Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के सियासी मायने, समझिए संजय पुगलिया से

जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के सियासी मायने, समझिए संजय पुगलिया से

क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत

क्विंट हिंदी
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क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत
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क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने का संकल्प पेश किया है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव किया गया है. सरकार के इस फैसले के जम्मू-कश्मीर के लिए क्या मायने हैं? जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा? इसका बीजेपी के लिए क्या मतलब है? कुल मिलाकर कश्मीर पर हुए बड़े फैसला के क्या सियासी मायने हैं ये समझाया क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने.

संजय पुगलिया ने कहा, "ये बहुत बड़ा फैसला है, बीजेपी कहेगी कि ये हमारा वादा था. भारत का कश्मीर के साथ जो समझौता था, उसे हमने तोड़ा नहीं है. हमारा सपना था- एक संविधान, एक झंडा एक विधान. ये हमने पूरी तरह से कर दिया है."

हम लोग जैसे ही कश्मीर के रिलेशनशिप की बात करते हैं, कॉन्ट्रैक्ट की बात करते हैं, तो बीजेपी कहती है- ‘आप कैसे लोग हैं, आप एंटी नेशनल हैं, ये हमारा अखंड हिस्सा है, अभिन्न हिस्सा है.’ असल में इन्हें इस कॉन्ट्रैक्ट की कोई परवाह ही नहीं. 
संजय पुगलिया, एडिटोरियल डायरेक्टर, द क्विंट
अब हमको देखना होगा कि इसमें लीगल चैलेंजिस कितने बड़े हैं. क्योंकि अब ये लोग कहेंगे संविधान संशोधित बिल ला रहे हैं. संसद ने इसे पास कर दिया है. इसके तुंरत बाद कमेंट आएगा कि ‘कश्मीर का विकास अब हम करेंगे और देखिए अब ये करेंगे, वो करेंगे.’ वहीं ग्राउंड लेवल पर इनका वोट बैंक, इनके लोग कहेंगे कि ये एक बहुत गलती थी, जिसे अब सुधार लिया गया है. इस मुद्दे पर भारी डिबेट चलेगा. 
संजय पुगलिया, एडिटोरियल डायरेक्टर, द क्विंट
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विपक्ष के सामने क्या है चुनौती?

संजय पुगलिया ने कहा, “नेशनल लेवल पर विपक्ष की हालत खराब है. एसपी, बीएसपी जैसी राजनीतिक पार्टियां कमजोर पड़ चुकी है. कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर की पार्टियां विरोध करेंगी.”

मोदी और अमित शाह कश्मीर को अपना सेंट्रल पॉलिटिकल इलेक्ट्रोल पीस बता रहे हैं. मोदी और अमित शाह के सामने विपक्ष का विरोध कितना असरदार होगा, वो इस पर डिपेंड करेगा कि कैसे विपक्ष एकजुट होता है और क्या कहानी बताता है.

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के सियासी मायने?

महाराजा हरिसिंह ने Instrument of Accession के जरिए भारत के साथ एक करार किया था, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर हमारा हिस्सा बना था. संजय पुगलिया ने कहा, सरकार का फैसला उस कॉन्ट्रैक्ट का उल्लघंन करता है क्या? ये बड़ी डिबेट है.

कश्मीर के लोग इसे कॉन्ट्रेक्ट का उल्लघंन बताएंगे. लेकिन ये आवाज किसके जरिए आती है. क्या ये आवाज वहां की पॉलिटिकल लीडरशिप के जरिए आती है? बीजेपी वहां की पॉलिटिकल लीडरशिप की आवाज दबाने की पूरी कोशिश कर रही है. बीजेपी कह रही है कि तीन परिवारों ने 70 सालों में कश्मीर को लूटा है. ये नेहरू की गलती थी और कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है. इसे भारत में शामिल होना ही चाहिए.
संजय पुगलिया, एडिटोरियल डायरेक्टर
कश्मीर का जनमत क्या है. इस पर हम पहले चर्चा करते थे. इसको इन्होंने बेमतलब बनाने की कोशिश की है. इसलिए बीजेपी ने बहुत ही मजबूती के साथ आर्टिकल 35ए, उससे जुड़ा हुआ 370 हटाने का फैसला किया है. यानी कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा. यानी हमारी और कश्मीर की रिलेशनशिप का पूरी तरह से कैरेक्टर बदल गया है. 
संजय पुगलिया, एडिटोरियल डायरेक्टर

बता दें, आर्टिकल 370 का मकसद ही यह है कि संविधान के सभी प्रावधान सीधे राज्य पर लागू नहीं किए जाते. जो भी प्रावधान लागू किए जाते थे वो राष्ट्रपति और राज्य सरकार की अनुमति से होते थे. लेकिन अब संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो जाएंगे.

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Published: 05 Aug 2019,01:53 PM IST

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