advertisement
दिल्ली के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) इलाके में एमसीडी (MCD) ने अवैध निर्माण हटाने के लिए ड्राइव चलाया. ये वही इलाका है जहां हनुमान जयंती पर हिंसा हुई थी. हालांकि कुछ समय बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे दे दिया और यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिये लेकिन उसके दो घंटे बाद तक एमसीडी की कार्रवाई चलती रही. उनका कहना था कि अभी हमें ऑर्डर नहीं मिला है. इस दौरान कई लोगों की दुकानों पर बुलडोजर चला दिया गया और कई लोगों के आशियाने उजाड़ दिये गये.
जहांगीरपुरी में गुप्ता जूस कॉर्नर चलाने वाले गणेश कुमार गुप्ता ने क्विंट से कहा कि, 1977 से मैं यहां दुकान चला रहा हूं और DDA से मिले कागज है मेरे पास, उसके बावजूद ये मेरी दुकान तोड़ दी. कोई भी अधिकारी कागज देखने को तैयार नहीं है. ना ही हमें कोई नोटिस दिया गया. हर साल 4800 रुपये सालाना किराया जाता है. जब 1977 में डीडीए ने मकान काटे थे उसी वक्त ये दुकानें भी दी गई थी.
एक और बाइक मकैनिक आशू की आंखो मे आंसू थे वो जहांगीरपुरी में बाइक मकैनिक हैं और दुकान चलाते थे. आशू का कहना था कि
एमसीडी के बुलडोजर से टूटी अपनी पान की दुकान को समेटते हुए रमन झा भर्राई आवाज में कह रहे थे कि मैं 35 साल से यहां पान की दुकान चला रहा था. एमसीडी से लाइसेंस भी बना हुआ है. सुबह से मैंने कई अधिकारियों से पूछा कि क्या मैं अपनी दुकान हटा दूं. तो मुझसे कहा गया कि रहने दो ऐसी कोई बात नहीं होगी, लेकिन फिर भी सब तोड़ताड़ दिये. उन्होंने कहा कि हम 35 साल से यहां अकेले रह रहे हैं हमें कोई दिक्कत नहीं हुई. मुश्किल से इस दुकान से गुजारा हो पाता था इसलिए पूजा-पाठ भी कराते थे लेकिन अब सब टूट गया.
एक मंदिर के बाहर काफी नाराज दिख रहे युवा ने कहा कि मेरी दुकान तोड़ दी अब मंदिर-मस्जिद तोड़ रहे हैं. ये सब राजनीतिक बना रखा है. ये अभी अवैध हो गया क्या, झगड़े से पहले सब सही था. उसी गली में मंदिर के केयरटेकर ने कहा कि हमें तोड़ने की कोई जानकारी नहीं दी गई. मंदिर के सामने कई और युवा भी इकट्ठा हुए जो कह रहे थे कि मंदिर के ऊपर बुल्डोजर मत चलाइए.
रिहाना बेबी जिनकी उम्र 44 साल है. वो कहती हैं कि मेरे पति की तबीयत खराब रहती है. 17 साल से वो बीमार हैं, वो कुछ काम नहीं कर पाते हैं. मैं बच्चे को लेकर दुकान लगाती हूं, जिससे परिवार का खर्च चलता है. वो कहती हैं कि सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक पूड़ी-सब्जी की दुकान लगाती हूं.
रिहाना कहती हैं कि हमें कुछ नहीं पता था कि दुकानों को तोड़ा जाएगा, इसलिए हम अपनी रेड़ी नहीं हटा पाए. जब सुबह 9 बजे पता चला तो हमने पुलिस वाले को बोला की सर हमें जाने दो हमारी रेड़ी है हम हटा लेंगे, वही हमारी रोजी रोटी है. लेकिन, पुलिस वाले ने कहा कि हम नहीं जाने देंगे क्योंकि हमारे ऊपर भी हमारे ऑफिसर हैं, हमारी नौकरी चली जाएगी. रिहाना कहती हैं कि तोड़ने के बाद भी हमारी रेड़ी नहीं लाने दिए वो अभी तक वहीं पड़ी हुई है.
फरीद अहम की भी दुकान गिरा दी गई है. फरीद जहांगीरपुरी इलाके में चिकन कॉर्नर का काम करते थे. वो कहते हैं कि बिना नोटिस दिए ही दुकान उठाकर सुबह लेकर चले गए. इस बेरोजगारी के समय 4 महीने से हम रेड़ी लगा रहे थे, दिन भर में 400-500 कमा लेते थे, तो घर का खर्च चल जाता था. अब तो रेडी भी चली गई और कमाई भी. फरीद कहते हैं कि इसमें उनका नुकसान हो रहा है जो इस दंगे में शामिल ही नहीं थे, बताइए हमारा क्या कसूर है, हमारी तो रोजी रोटी छिन गई.
सुबह MCD ने बुल्डोजर चलाया, मस्जिद के बाहर की दुकानों से लेकर गलियों में कथित अवैध निर्माण पर एमसीडी ने कार्रवाई की. जिसके बाद लेफ्ट की नेता वृंदा करात बुलडोजर के आगे खड़ी हो गईं और सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर दिखाया. जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिये गये थे. जहांगीरपुरी में सुबह से दोपहर तक काफी हलचल रही, बुलडोजर की कार्रवाई में रुकावट ना आये इसके लिए एमसीडी ने कल ही दिल्ली पुलिस से करीब 400 जवान मांगे थे.
बहरहाल छुटपुट विरोध के बीच कार्रवाई हुई, सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया और स्थिति ये है कि कई कथित अवैध निर्माण तोड़े गए हैं, जिनमें से कई मालिकों का कहना है कि उनके पास कागज हैं. इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब कल यानी 21 अप्रैल को सुनवाई करेगा और तब तक एमसीडी की कार्रवाई पर स्टे रहेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना देता.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)