसके बाद बीजेपी नेताओं का बयान आया कि पत्थरबाजों के घर बुलडोजर चलेंगे.. बस फिर क्या था उत्तरी दिल्ली नगर निगम जागी और अतिक्रमण हटाओ के नाम पर बुलडोजर लेकर पहुच गई. लोगों के ठेले, दुकान, मकान पर तोड़फोड़ शुरू.
लेकिन इसी बीच देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुलडोजर पर ब्रेक लगाने का आदेश दे दिया. हालांकि अदालत के आदेश का मजाक बनाते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने बुलडोजर चलाना जारी रखा था. अदालत ने फिलहाल दो हफ्ते तक बुलडोजर की चाभी सीज कर ली है.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 11 अप्रैल को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, ‘जिस घर से पत्थर आए हैं, उस घर को पत्थरों का ही ढेर बनाएंगे.’ लेकिन सवाल है कि क्या ऐसा कोई कानून है जो इस तोड़फोड़ को सही ठहराता है? जवाब है नहीं. संसद या मध्य प्रदेश विधानसभा ने ऐसा कोई कानून नहीं बनाया है जोकि बिन जांच, अदालती आदेश के उन लोगों की संपत्ति को ध्वस्त करने की इजाजत देता हो जो दंगों में शामिल हों और जिन्होंने सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया हो. और यहां न जांच हुई, न अदालत गए और न ही किसी पक्ष की बात सुनी गई?
अब आते हैं मध्य प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान का निवारण और वसूली कानून, 2021 पर.
वैसे प्रदर्शनकारियों से नुकसान की भरपाई वाले उत्तर प्रदेश के कानून को फिलहाल अदालतों में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह उन लोगों को मुआवजा दे जिनसे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की प्रक्रिया का पालन किए बिना नुकसान की भरपाई की गई है.
अब आते हैं अवैध निर्माण वाले तर्क पर. कानून कहता है कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को तभी तोड़ा और गिराया जा सकता है, लेकिन यहां भी ये जनना जरूरी है कि ऐसे अवैध संपत्ति को गिराने से पहले बकायदा एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इसमें उस व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका भी दिया जाता है.
लेकिन खरगौन में जिनके मकान-दुकान तोड़े गए हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों ने द क्विंट को बताया है कि उन्हें अवैध कब्जे से संबंधित कोई नोटिस नहीं दिया गया था. यही हाल दिल्ली के जहांगीरपुरी का भी है. एनडीएमसी का दावा है कि मकान नहीं तोड़े बल्कि अतिक्रमण हटाए गए हैं, लेकिन इसके लिए भी उन्हें वक्त दिया जाना चाहिए था.
अब सवाल है कि फिर सत्ता पक्ष बुलडोजर पर क्यों सवार है? 2022 तक सबके सर पर छत का वादा करने वाले देश में क्यों लोगों के घरों और सपनों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं? आरोप लगाया जा रहा है सरकार एक समुदाय विशेष में डर पैदा करने के लिए बुलडोजर को हथियार बना रही है. अगर ये सच है तो हर भारतीय पूछेगा जनाब ऐसे कैसे?
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