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साल 2022, यानी आजादी के 75 साल.. यानी न्यू इंडिया बनाने का वादा कुछ वक्त पहले मीडिया चीख-चीखकर कह रहा था-मोदी का मिशन 2022, 2022 तक नया हिंदुस्तान? क्या है 2022 का प्लान. तो क्या 2022 तक नया भारत बनाने का सपना पूरा हो गया? क्या बीजेपी(BJP) ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर जो वादे किए थे वो पूरे हुए? क्या सबको घर मिल गया? क्या भारत 5 ट्रिलियन की इकनॉमी तक पहुंच गया? क्या सच में खुले में शौच मुक्त हो गया भारत? अगर देशभक्ति की लाइट जलाकर बेरोजगारी, अधूरे वादों और किसानों की बदहाली के अंधकार को छिपाएंगे तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?
साल 2018 में राजस्थान में एक रैली में पीएम मोदी ने देश की जनता से वादा करते हुए कहा था कि मैंने व्रत लिया है कि 2022 तक एक भी ऐसा परिवार नहीं होगा, जिसका अपना खुद का पक्का घर नहीं होगा. आजादी के 75 साल हो रहे हैं, और पीएम के कहे के मुताबिक 2022 तक हर परिवार के पास अपना घर होना चाहिए था. लेकिन क्या ऐसा हुआ है? जवाब है नहीं.
आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जुलाई 2022 में बताया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी मतलब‘सभी के लिए आवास’ मिशन के तहत 1.22 करोड़ स्वीकृत मकानों में से कुल 61 लाख पक्के मकान बन चुके हैं या लाभार्थियों को आवंटित किये जा चुके हैं. बता दें कि सरकार ने साल 2015 में इस योजना की शुरुआत की थी.
हां, वो अलग बात है कि हर भारतीय के सर पर छत देने की बात करने वाली सरकार, बुलडोजर के जरिए लोगों का घर छीन रही है, वो भी बिना अदालत के फैसलों के. अब चाहे खरगोन का मामला हो या यूपी का.
अब आते हैं किसानों की आय दोगुनी करने के वाद पर..
आप ये वीडियो देखिए--
पहले आपको सरकारी कहानी सुनाते हैं.. किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई थी. अशोक दलावई समिति ने अपने 14 पार्ट की रिपोर्ट में कहा था कि किसान की आय, कृषि और गैर-कृषि दोनों सोर्स से, साल 2022-23 तक दोगुनी हो जाएगी. समिति ने अनुमान लगाया था कि साल 2015-16 में किसी कृषक परिवार की औसत वार्षिक आय 96,703 होगी. अनुमान लगाया गया था कि यह साल 2022-23 तक बढ़कर 1,72,694 हो जाएगी. लेकिन सवाल है कि क्या इस समीति की बात सच हो गई. जवाब है पता नहीं. सरकार ने किसानों की आय दोगुनी या बढ़ने को लेकर कोई ठोस डेटा सामने नहीं रखा है लेकिन किसानों के लिए अलग-अलग योजनाओं के तहत मौजूद डेटा कुछ कहानी तो बता रहे हैं.
National Sample Survey Office यानी NSSO के आंकड़ों को देखेंगे तो पता चलता है कि सभी सोर्स से किसी कृषक परिवार की असल आय साल 2012-13 और 2018-19 के बीच लगभग 21 फीसदी बढ़ी है. इसका मतलब यह है कि वास्तविक रूप से सिर्फ 3.5 प्रतिशत या इसके आसपास की औसत सालाना बढ़ोतरी दर रही.
किसानों की इनकम डबल तो दूर की बात हो गई, गरीबी और कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या जारी है और सरकार के मंत्री इसपर झूठ बोल रहे हैं वो भी संसद में. 1 अगस्त 2022 को लोकसभा में सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पिछले 8 सालों में यानी बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की. लेकिन सांसद साहब को कौन बताए कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) उनकी बातों को झूठा बता रहा है. हमने 2014 (जब पीएम मोदी सत्ता में आए) से लेकर 2020 तक का डेटा देखा तो पाया कि इस दौरान 43,181 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. अब सवाल ये भी है कि अगर किसान की आमदनी बढ़ रही है तो किसान खुदकुशी क्यों कर रहे हैं?
साल 2018 में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2022 तक दोगुना होकर 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जब ऐसा होता नहीं दिखा तो 5 ट्रीलियन के लक्ष्य को 2024-25 तक शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन ये भी मुश्किल है. क्योंकि 5 ट्रिलियन इकनॉमी के लिए अगले 3 सालों में सालाना 22-25 फीसदी की GDP ग्रोथ लानी होगी. जो फिलहाल दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है. ये सही है कि बीच में कोरोना का रोड़ा आया लेकिन कोरोना के पहले भी इकनॉमी की ग्रोथ रेट ऐसी नहीं थी कि 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाए.
एक घिसा-पिटा वादा याद दिलाते हैं, जिसे जुमला कहकर भुलाने की कोशिश की गई. साल 2014 के चुनाव से पहले हर साल 2 करोड़ नौकरी का वादा किया गया था. मतलब 8 साल में 16 करोड़ नौकरी. लेकिन मिले सिर्फ 7 लाख. केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जुलाई 2022 में लोकसभा में दिए एक लिखित जवाब में बताया कि 2014-15 से 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में 7 लाख 22 हजार 311 लोगों को नौकरी दी है. वहीं केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 22.05 करोड़ से भी ज्यादा रही.
अब आपके किचन में चलते हैं और पता करते हैं कि सरकार आखिर पका क्या रही है. मोदी सरकार ने उज्जवला योजना के अंतर्गत मार्च 2020 तक वंचित परिवारों को 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य रखा था. जोकि सरकार ने सितंबर 2019 में ही पूरा कर लिया. 2016 से 2022 अप्रैल तक मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत 9 करोड़ मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन बांटे हैं. इस बात पर सरकार की पीठ थपथपानी चाहिए, लेकिन ये शाबाशी फिलहाल फीकी पड़ गई है. क्योंकि केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 4.13 करोड़ लाभार्थियों ने एक बार भी सिलेंडर रिफिल नहीं कराया है, वहीं 7.67 करोड़ लाभाथिर्यों ने सिर्फ एक बार सिलेंडर भरवाया.
2 अक्टूबर 2019 को भारत सरकार ने देश को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया था. स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर जाएंगे तो देखेंगे कि 99.89 फीसदी भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुका है. लेकिन बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश के गांव के किनारों की सड़कें और खाली मैदान इन दावों की पोल खोल देंगे.
एक और वादा देखिए- 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था कि हम सपना देखते हैं कि आजादी के 75 साल हो, तब हिन्दुस्तान के हर गांव में Optical Fiber Network हो, Broadband की Connectivity हो. तो क्या ये सपना पूरा हो गया?
TRAI की रिपोर्ट 'द इंडियन टेलीकॉम सर्विसेज परफार्मेंस इंडिकेटर्स जनवरी-मार्च 2022' के मुताबिक भारत में 824.89 मिलियन इंटरनेट सब्सक्राइबर हैं, यानी देश की 59% आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है. वहीं बिहार में 48% आबादी के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी है.
गंगा साफ हुई? पता नहीं.. बुलेट ट्रेन अबतक अपने स्टेशन पर नहीं पहुंची है. तो कुल मिलाकर आजादी के 'अमृत महोत्सव' पर देश अधूरे वादों का 'विष' पी रहा है. देशभक्ति सिर्फ नारेबाजी और प्रतीकों में समेटा जा रहा है. तिरंगा फहराएं, फहराना ही चाहिए लेकिन असली आजादी का जश्न उस दिन मनेगा जब उसे झंडे को थामने वाले हाथ मजबूत होंगे, हर घर तिरंगा फहराने की अपील तब पूरी होगी जब हर भारतीय का घर होगा और उसमें खुशहाली होगी आजादी के 75 साल पर 75 तरह के वादे फिर शायद किए जाएं लेकिन उन वादों को अगर पूरा नहीं करेंगे तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?
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