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तबरेज की हत्या का चार्ज हटाने में क्या गलत? पोस्टमॉर्टम से खुलासा

जिस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर झारखंड पुलिस कह रही है कि तबरेज की हत्या किसी ने नहीं की.

ऐश्वर्या एस अय्यर
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तबरेज की हत्या का चार्ज हटाना गलत या सही? ये है वकीलों की राय
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तबरेज की हत्या का चार्ज हटाना गलत या सही? ये है वकीलों की राय
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम

जिस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर झारखंड पुलिस कह रही है कि तबरेज की हत्या किसी ने नहीं की...क्विंट ने वो रिपोर्ट हासिल की है. क्योंकि ये देखना जरूरी है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या लिखा है? साथ ही हमने क्रिमिनल केसेज देखने वाले सीनियर वकीलों और human rights के लिए काम करने वाले वकील से बात की... ये जानने के लिए कि क्या वाकई इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कह सकती है कि तबरेज की हत्या नहीं हुई थी?

क्विंट ने सबसे पहले खुलासा  किया कि झारखंड पुलिस ने तबरेज की मौत के मामले में जो चार्जशीट दाखिल की है उससे हत्या का चार्ज यानी धारा 302 हटा दी गई है...उसके बाद लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या पुलिस तबरेज की जान लेने वालों को बचाने की कोशिश कर रही है?

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या लिखा  है?

  1. पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट में लिखा है कि तबरेज के सिर में फ्रैक्चर था.
  2. उसे ब्रेन हेमरेज भी हुआ था.
  3. उसका पूरा शरीर पीला पड़ गया था.
  4. हार्ट में खून भर गया था

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टरों की राय

  1. फ्रैक्चर किसी कठोर और भोथर चीज से चोट लगने के कारण हुआ था.
  2. फ्रैक्चर, पिटाई से पीले पड़े शरीर और हार्ट में खून भरने के कारण तबरेज को कार्डिएट अरेस्ट हुआ.
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पोस्ट मॉर्टम में लिखी गई इन बातों के आधार पर हत्या का चार्ज हटाना सही है या नहीं?....हमने Human Rights Law Network के वकील अमन खान से बात की...अमन का कहना है कि सिर में फ्रैक्चर इस बात को साबित करता है कि पिटाई हत्या की मंशा से ही की जा रही थी. अमन ने पुलिस की ईमानदारी पर भी सवाल उठाए हैं.

सिर पर जिस तरह की चोट लगी है, वो साफ-साफ दिखाता है कि पीड़ित को मारने के इरादे से जानबूझ कर चोट पहुंचाई गई. ये साफ-साफ हत्या का मामला है . कोई वजह नहीं है कि पुलिस धारा 302 कीजगह 304 लगा रही है. आम तौर पर आरोपी दलील लेकर आते हैं कि धारा 302 नहीं 304 लगनी चाहिए. जबकि, इस मामले में पुलिस ही ऐसा कर रही है. लेकिन यहां तो पुलिस ही हत्या का चार्ज हटा रही है. 302 लगे, ये अब अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है. इससे पुलिस का पक्षपात नजर आ रहा है
अमन खान, वकील, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क

सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस सिद्दीकी का भी कुछ ऐसा ही मानना है.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मौत का कारण कार्डिएक अरेस्ट के साथ सिर पर लगी चोट है. जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ. इस चोट की वजह मॉब लिंचिंग थी. इस स्तर पर, आप हत्या का चार्ज नहीं हटा सकते. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है. इन मामलों में ज्यादा से ज्यादा सजा हो.
अनस सिद्दीकी, सुप्रीम कोर्ट के वकील  

हालांकि दिल्ली के जाने-माने क्रिमिनल लॉयर सतीश टमटा की राय अलग है...

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से सिर्फ यही साबित होता है कि किसी इंसान की हत्या हुई है. अब धारा 302 लगे या 304 ये चश्मदीदों की गवाही पर निर्भर करता है. देखिए, मौत की वजह या तो हत्या होती है, या आत्महत्या या नेचुरल. हत्या जानबूझकर या अनजाने में हो सकती है. इस केस में पुलिस के लिए यही सेफ होगा कि वो कहे जानबूझकर हत्या नहीं की गई. क्योंकि कई लोग इसमें शाामिल थे. खासकर जब ये केस मॉब लिंचिंग का है .
सतीश टम्टा, क्रिमिनल लॉयर

आपने तबरेज मामले में पुलिस की चार्जशीट पर वकीलों की राय पढ़ी...आपने लोकतंत्र पर हावी होते भीड़तंत्र के गवाह वीडियो को भी देखा..अब खुद तय कीजिए कि पुलिस की चार्जशीट कितनी सही है और सोचिए कि क्या वाकई तबरेज के साथ इंसाफ हो रहा है...

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