Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जंतर-मंतर भड़काऊ नारे: अश्विनी को बेल, मुनव्वर-नताशा-कफील को क्यों जेल?

जंतर-मंतर भड़काऊ नारे: अश्विनी को बेल, मुनव्वर-नताशा-कफील को क्यों जेल?

कफील खान ने 7 महीने उस गुनाह के लिए जेल में गुजारे जो उन्होंने किया ही नहीं

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Published:
i
null
null

advertisement

जब सइयां भये कोतवाल तो डर काहे का...संइया कोतवाल हैं तो भड़काऊ बयान भी नहीं दे सकता क्या? इतना तो कह ही सकता है कि जब ...... काटे जाएंगे...राम राम चिल्लाएंगे... मतलब मामूली हत्या की धमकी भी नहीं दे सकता क्या? फिर संईया का फायदा ही क्या? चलिए आप को संईया के कोतवाल होने का फायदा-नुकसान समझाते हैं..

दरअसल, दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ नारेबाजी को लेकर गिरफ्तार हुए बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय को कोर्ट से एक दिन में जमानत मिल गई है. हां, एक दिन में. यही नहीं डासना मंदिर का पूजारी यति नरसिंहानंद महिलाओं से लेकर मुसलमानों के बारे में एक नहीं दसियो बार भड़काऊ और नफरती बयान दे चुका है और दे रहा है. लेकिन वो 'आजाद' है. लेकिन दूसरी ओर कथित धार्मिक भावनाओं के आहत करने के नाम पर या कथित भड़काऊ बयानों के आधार पर दर्जनों लोग बिना किसी सबूत जेल में आज भी बंद हैं.

कानून, अदालत, पुलिस, इंसाफ सबके लिए एक जैसे नहीं होंगे तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

जब संसद से कुछ दूर लगे भड़काऊ नारे

जब ...... काटे जाएंगे...

राम राम चिल्लाएंगे...

हिंदुस्तान में रहना होगा

जय श्रीराम कहना होगा...

ये नारे 8 अगस्त को संसद भवन से कुछ दूर जंतर-मंतर पर लगे थे. सेव इंडिया फाउंडेशन के बैनर तले भारत छोड़ो आंदोलन नाम का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम से पहले बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने लोगों से कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा था. कार्यक्रम में पांच मुख्य मांगें थी- समान शिक्षा, समान जनसंख्या नियंत्रण, घुसपैठ नियंत्रण, धर्मान्तरण नियंत्रण और समान नागरिक संहिता. लेकिन इसी कार्यक्रम के दौरान जमकर हिंसक नारे लगे. मुसलमानों की हत्या से लेकर भड़काऊ बाते कही गईं.

कोविड प्रोटोकॉल की वजह से इस कार्यक्रम की इजाजत पुलिस ने नहीं दी थी. लेकिन फिर भी कार्यक्रम हुआ और भड़काऊ नारे भी लगे. पुलिस तमाशबीन बनी रही. पुलिस तब जागी जब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ. लोगों ने विरोध जताया. फिर पुलिस ने 'अज्ञात' लोगों के नाम पर FIR दर्ज की. वीडियो में नारे लगाने वाले साफ-साफ दिख रहे हैं. आप भी देखिए... भगवा कुर्ते में शख्स नारे लगा रहा है.. साथ में कई और लोग भी हैं. लेकिन पुलिस के लिए अज्ञात थे. फिर हल्ला हुआ तो अश्विनी उपाध्याय की गिरफ्तारी हुई.

दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 153a (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 188, 268, 270 और महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया. इन मामलों में ज्यादा से ज्यादा सजा तीन साल की कैद है (यह कुछ के लिए कम हैं). धारा 153ए के अलावा अन्य सभी अपराध जमानती हैं. जैसा कि बताया जमानत मिल भी गई.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

चलिए अब आपको कुछ लोगों की कहानी सुनाते हैं

नताशा नरवाल याद है आपको...इनके खिलाफ सरकार के पास सिर्फ एक ''सबूत'' था उसने ‘भड़काऊ भाषण’ देकर, लोगों को हथियार उठाने को कहा था. दिल्ली दंगों से जुड़ा केस था. एक साल से ज्यादा वक्त जेल में रहीं. पिता का उनके इंतजार में इंतकाल हो गया. जमानत मांगती रह गईं. नहीं मिली. इन्हें जमानत देते हुए अदालत ने क्या कहा ये देख लीजिए-

“हमारे सामने कोई भी ऐसा विशेष आरोप या सबूत नहीं आया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि याचिकाकर्ताओं ने हिंसा के लिए उकसाया हो, आतंकवादी घटना को अंजाम दिया हो या फिर उसकी साजिश रची हो, जिससे कि UAPA लगे.”
दिल्ली हाईकोर्ट

स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी याद हैं...उन्हें गिरफ्तार गया उस गुनाह के लिए जो उन्होंने किया नहीं था. वो धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते थे, इस एंटीसिपेशन में गिरफ्तार कर लिया गया. एक महीने जेल में रहे.

एक और केस देखिए

कफील खान ने 7 महीने उस गुनाह के लिए जेल में गुजारे जो उन्होंने किया ही नहीं. खान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया. जमान मिली तो NSA लगा दिया लेकिन बाहर नहीं आने दिया. 7 महीने बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NSA का आरोप निरस्त कर दिया.

और फादर स्टेन स्वामी का दर्द कौन भूल सकता है...84 साल के बुजुर्ग पर भीमा कोरेगांव हिंसा भड़काने का आरोप था...ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ..जमानत मांगते रह गए. कहा मर जाऊंगा..वही हुआ. मर गए....लोगों ने इसे संस्थागत मर्डर बताया

देवांगना कलिता, सफूरा जारगर, आसिफ तन्हा, बात-बात पर UAPA और फिर जमानत न मिलने की दास्तानें भरी पड़ी हैं.

लेकिन दूसरी तरफ क्या हो रहा है...

यति नरसिंहानंद का वीडियो- “पहले मुसलमान औरतें प्रोस्टिट्यूट होती थीं, पेट की आग बुझाने के लिए ये धंधा करती थीं. आज ज्यादातर हिंदू औरतें होती हैं, जो पेट के कारण नहीं अपनी वासना के कारण मुसलमानों के जाल में फंसी और बर्बाद हो गईं.”

महिलाओं के प्रति इतनी घिनौनी सोच....आपको अपराध की गंभीरता बताने की जरूरत भी नहीं है.

इस मामले पर भी सोशल मीडिया पर हंगामा हुआ तो राष्ट्रीय महिला आयोग ने 7 अगस्त को यूपी के DGP मुकुल गोयल को चिट्ठी लिखकर यति नरसिंहानंद के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने और FIR दर्ज करने को कहा. फिलहाल कुछ नहीं हुआ.

बार-बार नरसिंहानंद ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में और इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की. लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया. कैसा इंसाफ? क्या ये सबके लिए बराबर है? जिसकी जगह जेल में होनी चाहिए, वो अबतक बाहर है और हर दिन समाज में नफरत घोल रहा है.

नरसिंहानंद जैसे कई हैं, जंतर मंतर पर नारे लगाने वाला उत्तम उपाध्याय हो, पिंकी चौधरी हो या दिल्ली में दंगा भड़काने वाली रागनी तिवारी. लेकिन ठीक उलट दर्जनों छात्र और एक्टिविस्ट जेल में बंद हैं. अगर कानून की नजर में सब एक नहीं होंगे, पुलिस अपने शपथ को भूल जाएगी तो हम पूछेंगे जरूर, जनाब ऐसे कैसे..

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT